क्या आप चाहते हैं कि आपका करियर न सिर्फ स्थिर और प्रॉफिटेबल हो, बल्कि समाज की सेवा में भी योगदान दे? अगर हाँ, तो आंखों का डॉक्टर यानी ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट (Ophthalmologist) बनना आपके लिए एक परफेक्ट विकल्प है। ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट केवल आंखों की बीमारियों का इलाज नहीं करता, बल्कि दृष्टि परीक्षण, आंखों की सर्जरी, दवा और उपकरणों का चयन, और रोगों की रोकथाम और सुधार में भी विशेषज्ञ होता है। भारत में डिजिटल स्क्रीन के बढ़ते उपयोग और बदलती लाइफस्टाइल के कारण आंखों की समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे इस क्षेत्र में क्वालिफाइड ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट की मांग लगातार बढ़ रही है। यदि आप भी जानना चाहते हैं आंखों का डॉक्टर कैसे बनें, तो ये लेख आपके लिए उपयोगी हो सकता है। इस गाइड में आपके लिए आंखों का डॉक्टर बनने के लिए कोर्स, एडमिशन प्रक्रिया, फीस, कॉलेज और करियर स्कोप की जानकारी दी गई है।
This Blog Includes:
- ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट कौन होते हैं?
- आंखों के डॉक्टर के प्रकार
- आंखों का डॉक्टर कैसे बनें: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
- स्टेप 1. बुनियादी शिक्षा प्राप्त करें
- स्टेप 2. आंखों का डॉक्टर बनने के लिए करियर पाथ को जानें
- स्टेप 3. मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं
- स्टेप 4. मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आवश्यक योग्यता और शैक्षणिक मानदंड को पूरा करें
- स्टेप 5. आंखों का डॉक्टर बनने के लिए जरूरी कोर्स और उनकी अवधि
- स्टेप 6. भारत के प्रमुख ऑप्टोमेट्रिस्ट संस्थानों के बारे में जानें
- स्टेप 7. कोर्स के बाद लाइसेंस और प्रैक्टिस प्रक्रिया का हिस्सा बनें
- स्टेप 8. इंटर्नशिप के माध्यम से अपने अनुभव को बढ़ाएं
- करियर के अवसर और नौकरी के क्षेत्र
- FAQs
ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट कौन होते हैं?
ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट, यानी आंखों का विशेषज्ञ डॉक्टर, आंखों की सेहत और दृष्टि से जुड़ी सभी समस्याओं का इलाज करता है। यह सिर्फ दृष्टि सुधारने तक सीमित नहीं रहता; यह मरीज की आंखों की पूरी जांच करता है, दवाइयाँ या दृष्टि उपकरण सुझाता है और गंभीर मामलों में सर्जरी भी करता है। ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट अन्य की जिम्मेदारियां निम्नलिखित है:
- मरीज की आंखों की नियमित जांच और रोग पहचान करना
- दृष्टि सुधारने के लिए चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस या अन्य उपकरण सलाह देना
- गंभीर मामलों में सर्जरी करना और ऑपरेशन के बाद देखभाल सुनिश्चित करना
- आंखों की बीमारियों के प्रति मरीजों को जागरूक करना
- नई तकनीकों और चिकित्सा उपकरणों के इस्तेमाल में अपडेट रहना
- बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों की अलग-अलग दृष्टि समस्याओं का ध्यान रखना
आंखों के डॉक्टर के प्रकार
आंखों के डॉक्टर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:-
- ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट: ये एक मेडिकल डॉक्टर होते हैं, जो आंखों की गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं और जरूरत पड़ने पर सर्जरी भी करते हैं। ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट मोतियाबिंद, रेटिना की समस्या, ग्लूकोमा, और कॉर्निया ट्रांसप्लांट जैसी जटिल समस्याओं का उपचार करते हैं। इनकी जिम्मेदारियों में आंखों की जांच, दवाइयाँ लिखना, ऑपरेशन करना और मरीजों को उचित सलाह देना शामिल होता है।
