कृष्णा सोबती का जीवन परिचय : कृष्णा सोबती हिंदी कथा साहित्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती है। उनकी संयमित और साफ-सुथरी रचनात्मकता लेखनी ने हिंदी कथा साहित्य जगत में अपना एक नया पाठक वर्ग बनाया है। यही कारण था कि उनकी कई लंबी कहानियों, उपन्यासों और संस्मरणों ने हिंदी साहित्य में अपनी दीर्घजीवी उपस्थिति दर्ज कराई है। कृष्णा सोबती की रचनाओं को हिंदी साहित्य जगत के पाठक वर्ग के साथ-साथ अन्य भाषाओं के पाठक भी बड़े उत्साह से साथ पढ़ते हैं। इसीलिए भारतीय भाषाओं के साथ ही विदेशी भाषाओं जैसे कि स्वीडिश, रूसी, जर्मन और अंग्रेजी में भी उनकी कई रचनाओं का अनुवाद किया गया हैं।
बता दें कि कृष्णा सोबती की कई रचनाओं को विद्यालय के अलावा बी.ए. और एम.ए. के सिलेबस में विभिन्न विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर पीएचडी की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी कृष्णा सोबती का जीवन परिचय और उनकी रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब प्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती का जीवन परिचय (Krishna Sobti Ka Jivan Parichay)और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
लेखिका का नाम | कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) |
जन्म तिथि | 18 जनवरी 1925 |
जन्म स्थान | गुजरात (पश्चिमी वर्तमान में पाकिस्तान) |
पिता का नाम | श्री दीवान पृथ्वीराज सोबती |
माता का नाम | श्रीमती दुर्गा देवी |
भाई का नाम | जगदीश सोबती |
प्रसिद्ध कहानियां संग्रह | डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी, यारों के यार |
प्रसिद्ध उपन्यास | जिंदगीनामा, सूरजमुखी अँधेरे के, दिलोंदानिश |
पति का नाम | शिवनाथ |
पुरस्कार | ज्ञानपीठ पुरस्कार (वर्ष 2017), साहित्य अकादमी पुरस्कार (वर्ष 1982) |
मृत्यु | 25 जनवरी, 2019 नई दिल्ली |
जीवनकाल | 94 वर्ष |
This Blog Includes:
कृष्णा सोबती का जीवन परिचय | Krishna Sobti Ka Jivan Parichay
कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को गुजरात में हुआ था। भारत के विभाजन के समय गुजरात का वह हिस्सा पाकिस्तान में चले जाने के बाद उनका परिवार दिल्ली आकर बस गया। इनके परिवार के कुछ लोग औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार के मुलाजिम थे। उनके पिता का नाम ‘दीवान पृथ्वीराज सोबती’ था जबकि माता का नाम ‘दुर्गा देवी’ था।
कृष्णा सोबती ने तीन भाई बहनों के साथ स्कूल में अपनी शुरुआती शिक्षा की पढ़ाई शुरू की। उनकी शुरूआती शिक्षा दिल्ली और शिमला में हुई थी। इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा ‘फतेहचंद कॉलेज’, लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में शुरू की थी लेकिन भारत के विभाजन होने पर वह लोग दिल्ली लौट आए। विभाजन के तुरंत बाद इनका परिवार 2 साल तक ‘महाराजा तेज सिंह’ के संरक्षण में भी रहा था जो सिरोही, राजस्थान के महाराजा थे। कृष्णा सोबती 23 वर्ष की आयु से ही लेखन में सक्रिय रही हैं। उन्होंने अपने जिंदगी के 70वें जन्मदिवस के बाद डोंगरी लेखक शिवनाथ जी से विवाह किया था।
अपने पति शिवनाथ के गुज़र जाने तक दोनों दिल्ली के मयूर विहार में तक़रीबन डेढ़ दशक तक साथ रहे और दिल्ली ही अंत तक उनका निवास स्थान रहा। लंबी बीमारी के कारण कृष्णा सोबती की मृत्यु दिल्ली में उनके घर पर 25 जनवरी, 2019 को हुई।
यह भी पढ़ें – मन्नू भंडारी का जीवन परिचय
कृष्णा सोबती का साहित्यिक परिचय
