प्रमुख सुर्खियां
- मुस्लिम शासकों के बर्बर और अत्याचारपूर्ण शासन से परेशान होकर लोगों ने भगवान की शरण में खुद को अधिक सुरक्षित समझते थे इसलिए उन्होंने भक्ति मार्ग का सहारा लिया।
- मुस्लिम शासकों द्वारा मूर्तियों को नष्ट करने की वजह से ईश्वर के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा और वे भक्ति मार्ग की ओर बढ़े।
- उस समय की वर्ण व्यवस्था की शोषणकारी नीतियों से परेशान होकर लोग संतों द्वारा दिए गए सौहार्द और सद्भाव से लोग प्रभावित हुए।
अन्य महत्वपूर्ण बातें
- मध्यकाल में भक्ति आंदोलन की शुरुआत सबसे पहले अलवार एवं नयनार संतों द्वारा की गई थी।
- 12वीं सदी में इस आंदोलन को दक्षिण भारत से उत्तर भारत में लाने का श्रेय संत रामानन्द को जाता है।
- इस आंदोलन में चैतन्य महाप्रभु, नामदेव, जयदेव और संत तुकाराम ने इस आंदोलन को और मजबूत किया।
भक्ति आंदोलन के महत्व
- भक्ति आंदोलन ने लोगों को धार्मिक कर्मकांडों से दूर रखा
- भक्ति आंदोलन ने जातिवाद के प्रभाव को कम किया और एकता एवं सौहार्द का सन्देश दिया।
- भक्ति आंदोलन से क्षेत्रीय भाषा के साहित्य को भी बहुत प्रोत्साहन मिला। हिंदी, उर्दू और पंजाबी एवं तमिल, तेलगु जैसी क्षेत्रीय भाषाओ में संतों ने रचनाएं की।
- भक्ति आंदोलन में सूफी संतों के भाग लेने के कारण हिन्दू मुस्लिम एकता को बढ़ावा मिलता है।
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