- ऑप्टोमेट्रिस्ट: ये विशेषज्ञ सामान्य आंखों की जांच करते हैं, चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस की सलाह देते हैं। ऑप्टोमेट्रिस्ट व्यक्ति की आंखों की रोशनी मापते हैं, नजर की कमजोरी पहचानते हैं और कुछ सामान्य बीमारियों की पहचान भी करते हैं। इनका कार्य मरीजों को सही लेंस और चश्मा देना, आंखों के तनाव का पता लगाना और आगे रेफर करना होता है। बता दें कि ये डॉक्टर नहीं होते, लेकिन नेत्र परीक्षण में अच्छी तकनीकी और नैदानिक जानकारी रखते हैं।
- ऑप्टिशियन: ऑप्टिशियन वे प्रोफेशनल होते हैं जो ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट या ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा दी गई पर्ची के आधार पर चश्मे और लेंस तैयार करते हैं। इनका काम चश्मों के फ्रेम चुनना, लेंस फिट करना और विज़न संबंधित उपकरणों को सही तरीके से ग्राहकों तक पहुंचाना होता है। ये नेत्र परीक्षण नहीं करते, लेकिन विज़न प्रोडक्ट्स को सही माप और क्वालिटी में देने की जिम्मेदारी निभाते हैं। ये आमतौर पर ऑप्टिकल शॉप्स, क्लीनिक या आईवियर कंपनियों में कार्य करते हैं।
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आंखों का डॉक्टर कैसे बनें: स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
आंखों का डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले उम्मीदवारों के लिए यहाँ दी गई स्टेप-बाय-स्टेप गाइड उपयोगी हो सकती है –
स्टेप 1. बुनियादी शिक्षा प्राप्त करें
आंखों का डॉक्टर बनने के लिए सबसे पहला कदम छात्रों का बुनियादी शिक्षा जैसे- 10+2 (कक्षा 12वीं) की परीक्षा विज्ञान स्ट्रीम से पास करना अनिवार्य है। इसमें छात्रों के पास मुख्य रूप से भौतिकी (Physics), रसायन विज्ञान (Chemistry), और जीव विज्ञान (Biology – PCB) जैसे विषय होने चाहिए। इस बुनियादी शिक्षा का प्रमुख लक्ष्य छात्रों को अच्छे अंक के साथ मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए योग्य बनाना है।
स्टेप 2. आंखों का डॉक्टर बनने के लिए करियर पाथ को जानें
अगर आप आंखों का डॉक्टर बनना चाहते हैं, तो इसके सभी चरण नीचे सरल रूप में बताए गए हैं:-
ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट बनने का पाथ
ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट बनने के लिए सबसे पहले छात्रों को 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषयों के साथ कम से कम 50% अंकों के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए, जिसके बाद राष्ट्रीय स्तर की मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET की तैयारी करनी होती है। इस परीक्षा में बेहतर स्कोर लाकर आप सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में MBBS पाठ्यक्रम (5.5 वर्ष) में एडमिशन ले सकते हैं।
MBBS पूरी करने के बाद ऑप्थाल्मोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए MS या MD (Ophthalmology) में एडमिशन लेना होता है जिसकी अवधि लगभग 3 साल होती है। भारत में AIIMS, AFMC, MAMC, KGMU और CMC जैसे संस्थान इस क्षेत्र में बेहतरीन शिक्षा प्रदान करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान छात्रों को निरंतर मेहनत, विषयों की गहरी समझ और क्लिनिकल प्रैक्टिस पर ध्यान देना आवश्यक होता है।
ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने का पाथ
जिन छात्रों ने 12वीं कक्षा विज्ञान विषयों (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी और मैथ्स) के साथ कम से कम 50% अंकों से उत्तीर्ण की है, वे B.Optometry या B.Sc Optometry जैसे अंडरग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं, जिसकी अवधि 4 वर्ष होती है, जिसमें से 3 वर्ष शैक्षणिक अध्ययन और 1 वर्ष इंटर्नशिप के लिए निर्धारित होता है।
इस कोर्स में आंखों की संरचना, दृष्टि परीक्षण, लेंस प्रिस्क्रिप्शन, और विज़न केयर से जुड़ी तकनीकी और क्लिनिकल ट्रेनिंग दी जाती है, जिससे छात्र एक पेशेवर ऑप्टोमेट्रिस्ट बन सकते हैं। इस कोर्स के लिए भारत के प्रमुख संस्थानों जैसे AIIMS, SRMIST, LV Prasad Eye Institute, AMU, जेएसएस मेडिकल कॉलेज और JIPMER आदि में एडमिशन लिया जा सकता है।
ऑप्टिशियन बनने का पाथ
ऑप्टिशियन बनने के लिए किसी टेक्निकल ट्रेनिंग या डिप्लोमा कोर्स की जरूरत होती है जैसे Optical Technology। ये आमतौर पर ऑप्टिकल शॉप्स, क्लीनिक या आईवियर कंपनियों में कार्य करते हैं।
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स्टेप 3. मेडिकल प्रवेश परीक्षाएं
ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट बनने के लिए छात्रों को NEET-UG प्रवेश परीक्षा पास करनी अनिवार्य होती है, जिसके माध्यम से MBBS कोर्स में दाखिला मिलता है। इसके बाद Ophthalmology में विशेषज्ञता के लिए MS/MD करना होता है।
वहीं ऑप्टोमेट्रिस्ट बनने के लिए B.Optometry या B.Sc Optometry जैसे कोर्स किए जाते हैं जिनमें कुछ विश्वविद्यालय अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करते हैं और कुछ कॉलेजों में 12वीं के अंकों के आधार पर डायरेक्ट एडमिशन भी दिया जाता है।
स्टेप 4. मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आवश्यक योग्यता और शैक्षणिक मानदंड को पूरा करें
मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए आपको निम्नलिखित बेसिक योग्यताओं को पूरा करना जरूरी होता है।
- 12वीं कक्षा साइंस स्ट्रीम (फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी) से पास होना अनिवार्य।
- 12वीं में न्यूनतम 50%–60% अंक होना चाहिए (SC/ST/OBC को छूट मिल सकती है)।
- NEET या संबंधित एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करना जरूरी।
- आयु सीमा: न्यूनतम 17 वर्ष और अधिकतम 25 वर्ष (आरक्षित वर्ग के लिए छूट)। हालाँकि अधिकतम आयु के बारे में जानने के लिए आप आवेदन करने से पहले ऑफिसियल वेबसाइट से जान सकते हैं।
- शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक, क्योंकि प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और फील्ड वर्क में शारीरिक सहनशक्ति की जरूरत होती है।
स्टेप 5. आंखों का डॉक्टर बनने के लिए जरूरी कोर्स और उनकी अवधि
आंखों का डॉक्टर बनने के लिए मुख्य रूप से MBBS के बाद MD (Ophthalmology) या B.Sc Optometry जैसे कोर्स किए जा सकते हैं। अगर आप MBBS + MD (Ophthalmology) का रास्ता चुनते हैं, तो पहले MBBS करना होता है, जिसकी अवधि लगभग 5.5 साल होती है, जिसमें इंटर्नशिप भी शामिल है। इसके बाद MD या MS (Ophthalmology) करने के लिए लगभग 3 साल लगते हैं, जिसमें आप विशेष रूप से आंखों की बीमारियों, सर्जरी और दृष्टि सुधार के तरीकों का प्रशिक्षण लेते हैं।
