Manvikaran Alankar Ki Paribhasha: मानवीकरण अलंकार की परिभाषा क्या है?

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Manvikaran Alankar Ki Paribhasha
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जहाँ प्राकृतिक वस्तुओं में मानवीय भावनाओं को दिखाया जाता है वहाँ मानवीकरण अलंकार (Manvikaran Alankar) होता हैं। मानवीकरण अलंकार का एक उदाहरण देखें; ‘हंस देता जब प्रात सुनहले अंचल में बिखरा रोली, लहरों की बिछलन पर जब मचली पड़ती किरणें भोली,

स्पष्टीकरण – यहाँ प्रात:काल का रोली बिखेरना, हंसना, लहरों का मचलना, कलियों का घूंघट खोलना आदि मानवीकरण अलंकार (Manvikaran Alankar) है। यहाँ प्रकृति को मानवीय कार्य करते हुए दिखाया गया है।

मानवीकरण अलंकार की परिभाषा

जहाँ पर अमूर्त भावों का मूर्तवन वर्णन हो, अचेतन पदार्थों पर चेतन का या मानवीय व्यवहार का आरोपण हो, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है। इससे भाषा में चमत्कार एवं वक्रता दिखाई देती है जो उसे प्रभावी बनाता है। 

मानवीकरण अलंकार के उदाहरण

मानवीकरण अलंकार के उदाहरण इस प्रकार हैं:-

  • सागर के उर पर नाच नाच करती हैं लहरें मधुर गान।
  • फूल हँसे कलियाँ मुस्काई। 
  • बीती विभावरी जाग री, अंबर पनघट में डुबो रहीं, ताराघट उषा नागरी।
  • उषा सुनहरे तीर बरसाती, जय लक्ष्मी-सी उदित हुई।
  • तनकर भाला यह बोल उठा-राणा मुझको विश्राम न दे।

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