Ladakh Me Kitne Jile Hai: लद्दाख में कितने जिले हैं?

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Ladakh Me Kitne Jile Hai
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(d) 7
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उत्तर: सही उत्तर: (d) – वर्तमान में लद्दाख में कुल 7 जिले हैं। लद्दाख का सबसे बड़ा जिला लेह है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 45,110 वर्ग किलोमीटर है। सबसे छोटा जिला कारगिल है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 14,086 वर्ग किलोमीटर है। 31 अक्टूबर 2019 को, जम्मू और कश्मीर से लद्दाख को अलग कर एक नया संघ राज्य क्षेत्र बनाया गया था। पहले लद्दाख में केवल 2 जिले थे, लेकिन प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए, अगस्त 2024 में 5 नए जिले बनाए गए, जिससे कुल जिलों की संख्या 7 हो गई। 

(आपको बता दें कि यह प्रश्न 17 मार्च 2020 को SSC CHSL Previous Paper 115 Shift 2 में पूछा गया है)

विस्तृत उत्तर 

लद्दाख, भारत का एक संघ राज्य क्षेत्र (Union Territory) है, जो अपनी अद्भुत सुंदरता और उच्च-ऊंचाई वाले परिदृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। 2024 तक, लद्दाख में 7 जिले हैं, जिसमें पहले से मौजूद लेह और कारगिल जिले शामिल थे।

अगस्त 2024 में लद्दाख में पांच नए जिले बनाने की घोषणा की गई थी। जिनके नाम थे: ज़ांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा, और चांगथांग। इससे पहले लद्दाख में केवल दो जिले थे: लेह और कारगिल, जिनका गठन 1979 में हुआ था। 

क्षेत्रफल के अनुसार, लद्दाख का सबसे बड़ा जिला लेह है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 45,110 वर्ग किलोमीटर है।

वर्तमान में, लद्दाख का सबसे छोटा जिला कारगिल है, जिसका क्षेत्रफल 14,086 वर्ग किलोमीटर है। नए जिलों के गठन के बाद यह स्थिति बदल सकती है। इन जिलों का गठन क्षेत्रीय प्रशासन को सुधारने और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है। यह जिले लद्दाख के भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।

लद्दाख के सभी 7 जिलों की सूची

जिलामुख्यालय
लेहलेह
कारगिलकारगिल
ज़ांस्करपदुम
द्रासद्रास
नुबरानुबरा
शामशाम
चांगथांगचांगथांग

लद्दाख का इतिहास 

लेह, जो आज अपनी सुंदरता और बौद्ध संस्कृति के लिए मशहूर है, पुराने समय में अलग-अलग नामों से जाना जाता था। कुछ लोग इसे मार्युल यानी ‘निचली भूमि’ कहते थे, तो कुछ इसे खा-चुम्पा बुलाते थे। पुराने यात्रियों ने भी इसका जिक्र किया है। चीनी यात्री फ़ाह्यान ने इसे किया-चा कहा और ह्वेन त्सांग ने मा-लो-फो बताया।

इस धरती पर सबसे पहले दादरस्तान के ब्रोकपा लोग आए और सिंधु घाटी के निचले इलाके, जिसे आज शाम कहते हैं, वहां बस गए। उसके बाद कुल्लू से मोंस लोग आए, जो आर्य थे। उन्होंने सबसे पहले ग्या में अपना घर बनाया और फिर धीरे-धीरे रोंग, श्योक, शक्ति, तांगत्से और दुर्बुक जैसे इलाकों में फैल गए। यह इलाका मार्त्सेलंग से खलत्सी तक फैला हुआ है।

ग्या नाम की जगह पहले मोन राजा की राजधानी थी, जिसे वहां के सभी लोगों ने मिलकर चुना था। वह राजा उन सभी गांवों का मालिक था जहां मोंस लोग रहते थे। उसे ग्यापाचो कहते थे, जिसका मतलब होता है ‘ग्या का स्वामी’। इस तरह, लेह का एक पुराना और दिलचस्प इतिहास रहा है।

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