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उत्तर: इस कथन का आशय यह है कि लक्ष्मण परशुराम के स्वभाव पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि हे मुनि! आपके स्वभाव को कौन नहीं जानता? आपका क्रोधी और कठोर स्वभाव सारे संसार में प्रसिद्ध है। इसी कारण आपने पिता की आज्ञा मानकर अपनी माता का वध कर दिया था। इस कृत्य से आप अपने माता-पिता के ऋण से उऋण हो गए। यह बात जगत के लिए जानी-पहचानी है।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
- अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
- दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए इस विषय पर कहानी लिखिए।
- उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
- लक्ष्मण के वचनों से बढ़े हुए परशुराम जी के क्रोध को किसने और कैसे शान्त किया?
- ‘दोहा’ नामक छंद के लक्षण लिखिए।
- लक्ष्मण को परशुराम को मारने पर पाप और अपयश की सम्भावना क्यों थी?
- क्रोध पर विनय और व्यंग्य का अलग-अलग प्रभाव कैसे पड़ता है? ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
- ‘कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा।।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
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