मध्यकालीन भारत के इतिहास में पाल, प्रतिहार और राष्ट्रकूट से लेकर दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य जैसे साम्राज्यों का शासन रहा है। इन्हीं में से एक विजयनगर साम्राज्य भी था जो दक्षिण भारत का एक शक्तिशाली साम्राज्य था। इस साम्राज्य में 4 प्रमुख राजवंशो का शासन रहा है। इस ब्लॉग में हम विजयनगर साम्राज्य के अंतिम राजवंश ‘अराविदु वंश’ के बारे में जानेंगे जिसमें आपको इस राजवंश के उदय से लेकर पतन तक की जानकारी दी जाएगी। इसलिए इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
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कैसे हुआ अराविदु वंश का उदय?
तुलुव वंश के पतन के बाद अराविदु वंश, विजयनगर साम्राज्य पर शासन करने वाला चौथा और आखिरी वंश बना और करीब 80 वर्षों तक शासन किया। ऐसे में अगर बात विजयनगर साम्राज्य की हो तो इसकी स्थापना 1336 ईसवी में दो भाइयों, हरिहरा और बुक्का राय ने की थी। दक्षिण भारत के इतिहास में यहीं से संगम वंश की शुरुआत हुई जिसके बाद यहाँ 3 और राजवंशों ने शासन किया। पहला था संगम राजवंश, उसके बाद सालुव वंश, फिर तुलुव और आखिरी शासन यहाँ अराविदु वंश ने किया।
विजयनगर साम्राज्य के शासक और शासनकाल
यहाँ तुलुव वंश के शासक और उनके शासनकाल की जानकारी नीचे दी गई टेबल में दी जा रही है:-
राजवंश | शासक/संस्थापक | शासनकाल |
संगम वंश | बुक्का व हरिहर | 1336-1485 ई |
सालुव वंश | नरसिंह सालुव | 1485- 1505 ई |
तुलुव वंश | वीर नरसिंह | 1505- 1570 ई |
अराविदु वंश | तिरूमल्ल (तिरुमला) | 1570-1650 ई |
यह भी पढ़ें – सालुव वंश: विजयनगर साम्राज्य पर शासन करने वाला द्वितीय राजवंश
अराविदु वंश का संक्षिप्त इतिहास
1570 ई. में ‘तुलुव वंश’ के अंतिम शासक ‘सदाशिव’ को सिहंसन से हटाकर ‘तिरुमल’ ने अराविदु वंश स्थापना की थी। यह वंश विजयनगर साम्राज्य पर राज करने वाला अंतिम वंश था जिसकी राजधानी ‘पेनुगोण्डा’ थी। इस वंश के भी कई शासकों ने राज किया जिसमें ‘श्रीरंग तृतीय’ विजयनगर के अंतिम शासक रहे। उनके बाद ही इस महान विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया और विजयनगर एक छोटा सा राज्य बनकर रह गया।
अराविदु वंश के प्रमुख शासक
अराविदु वंश के प्रमुख शासक निम्नलिखित है:-
तिरुमाला देव राय (1565-1572)
अराविदु राजवंश के संस्थापक तिरुमाला थे, जिनके भाई राम राय थे जिन्होंने पिछले राजवंश में अंतिम शासक के रूप में महारत हासिल की थी। तिरुमाला देव राय ने 1565 ईस्वी से लेकर 1575 ईस्वी तक शासन किया और अपने शासनकाल के दौरान उन्होने 1567 में बीजापुर के सुल्तान को हराया।
श्रीरंगा देव राय I (1572-1586)
श्रीरंगा प्रथम जो श्रीरंगा देव राय के नाम से भी जाने जाते हैं। उन्होंने 1572 ईस्वी से लेकर 1586 ईस्वी तक शासन किया और अपने शासनकाल के दौरान विजयनगर साम्राज्य के पुनर्स्थापन को स्वीकार किया।
वेंकटपति देव राय (1586-1614)
वेंकटपति देव राय के शासनकाल के दौरान गोलकुंडा और बीजापुर की 1,20,000 की मुस्लिम सेना ने उनके क्षेत्रों में आक्रमण किया। ऐसे में सम्राट के पास बहुत कम सेना थी लेकिन फिर भी अपनी वीरता के कारण उन्होंने सेना के साथ मिलकर गोलकुंडा और बीजापुर की संयुक्त सेना को पराजित कर दिया।
रामदेव राय (1617-1632)
राम देव राय को ‘विरा राम देव राय’ के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने 1617 में एक भयानक युद्ध के बाद विजयनगर के सिंहासन पर कब्जा किया था।
श्रीरंगा III (1642-1652 )
श्रीरंगा III ने 1642 ईस्वी से लेकर 1652 ईस्वी तक विजनगर साम्राज्य पर शासन किया। श्रीरंगा III बता दें कि वह विजयनगर साम्राज्य के अंतिम शासक थे।
अराविदु वंश का पतन
इस वंश के अंतिम शासक श्रीरंगा III के शासनकाल के दौरान मैसूर, बेदनूर, तंजौर आदि स्वतंत्र राज्यों की स्थापना हो गई थी। वहीं श्रीरंगा II को वेल्लोर के एक छोटे से प्रदेश तक सीमित कर दिया गया। 1664 की लड़ाई में यह प्रदेश भी उनके हाथ से निकल गया और बीजापुर एवं गोलकुंडा की सेना के पास चला गया और इस तरह ‘अराविदु वंश’ का पतन हो गया।
FAQs
अराविदु राजवंश विजयनगर साम्राज्य का चौथा और आखिरी हिंदू राजवंश था। इसके संस्थापक तिरुमाला देव राय थे।
विजयनगर साम्राज्य पर शासन करने वाले प्रमुख राजवंशों का कालानुक्रम संगम, सुलुव, तुलुव, अराविदु है।
हरिहर और बुक्का दो भाई हैं जिन्होंने विजयनगर में स्वतंत्र हिंदू राज्य की स्थापना की।
ब्रिटिश साम्राज्य (British Empire) को दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य माना जाता है।
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में दो भाईयों हरिहर और बुक्का द्वारा की गई थी।
विजयनगर का वर्तमान नाम हम्पी (हस्तिनावती) है।
अरविडु वंश की स्थापना 1570 ई. में हुई थी। यह वंश दक्षिण भारत के विजयनगर साम्राज्य का चौथा और अंतिम वंश था जिसका शासनकाल 1650 ई. तक चला।
आशा है कि आपको अराविदु वंश के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गयी होगी। ऐसे ही इतिहास से संबंधित अन्य ब्लॉग्स को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।