संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए।

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संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए
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उत्तर- सूरदास के भ्रमरगीत की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं—

  1. गोपियाँ उद्धव के समक्ष अपनी बात सहजता और स्पष्टता से रखती हैं, जिससे उनके भीतर छिपा पीड़ा, प्रेम और तर्क एक साथ झलकता है।
  2. संकलित पदों में गोपियों का पावन कृष्ण-प्रेम उजागर होता है। उन्होंने अपने प्रेम को हारिल पक्षी के पंजों में फँसी लकड़ी के समान बताया है, जिससे स्पष्ट होता है कि वे अपने प्रेम से मुक्त नहीं हो सकतीं।
  3. गोपियाँ वचन-वक्रता, तर्कशीलता और भावुकता में प्रवीण हैं। उनकी बातों में गहरा तर्क और आत्मीयता है।
  4. भ्रमरगीत में गोपियों के व्यंग्य, कटाक्ष, उलाहना, निराशा, प्रार्थना एवं गुहार जैसे विविध मनोभाव तीखे और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त हुए हैं।
  5. गोपियाँ ज्ञान और योग मार्ग का तिरस्कार करती हैं तथा प्रेम-भक्ति को ही श्रेष्ठ मानती हैं।
  6. भ्रमरगीत की भाषा साहित्यिक ब्रजभाषा है, जिसमें कोमलकांत पदावली, अलंकारों का सहज प्रयोग और वियोग-श्रृंगार रस की प्रमुखता देखने को मिलती है।
  7. ज्ञान और योग के तिरस्कार में जो ध्वनि उत्पन्न होती है, वह तिरस्कृत वाच्य ध्वनि सौंदर्य का सशक्त उदाहरण है।
  8. गोपियों की वचन-विदग्धता और वाक्-चातुर्य अत्यंत प्रभावशाली हैं, जो उन्हें उद्धव जैसे ज्ञानी से भी श्रेष्ठ सिद्ध करते हैं।
  9. सूरदास ने गोपियों के माध्यम से कृष्ण के प्रति उनकी अनन्य भक्ति और गहन विरह-वेदना का मार्मिक चित्रण किया है।

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