World Environment Day Shayari : विश्व पर्यावरण दिवस पर शायरी, जो आपको पर्यावरण के महत्व के बारे में बताएंगी

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World Environment Day Shayari in Hindi

विश्व पर्यावरण दिवस, एक ऐसा दिन है जिसको विश्व के लगभग 143 देशों में प्रत्येक वर्ष पूरे उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य समाज में पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस दिन को पहली बार 5 जून 1973 में मनाया गया था, जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थियों को विश्व पर्यावरण दिवस पर लिखित शायरी को जरूर पढ़ने चाहिए, ताकि विद्यार्थियों को इसके महत्व के बारे में सही जानकारी हो। विश्व पर्यावरण दिवस पर शायरी समाज में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का काम करती हैं। इस ब्लॉग में लिखित World Environment Day Shayari in Hindi में पढ़कर समाज को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सकता है। 

विश्व पर्यावरण दिवस पर शायरी – World Environment Day Shayari in Hindi

विश्व पर्यावरण दिवस पर शायरी के माध्यम से आप आपके जीवन पर प्रकृति के प्रभाव और इसके महत्व को जान पाएंगे। विश्व पर्यावरण दिवस पर शायरी (World Environment Day Shayari in Hindi) कुछ इस प्रकार हैं;

“प्रकृति ही हर दफा सही मायनों में हमारे सपनों का विस्तार करती है
स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण में ही पीढ़ियां अपने सपने साकार करती हैं…”
-मयंक विश्नोई

“खुशहाल है हम सब कि ये पर्यावरण ही अपना परिवार है
प्रकृति का यशगान करके ही हुआ अपना ठोस आधार है…”
-मयंक विश्नोई

“प्रकृति का सम्मान करने वालों के यश का सदा विस्तार हो
पर्यावरण का संरक्षण करने वालों का आज हर सपना साकार हो…”
-मयंक विश्नोई

“ज़रा सुनें अपनी जीवन शैली को सुधारें आप
प्रकृति का संरक्षण करें और एक कर्ज उतारे आज…”
-मयंक विश्नोई

“प्रकृति के अस्तित्व को झुठलाया नहीं जाए
पर्यावरण संरक्षण के प्रस्ताव को ठुकराया नहीं जाए…”
-मयंक विश्नोई

“काम करे कुछ ऐसा जीवन में अपने
कि पर्यावरण प्रेमियों में आपका भी नाम ‘नामज़द’ हो…”
-मयंक विश्नोई

“जीवन का मोल जानें और प्रकृति का सम्मान करें
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आगे बढ़कर, सभ्य समाज की पहचान बनें…”
-मयंक विश्नोई

“यक़ीनन खुशनसीब है हर वो इंसान यहाँ,
जो जान गया है कि प्रकृति का महत्व क्या है…”
-मयंक विश्नोई

“आपका जीवन पर्यावरण का सम्मान करे
आपका हर कदम प्रदूषण का प्रतिघात करे…”
-मयंक विश्नोई

“यहाँ सबकी आहट कर्जदार है प्रकृति की
किस हक़ से इंसान खुद पर खुद का हक़ समझता है…”
-मयंक विश्नोई

यह भी पढ़ें : जानिए कैसे तैयार करें विश्व पर्यावरण दिवस पर भाषण

पर्यावरण पर दो लाइन – World Environment Day Shayari in Hindi

पर्यावरण पर दो लाइन पढ़कर आप प्रकृति के महत्व को जान पाएंगे ,जिनका मकसद आपको पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करना होगा। पर्यावरण पर दो लाइन निम्नलिखित शायरी के माध्यम से दर्शायी गयीं है –

“इस दौर में हम पर्यावरण को बचाकर ही
अपने आने वाले कल को बचा पाएंगे…”
-मयंक विश्नोई

“सच यही है कि प्रकृति ने हमें हमेशा दिया है
यही वक़्त है प्रकृति को कुछ वापिस लौटने का…”
-मयंक विश्नोई

“स्वच्छ पर्यावरण ही बनता है हमारे सपनों का आधार
सुरक्षित पर्यावरण ही करता है हमारे यश का विस्तार…”
-मयंक विश्नोई

“रुकना नहीं, अभी बढ़ना है आगे पर्यावरण का महत्व जानकर
जीना है फक़्त प्रकृति के लिए, इसे हर-दम अपना मानकर…”
-मयंक विश्नोई

“अपनी जिम्मेदारियों को कन्धों पर लादकर
हम पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज में जागरूकता लाएंगे…”
-मयंक विश्नोई

यह भी पढ़ें : विश्व पर्यावरण दिवस – जानिए पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है?