दूसरा विकल्प है B.Sc Optometry, जो एक अंडरग्रेजुएट कोर्स है और इसकी अवधि लगभग 3–4 साल होती है। इसमें नेत्र विज्ञान (Eye Science), ऑप्टिकल तकनीक और विज़ुअल साइंस की पढ़ाई होती है, ताकि छात्र आंखों की जांच, दृष्टि सुधार उपकरण और सामान्य दृष्टि समस्याओं का इलाज सीख सकें।
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स्टेप 6. भारत के प्रमुख ऑप्टोमेट्रिस्ट संस्थानों के बारे में जानें
आंखों का डॉक्टर बनने के लिए जरूरी कोर्स के साथ-साथ आपको भारत के प्रमुख ऑप्टोमेट्रिस्ट संस्थानों के बारे में जान लेना चाहिए। इन्हीं संस्थानों में आप अपने करियर के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण पाते हैं। यहाँ आपके लिए भारत के प्रमुख सरकारी और गैर सरकारी ऑप्टोमेट्रिस्ट संस्थानों/कॉलेज की सूची दी गई है –
| क्रमांक | संस्थान का नाम | प्रकार | प्रमुख कार्यक्रम | स्थान |
| 1 | अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) | सरकारी | बी.ऑप्टोम (4 वर्ष) | नई दिल्ली |
| 2 | जवाहरलाल स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (JIPMER) | सरकारी | बी.एससी / बी.ऑप्टोम (स्नातक कार्यक्रम) | पुडुचेरी |
| 3 | रीजिनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थलमोजी (RIO), तिरुवनंतपुरम | सरकारी | बी.एससी / बी.ऑप्टोमेट्री, स्नातकोत्तर डिप्लोमा, एम.एस कार्यक्रम (नेत्र विज्ञान / संबद्ध) | तिरुवनंतपुरम, केरल |
| 4 | सरकारी मेडिकल कॉलेज, कोझिकोड (कैलिकट) | सरकारी | बी.एससी / बी.ऑप्टोमेट्री (स्नातक + इंटर्नशिप) | कोझिकोड, केरल |
| 5 | रीजिनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थलमोजी (सीतापुर आई हॉस्पिटल / RIO सीतापुर) | सरकारी / स्वायत्त ट्रस्ट (प्रमुख सार्वजनिक भूमिका) | डिप्लोमा / बी.ऑप्टोम / फेलोशिप / प्रशिक्षण कार्यक्रम | सीतापुर, उत्तर प्रदेश |
| 6 | एलीट स्कूल ऑफ ऑप्टोमेट्री (ESO) – शंकरा नेत्रालय (मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन) | गैर-सरकारी (एनजीओ / निजी ट्रस्ट + शैक्षणिक संबद्धता) | बी.ऑप्टोम (4 वर्ष), एम.ऑप्टोम, पीएचडी, फेलोशिप | चेन्नई (मुख्य) – शाखाएँ (कोलकाता आदि) |
| 7 | एल.वी. प्रसाद आई इंस्टीट्यूट (ब्रायन होल्डन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्टोमेट्री एंड विज़न साइंसेज) | गैर-सरकारी (एनजीओ / उत्कृष्टता संस्थान) | बी.एससी / बी.ऑप्टोम, स्नातकोत्तर डिप्लोमा (PGDOVS), प्रशिक्षण और शोध कार्यक्रम | हैदराबाद, तेलंगाना |
| 8 | अरविंद आई केयर सिस्टम – शिक्षा और प्रशिक्षण (अरविंद स्कूल / LAICO कार्यक्रम) | गैर-सरकारी (ट्रस्ट / एनजीओ) | लघु पाठ्यक्रम, डिप्लोमा / रेज़िडेंसी, डिस्पेंसिंग और पैरामेडिकल प्रशिक्षण; फेलोशिप कार्यक्रम | मदुरै, तमिलनाडु (कई केंद्र) |
| 9 | क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (CMC) वेल्लोर — बी.ऑप्टोम / संबद्ध नेत्र कार्यक्रम | गैर-सरकारी (डीम्ड / निजी-परमार्थ) | बी.ऑप्टोम (स्नातक), डिप्लोमा, संबद्ध प्रशिक्षण; इंटर्नशिप | वेल्लोर, तमिलनाडु |
| 10 | शंकरा नेत्रालय एलीट स्कूल ऑफ ऑप्टोमेट्री (कोलकाता परिसर / SN-ESO) | गैर-सरकारी (एकेडमी / निजी ट्रस्ट) | बी.ऑप्टोम (संबद्ध), एम.ऑप्टोम कार्यक्रम (क्षेत्रीय परिसर) | कोलकाता (और चेन्नई) |
स्टेप 7. कोर्स के बाद लाइसेंस और प्रैक्टिस प्रक्रिया का हिस्सा बनें
