उत्तर: (A) 4
हिंदी व्याकरण के अनुसार विशेषण मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:
- गुणवाचक विशेषण
- परिमाणवाचक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
- सार्वनामिक विशेषण या संकेतवाचक विशेषण
विस्तृत उत्तर:
विशेषण वे शब्द होते हैं जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। ये शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रंग, आकार, संख्या, मात्रा, परिमाण या संकेत की जानकारी देते हैं। हिंदी में विशेषणों को मुख्यतः चार भागों में विभाजित किया गया है:
1. गुणवाचक विशेषण (Gunvachak Visheshan):
यह विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के किसी गुण, दोष, अवस्था, रंग, रूप, स्वाद, गंध आदि का बोध कराते हैं।
उदाहरण: अच्छा लड़का, बुरी लड़की, लाल फूल, सुगंधित इत्र, बीमार व्यक्ति।
2. परिमाणवाचक विशेषण (Parimanvachak Visheshan):
इस प्रकार के विशेषण संज्ञा की मात्रा या परिमाण को व्यक्त करते हैं। ये अधिकतर अमूर्त संज्ञाओं के साथ प्रयुक्त होते हैं।
प्रमुख उपभेद:
- निश्चित परिमाणवाचक: दो किलो चीनी, पाँच लीटर दूध
- अनिश्चित परिमाणवाचक: थोड़ा पानी, अधिक ज्ञान, कुछ काम
3. संख्यावाचक विशेषण (Sankhyavachak Visheshan):
यह विशेषण संज्ञा की संख्या या क्रम को दर्शाते हैं।
प्रमुख उपभेद:
- निश्चित संख्यावाचक: एक लड़का, दस पुस्तकें, पहला छात्र
- अनिश्चित संख्यावाचक: कुछ लोग, कई बच्चे, थोड़े विद्यार्थी
अन्य वर्गीकरण: - गणनावाचक: एक, दो, तीन
- क्रमवाचक: पहला, दूसरा, तीसरा
- आवृत्तिवाचक: दुगुना, तिगुना
- समूहवाचक: दोनों, तीनों, सब
4. सार्वनामिक विशेषण या संकेतवाचक विशेषण (Sarvanamik/Sanketvachak Visheshan):
जब कोई सर्वनाम संज्ञा से पहले आकर उसकी ओर संकेत करता है और उसमें विशेषता जोड़ता है, तब वह सार्वनामिक विशेषण कहलाता है।
उदाहरण: यह लड़का, वह पुस्तक, कोई छात्र, किस लड़की
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