परिवर्तन एक ऐसी व्यवस्था है जिसको जब तक आप अपनाते नहीं तब तक आप उन्नति और समृद्धि का स्वागत नहीं कर सकते है। परिवर्तन ही संसार का वास्तविक नियम भी हैं, जब तक आप परिवर्तन को नकारकर कुरीतियों की कैद में रहेंगे तब तक आप समय के साथ स्वयं को संसार के साथ आगे नहीं बढ़ा पाएंगे।
श्रृष्टि की संरचना से लेकर मानव की उत्पत्ति में यदि कोई अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है तो वह नारी है, फिर चाहे वह किसी भी अवस्था में हमारे अस्तित्व की रक्षा करती हों। तभी पृथ्वी हो या धरती हो, नदियां हो या गाय सभी को माँ की भूमिका में देखा जाता है क्योंकि यह सभी संसार को माँ के रूप में पालती हैं।
“जब जीव प्राणियों पर संकट गहराया, प्रकृति ने माँ बनकर तब अपना कर्त्तव्य निभाया
जब मानव मृत्यु के भय से घबराया या जब मानव को जग ने ठुकराया
तब माँ बनकर नदियों ने ही मानव को मोक्ष का मार्ग दिखाया
तब माँ बनकर धरती ने ही मानव को अपनाया
मानव का धर्म यही कहता है कि नारी का सम्मान हो
नारी के तप में तपकर ही जीवन सभी का महान हो…”
-मयंक विश्नोई
इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर हमारे गौरवमई इतिहास ने नारियों को सामान अधिकार दिए फिर चाहे युग कोई भी क्यों न हो, सिद्धांत हर युग का एक ही रहा है जिसमें नारी को श्रृष्टि का आधार माना गया जिसका जीता जागता उदाहरण हमारी संस्कृति में बेटों के नाम के आगे माँ का नाम लिया जाता था, जहाँ गार्गी जैसी वेद कन्याओं ने समाज में पुरुषों के साथ वेदों पर चर्चाएं की।
फिर हमारी सभ्यता पर हुए असंख्य हमलों के बाद एक परिवर्तन आया जहाँ से न केवल हमारे भारत देश बल्कि समूचे विश्व में नारियों के अधिकार छीने जाने लगे कहीं उनकी सुरक्षा के नाम पर तो कहीं कुरीतियों के नाम पर, कहीं समाज के नाम पर तो कहीं किसी के रूप-रंग, किसी की जाति तो कहीं धकियानूसी मानसिकता के नाम पर।
फिर 21वीं शताब्दी आते-आते एक सकारात्मक परिवर्तन की लहर देखने को मिली जहाँ कई जगह नारियों को सामान अधिकार दिए जाने लगे तो कहीं नारियां अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है जिसका ताजा उदाहरण ईरान हैं, जहाँ महिलाओं ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए वहां की सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है।
“मानव को सद्मार्ग पर लाने को या कि मानवता बचाने को
विश्व बंधुत्व की बात उठाने को या कि खुशहाली लाने को
सशक्त नारी को करना होगा, एक जतन सभी को करना होगा
विश्व से नफरत का भाव मिटाने को, प्रेम की भाषा सीखाने को
खुले मन से जग को अपनाने को, शान्ति का मार्ग दिखने को
सशक्त नारी को करना होगा, एक जतन सभी को करना होगा …”
-मयंक विश्नोई
हम सभी चाहे तो समान अधिकारों की रक्षा के लिए, खुशियों का संचार करने के लिए और शांति को अपनाने के लिए महिला सशक्तिकरण के लिए सकारात्मक कदम उठा सकते है जो कि बेहतर भविष्य की नीव के रूप में काम करेंगे। ऐसे कदम जो हमारी खुशियों को सुनिश्चित करेंगे। प्रगति के पथ पर चलने के लिए हमें नारियों के सशक्तिकरण के लिए नए रास्ते खोजने चाहिए जिससे नारियां भी सभ्य समाज में अपनी एहम भूमिका निभा सकें।
महिला सशक्तिकरण के लिए हम निम्नलिखित क़दमों को उठाकर भी सभ्य समाज के प्रति अपनी भूमिका सुनिश्चित कर सकते हैं, निम्नलिखित रास्तें महिला विकास और महिला सशक्तिकरण से होते हुए हम सभी की उन्नति और अपार यश के साथ मिलने वाले हमारी सफलताओं तक जाते हैं;
- शिक्षा के रूप में समान अधिकार देने से हम देखेंगे की महिलाओं का शिक्षा स्तर दर बढ़ेगा और इससे नए विचारों की उत्पत्ति होगी।
- नारियों को सही-गलत का अंतर समझाकर स्वतंत्रता देने से सभ्यताओं का पुनःजागरण होगा।
- रोजगार से लेकर सेवाओं के अवसरों को भी समान रूप से देने पर समाज में समानता का भाव बड़ेगा और लोग कदम से कदम मिलाकर चलना सीखेंगे।
- नेतृत्व में महिलाओं की अधिकाधिक भागीदारी होने से अन्य महिलाओं में अपने देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा आएगा और समाज कुरीतियों की कैद से आज़ाद हो जायेगा।
- महिलाओं की कला और कौशल को पहचान कर उन्हें सही दिशा, अच्छा मार्गदर्शन और सच्चा समर्थन देने से नारी सशक्तिकरण को और अधिक बल मिलेगा।
- लिंगभेद को छोड़कर आधुनिक युग में नारियों और पुरुषों को बराबर के अधिकार देने से विश्व में खुशहाली की भावनाओं का संचार होगा इत्यादि।
“एक जन्म के पूरा हो जाने पर, मृत्यु के देहलीज पर आ जाने पर
सांसों के रुक जाने पर, कर्मों के तराजू पर जीवन के तुल जाने पर
नारी की विनम्रता ने फिर कहीं कोख का रथ सजाया
नारी की सहनशीलता में फिर से मानव ने जीवन पाया
क्या पुरुष क्या स्त्री, सभी का सामान अधिकार हो
नारी को अवसर देने से, समृद्धशाली संसार हो…”
-मयंक विश्नोई
आशा है कि आपको यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा और अधिक जानकारी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके ऐसे अन्य ब्लॉग भी पढ़ सकते हैं।