यहां कृष्णा सोबती का जीवन परिचय के साथ साथ संपूर्ण साहित्यक परिचय के बारे में भी बताया जा रहा है। जिन्हें आप नीचे दिए गए बिंदुओं में देख सकते हैं:-
कहानी संग्रह
कहानी संग्रह | प्रकाशन वर्ष |
बादलों के घेरे | सन 1980 |
लंबी कहानी (आख्यायिका/उपन्यासिका)
लंबी कहानियां | प्रकाशन वर्ष |
सिक्का बदल गया | सन 1948 |
डार से बिछुड़ी | सन 1958 |
मित्रो मरजानी | सन 1967 |
यारों के यार | सन 1968 |
तिन पहाड़ | सन 1968 |
ऐ लड़की | सन 1991 |
जैनी मेहरबान सिंह | सन 2007 |
यह भी पढ़ें – महाकवि जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय
उपन्यास
उपन्यास का नाम | प्रकाशन वर्ष |
सूरजमुखी अँधेरे के | सन 1972 |
ज़िन्दगी़नामा | सन 1979 |
दिलोदानिश | सन 1993 |
समय सरगम | सन 2000 |
गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान | सन 2017 |
यह भी पढ़ें – महादेवी वर्मा का जीवन परिचय
विचार-संवाद-संस्मरण
- हम हशमत (तीन भागों में)
- सोबती एक सोहबत
- शब्दों के आलोक में
- सोबती वैद संवाद
- मुक्तिबोध : एक व्यक्तित्व सही की तलाश में -2017
- लेखक का जनतंत्र -2018
- मार्फ़त दिल्ली -2018
यात्रा-आख्यान
- बुद्ध का कमंडल: लद्दाख़
यह भी पढ़ें – सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय
कृष्ण सोबती की साहित्यिक उपलब्धियां
कृष्णा सोबती (Krishna Sobti Ka Jivan Parichay) को हिंदी गद्य साहित्य में अपना विशेष योगदान देने के लिए सरकारी और ग़ैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा कई पुरस्कारों व सम्मान से पुरस्कृत किया जा चुका है, जो कि इस प्रकार हैं :-
- कृष्णा सोबती को सन 1980 में जिंदगीनामा, उपन्यास के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया।
- कृष्णा सोबती को सन 1981 में “शिरोमणि पुरस्कार” के अतिरिक्त “मैथिली शरण गुप्त सम्मान” से सम्मानित किया गया।
- कृष्णा सोबती को सन 1982 में “हिंदी अकादमी पुरस्कार” से पुरस्कृत किया गया।
- कृष्णा सोबती को सन 1996 में “साहित्य अकादमी फेलोशिप” से पुरस्कृत किया गया।
- सन 1999 में “लाइफटाइम लिटरेरी अचीवमेंट अवार्ड” के साथ कृष्णा सोबती प्रथम महिला लेखिका बनीं जिन्हें कथा “चूड़ामणि अवार्ड” से सम्मानित किया गया था।
- कृष्णा सोबती को सन 2008 में हिंदी अकादमी दिल्ली का “शलाका अवार्ड” से भी सम्मानित किया गया है।
- कृष्णा सोबती को सन 2017 में भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान “ज्ञानपीठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया है।
FAQs
कृष्णा सोबती का जन्म पंजाब प्रांत के गुजरात शहर में 18 फरवरी 1925 को हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है।
कृष्णा सोबती की माता का नाम ‘दुर्गा देवी’ था जबकि पिता का नाम ‘दीवान पृथ्वीराज सोबती’ था।
कृष्णा सोबती को वर्ष 2017 में प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था।
हम हशमत, कृष्णा सोबती का लोकप्रिय संस्मरण है।
कृष्णा सोबती की भाषा शैली सहज, सरल, और व्यवहारिक है। वे प्रायः प्रसंगानुकूल और पात्रानुकूल भाषा का प्रयोग करती है।
यह कृष्णा सोबती का बहुचर्चित उपन्यास है।
ज़िंदगीनामा, दिलोदानिश (उपन्यास) और बादलों के घेरे (कहानी संग्रह) उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
कृष्णा सोबती का 25 जनवरी 2019 को 93 वर्ष की आयु में नई दिल्ली में निधन हुआ था।
आशा है कि आपको प्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती का जीवन परिचय (Krishna Sobti Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
-
it’s very amazing
1 comment
it’s very amazing