पर्यावरण पर शेर – World Environment Day Shayari in Hindi

पर्यावरण पर शेर पढ़कर आप कुछ लोकप्रिय शायरों के प्रकृति पर विचारों को जान पाएंगे। पर्यावरण पर शेर समाज को पर्यावरण संरक्षण के विषय पर अनोखे अंदाज़ में जगाने का काम करेंगे। पर्यावरण पर शेर निम्नलिखित हैं –

जंगलों को काट कर कैसा ग़ज़ब हम ने किया
शहर जैसा एक आदम-ख़ोर पैदा कर लिया
-फ़रहत एहसास

आग जंगल में लगी है दूर दरियाओं के पार
और कोई शहर में फिरता है घबराया हुआ
-ज़फ़र इक़बाल

जंगल जंगल आग लगी है दरिया दरिया पानी है
नगरी नगरी थाह नहीं है लोग बहुत घबराए हैं
-जमील अज़ीमाबादी

अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है
-बशीर बद्र

मैंने अपनी ख़ुश्क आंखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
-राहत इंदौरी

गाँव से गुज़रेगा और मिट्टी के घर ले जाएगा
एक दिन दरिया सभी दीवार-ओ-दर ले जाएगा
-जमुना प्रसाद राही

गुल से लिपटी हुई तितली को गिरा कर देखो
आँधियों तुमने दरख़्तों को गिराया होगा
-कैफ़ भोपाली

किसी शजर के सगे नहीं हैं ये चहचहाते हुए परिंदे
तभी तलक ये करें बसेरा दरख़्त जब तक हरा भरा है
-नीरज

किसी दरख़्त से सीखो सलीक़ा जीने का
जो धूप छांव से रिश्ता बनाए रहता है
-अतुल अजनबी

फलदार था तो गांव उसे पूजता रहा
सूखा तो क़त्ल हो गया वो बे-ज़बां दरख़्त
-परवीन कुमार अश्क़

इस रास्ते में जब कोई साया न पाएगा
ये आख़िरी दरख़्त बहुत याद आएगा
-अज़हर इनायती

शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
-राहत इंदौरी

हवा के दोश पे उड़ती हुई ख़बर तो सुनो
हवा की बात बहुत दूर जाने वाली है
-हसन अख्तर जलील

नदी थी कश्तियाँ थीं चाँदनी थी झरना था
गुज़र गया जो ज़माना कहाँ गुज़रना था
-शहराम सर्मदी

है दरख़्तों की शायरी जंगल
धूप-छाया की डायरी जंगल
-वर्षा सिंह

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पर्यावरण पर नज़्में

पर्यावरण पर नज़्में एक अनोखे अंदाज़ में समाज को पर्यावरण का महत्व बताएंगी। पर्यावरण पर नज़्में कुछ इस प्रकार हैं –

पहाड़

बंजर हैं पथरीले हैं
और कहीं बर्फ़ीले हैं
दिलकश हैं शादाब भी हैं
ख़ुद में समेटे ख़्वाब भी हैं
-सय्यद शकील दस्नवी
दरख़्त
धूप में साया-दार दरख़्त
लदे-फदे फलदार दरख़्त
ताज़ा इन से हवा मिले
जीने का सब मज़ा मिले
-सय्यद शकील दस्नवी

कल जब दरख़्त न होंगे

बया से चिड़िया
चिड़िया से तोते
और तोते से कव्वे
नील-कंठ वूड-पेकर
और लाली तक
परिंदों जानवरों
और इंसानों का
रिज़्क़ और जीवन
बाहम
आपस में जुड़े हुए हैं
दरख़्तों पौदों
फूलों और फलों से
हम सब का जीवन है
दरख़्तों की हरियाली तक
हम सब हरियल हैं
कल जब
दरख़्त नहीं होंगे
तो
कुछ भी न होगा
बद-बख़्ती हम पर
कुत्ते की सूरत भौंकेगी
कल हम को
सब आराम मयस्सर होंगे
लेकिन
हम ख़ुश-बख़्त न होंगे
शायद
जीने की सरसब्ज़ तमन्ना
डाली डाली
सिसक सिसक कर
मर जाएगी
ये ताज और तख़्त न होंगे
शायद
वीरान समय
बारिश को तरसेंगे
हर-सू आग के शो’ले होंगे
तब हम पर
धुएँ कालक
और
कार्बन के अज्ज़ा बरसेंगे
जीना है तो बाहर आओ
अपने लिए
और आने वाली नस्लों की
ख़ातिर
दरख़्त लगाओ
बाहर आओ
आज परिंदे और जानवर
मुश्किल में हैं
जल्द हमारी बारी है
देखो
सर पे मौत खड़ी है
और बन पर
वहशत तारी है
पहले
जहाँ नदी बहती थी
अब के वहाँ पर
ख़ून का दरिया जारी है
फ़स्लें ग़ल्ला और
दरख़्त हैं
सब की ज़रूरत
किसान है
या कोई हारी है
माँग सभी की
गोश्त है
दूध और फल हैं
सब्ज़ी और तरकारी है
वो घर भी
क्या घर है जहाँ पर
फल फूल हैं
न फुलवारी है
कल जब दरख़्त नहीं होंगे
हम ख़ुश-बख़्त नहीं होंगे
-अशरफ़ जावेद मलिक

झील

दर्पन चाँद सितारों का
फ़ितरत के नज़्ज़ारों का
गहरी चंचल नीली झील
हद्द-ए-नज़र तक फैली झील
-सय्यद शकील दस्नवी

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