Alankar Kise Kahte Hain: अलंकार किसे कहते हैं?

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अलंकार किसे कहते हैं
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अलंकार का अर्थ है — “श्रृंगार” या “सौंदर्य वृद्धि।” हिंदी साहित्य में, अलंकार वे विशेष भाषा सौंदर्य के उपकरण हैं, जिनसे कविता, गद्य या किसी भी साहित्यिक रचना की सुंदरता, प्रभावशीलता और आकर्षण बढ़ता है। जिस प्रकार गहने शरीर को सजाते हैं, उसी प्रकार अलंकार शब्दों को सजाकर साहित्य को मोहक और जीवंत बनाते हैं।

सरल शब्दों में, भाषा को अधिक मधुर, प्रभावशाली और आकर्षक बनाने के लिए जिन साधनों का उपयोग किया जाता है, उन्हें अलंकार कहते हैं।

Detailed Solution

अलंकार की परिभाषा (Alankar Ki Paribhasha)

व्याकरण और साहित्य शास्त्र के अनुसार, जब किसी कविता या गद्य में शब्दों और भावों को विशेष ढंग से सजाकर सुंदरता और प्रभाव उत्पन्न किया जाता है, तो उसे अलंकार कहा जाता है।
परिभाषा:

“जब शब्द और अर्थ को विशेष रूप से सजाकर साहित्य में सौंदर्य और आकर्षण उत्पन्न किया जाए, तो उसे अलंकार कहते हैं।”

Additional Information

अलंकार का महत्व

  • साहित्य में भावों को गहराई से व्यक्त करने का साधन है।
  • काव्य, कहानी या निबंध को अधिक सुंदर, मार्मिक और प्रभावशाली बनाता है।
  • पाठकों और श्रोताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ता है।
  • भाषा में रोचकता और प्रवाह लाता है।
  • अलंकार हिंदी साहित्य की आत्मा है, जो रचनाओं को सुंदरता, प्रभाव और आकर्षण से भर देता है।
  • एक कुशल लेखक या कवि अलंकारों का सही प्रयोग करके अपने शब्दों को जादुई बना सकता है।
  • इसलिए, हिंदी साहित्य की गहराई को समझने और रचनात्मकता को निखारने के लिए अलंकारों का अध्ययन अत्यंत आवश्यक है।

अलंकार के प्रकार

हिंदी साहित्य में मुख्यतः दो प्रकार के अलंकार माने जाते हैं:

  1. शब्दालंकार (Shabd Alankar):
    जब शब्दों की रचना, ध्वनि, लय, अनुप्रास आदि से सौंदर्य उत्पन्न होता है, तब उसे शब्दालंकार कहते हैं।
    उदाहरण: अनुप्रास अलंकार, यमक अलंकार, श्लेष अलंकार
  2. अर्थालंकार (Arth Alankar):
    जब अर्थ या भाव के माध्यम से रचना में सुंदरता आती है, तो उसे अर्थालंकार कहते हैं।
    उदाहरण: उपमा अलंकार, रूपक अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार

कुछ प्रमुख अलंकारों के उदाहरण

  • उपमा अलंकार: किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना दूसरे से करना।
    उदाहरण: “वह चाँद सा सुंदर है।”
  • रूपक अलंकार: किसी वस्तु को सीधे ही दूसरी वस्तु बना देना।
    उदाहरण: “वह फूलों की रानी है।”
  • अनुप्रास अलंकार: एक ही ध्वनि या अक्षर की पुनरावृत्ति से मधुरता लाना।
    उदाहरण: “चलो चलें चाँदनी रात में।”
  • यमक अलंकार: एक ही शब्द का एक वाक्य में दो बार भिन्न अर्थों में प्रयोग करना।
    उदाहरण: “नयन नीर बहे नयन से।”

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