MD/MS की डिग्री पूरी करने के बाद, आपको भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) या राज्य चिकित्सा परिषद के साथ एक पंजीकृत ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट के रूप में पंजीकरण करवाना होता हैं। इसके लिए आपको सही समय पर लाइसेंस और प्रैक्टिस प्रक्रिया का हिस्सा बनना जरुरी होता है। इसके बाद अब आप स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस शुरू कर सकते हैं, चाहे वह किसी अस्पताल में नौकरी हो, खुद का क्लिनिक हो या चैरिटेबल अस्पताल में सेवा हो।
स्टेप 8. इंटर्नशिप के माध्यम से अपने अनुभव को बढ़ाएं
आंखों का डॉक्टर बनने के लिए इंटर्नशिप और व्यावहारिक अनुभव बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। जहां MBBS या B.Optometry के अंतिम वर्ष में छात्रों को अस्पतालों में इंटर्नशिप करने का अवसर मिलता है, जिससे उन्हें आंखों की जांच, इलाज और मरीजों से संवाद जैसी वास्तविक परिस्थितियों का अनुभव होता है। हॉस्पिटल में अनुभव लेना इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे छात्रों को क्लीनिकल नॉलेज के साथ-साथ उपकरणों के सही उपयोग और टीमवर्क की समझ भी विकसित होती है।
वहीं, Ophthalmologist बनने के लिए MBBS के बाद रेसिडेंसी प्रोग्राम या MS/MD में प्रवेश लेना पड़ता है, जो उन्हें विशेष रूप से सर्जरी और मेडिकल ट्रीटमेंट की ट्रेनिंग देता है। ये अनुभव न केवल पेशेवर दक्षता बढ़ाते हैं बल्कि करियर की सफलता के लिए भी जरूरी हैं।
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करियर के अवसर और नौकरी के क्षेत्र
ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट बनने के बाद छात्रों के लिए करियर के कई बेहतरीन अवसर उपलब्ध होते हैं, जैसे सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल व क्लिनिक में नौकरी करना, जहां उन्हें नियमित मरीजों की जांच और इलाज का कार्य मिलता है। इसके अलावा, योग्य डॉक्टर खुद का क्लिनिक खोलकर स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस भी कर सकते हैं, जिससे वे अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
कई ऑप्थाल्मोलॉजिस्ट और ऑप्टोमेट्रिस्ट विभिन्न NGO और हेल्थकेयर प्रोजेक्ट्स से जुड़कर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में नेत्र सेवाएं भी देते हैं। सरकारी स्वास्थ्य विभागों में भी समय-समय पर नेत्र विशेषज्ञों की भर्ती की जाती है, जहां स्थायी नौकरी के अवसर मिलते हैं। साथ ही, जिन छात्रों को शिक्षण और शोध कार्य में रुचि हो, वे मेडिकल कॉलेजों में टीचिंग और रिसर्च के क्षेत्र में भी उज्ज्वल करियर बना सकते हैं।
FAQs
आंखों का डॉक्टर बनने के लिए MBBS के बाद Ophthalmology में MS या MD कोर्स करना पड़ता है।
आंखों का डॉक्टर बनने के लिए पहले 5.5 साल का MBBS करना होता है, जिसमें इंटर्नशिप भी शामिल है। इसके बाद Ophthalmology में 3 साल का MS या MD कोर्स करना होता है।
बिना NEET के आप B.Optometry या डिप्लोमा कोर्स करके ऑप्टोमेट्रिस्ट बन सकते हैं, जो आंखों की जांच और लेंस निर्धारण का कार्य करते हैं।
चश्मा बनाने के लिए ऑप्टिशियन से जुड़ा डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करना पड़ता है।
हमें उम्मीद है कि इस लेख में आपको आंखों का डॉक्टर बनने की पूरी जानकारी मिली होगी। अन्य करियर से संबंधित लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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