हर साल अप्रैल महीने में धूमधाम से मनाया जाने वाला बैसाखी का पर्व, हमारे देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का सुंदर प्रतीक है। यह त्यौहार विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में किसानों के नए साल की शुरुआत और फसल कटाई की खुशी के रूप में मनाया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक आयोजनों में इस दिन को लेकर भाषण प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां छात्रों को बैसाखी पर प्रभावशाली भाषण देने का अवसर मिलता है। अगर आप भी बैसाखी पर भाषण (Speech on Baisakhi in Hindi) की तलाश कर रहे हैं—चाहे वह 1 मिनट का छोटा भाषण हो या 5 मिनट का विस्तृत स्पीच—तो यह ब्लॉग आपके लिए एकदम सही है। यहां हम आपके लिए बैसाखी पर कुछ बेहतरीन भाषण के सैंपल्स लेकर आए हैं, जो सरल भाषा में लिखे गए हैं और बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी के लिए उपयोगी हैं।
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बैसाखी के बारे में
बैसाखी पंजाब और सिख समाज का एक प्रमुख उत्सव है। इसे फसल के मौसम के स्वागत के रूप में देखा जाता है। वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह साहब ने खलसा की स्थापना के लिए इस त्यौहार को चुना था। यह बपतिस्मा लेने वाले सिखों के लिए एक सामूहिक नाम है। संगीत भी बैसाखी का एक ख़ास अंग है।
बैसाखी कैसे मनाई जाती है?
वैसाखी मनाने के लिए सिख गुरुद्वारे नामक पूजा स्थल पर जाते हैं। इस दिन गुरुद्वारे विशेष रूप से सजाए जाते हैं। बहुत से लोग सड़कों पर परेड और विशेष जुलूसों का आनंद लेते हैं नगर कीर्तन के रूप में जाना जाता है। इस दिन उत्सवों में पारम्परिक रूप से गायन और संगीत के साथ साथ ज़ोर जोर से धर्मग्रन्थ पढ़ना और भजन कीर्तन शामिल है। पंजाब के किसान भी वैसाखी का उपयोग भरपूर फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते हैं और प्रार्थना करते हैं।
बैसाखी पर भाषण 100 शब्दों में
बैसाखी पर भाषण (Speech on Baisakhi in Hindi) 100 शब्दों में इस प्रकार है:
आदरणीय प्राचार्य महोदय, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,
आज हम बैसाखी का पावन और उल्लासपूर्ण पर्व मना रहे हैं। यह त्यौहार न केवल सिख समुदाय के लिए, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। बैसाखी, सिख नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और इसी दिन 1699 में गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। यह फसल कटाई का पर्व भी है, जो किसानों की मेहनत और समर्पण का उत्सव है। साथ ही, यह भाईचारे और एकता का संदेश भी देता है।
आइए, हम सब मिलकर इस पर्व को उत्साह और उल्लास से मनाएं।
धन्यवाद!
बैसाखी पर भाषण 200 शब्दों में
बैसाखी पर भाषण (Speech on Baisakhi in Hindi) 200 शब्दों में इस प्रकार है:
आदरणीय प्राचार्य महोदय, शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,
आज हम बैसाखी का पर्व उल्लास और उमंग के साथ मना रहे हैं। यह त्यौहार न केवल सिखों के लिए, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक अवसर है। बैसाखी हर साल अप्रैल महीने में मनाई जाती है। यह प्रमुख रूप से सिख धर्म का पर्व है, लेकिन पंजाब के हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग भी इस उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यही इसे भाईचारे, एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बनाता है।
बैसाखी 1699 की उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाती है जब दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दिन को सिख धर्म में एक पावन और गौरवशाली दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो साहस, बलिदान, धार्मिक चेतना और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन, अरदास, लंगर और कराह प्रसाद का आयोजन किया जाता है। मेलों और झांकियों का आयोजन होता है, जहां भांगड़ा और गिद्दा जैसे पारंपरिक नृत्य माहौल को और भी जीवंत और रंगीन बना देते हैं।
आइए, हम सब इस महान पर्व को एकता, प्रेम, प्रेरणा और उल्लास के साथ मनाएं और देश में खुशहाली व समृद्धि की प्रार्थना करें।
आप सभी को बैसाखी की हार्दिक शुभकामनाएं।
धन्यवाद!
बैसाखी पर भाषण 500 शब्दों में
बैसाखी पर भाषण (Speech on Baisakhi in Hindi) 500 शब्दों में इस प्रकार है:
आदरणीय प्राचार्य महोदय, शिक्षक एवं मेरे प्रिय साथियों,
आज हम बैसाखी का त्योहार मना रहे हैं। यह न केवल सिखों के लिए बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
बैसाखी का त्योहार केवल सिखों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। सबसे पहले तो बैसाखी सिखों के नए साल का प्रतीक है। इस दिन गुरु जी ने पांच प्यारों को अमृतपान कराकर खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा पंथ सिख धर्म की एक प्रमुख शाखा है। इसके अलावा बैसाखी फसलों की कटाई का भी त्योहार है। यह किसानों की कड़ी मेहनत और समर्पण का उत्सव है। इस दिन किसान भगवान से उन्हें अच्छी फसल देने के लिए उनका शुक्रिया करते हैं और अपने मंगल के लिए प्रार्थना करते हैं।
बैसाखी सामाजिक समरसता और भाईचारे का भी त्योहार है। इस दिन किसान भगवान से सुख और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर उन्हें मिठाइयां बांटते हैं और खुशियां मनाते हैं। इसके अलावा बैसाखी वीरता और बलिदान का भी त्योहार है। यह दिन उन वीरों की याद दिलाता है जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। इस दिन लोग उन वीरों को नमन करते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि बैसाखी का त्योहार भारत के अलावा इंग्लैण्ड, अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इन देशों में पंजाबी और भारत के अन्य क्षेत्रों के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इस कारण से वे बड़े जोश के साथ इन देशों में बैसाखी का त्योहार मनाते हैं। इस तरह से हम कह सकते हैं कि बैसाखी विदेशों में भी भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार का एक जरिया बनता जा रहा है।
कुछ लोग नशा करके इतने पवित्र त्योहार में रंग में भंग डालने का प्रयास करते हैं। हमें ऐसा करने से बचना चाहिए। त्योहार अच्छी आदतों को अपनाने का एक जरिया होते हैं न कि गलत आदतों को चुनने का एक बहाना। हमें गर्व है कि हमारे देश में बैसाखी जैसा एक पवित्र और जोशीला त्योहार मनाया जाता है। बैसाखी लोगों को अपनी कला का प्रदर्शन करने का भी एक मौका प्रदान करता है। बैसाखी के मौके पर औरतें अच्छे अच्छे लोकगीत गाती हैं। इसके अलावा युवा पुरुष और लड़कियां भी बैसाखी के अवसर पर गिद्दा और भांगड़ा पाती हैं।
बैसाखी का त्योहार हमें कई महत्वपूर्ण सन्देश देता है। यह हमें सिखाता है कि हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए। सामजिक समरसता बनाए रखनी चाहिए और देश के लिए अपना बलिदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके अलावा यह दिन हमें बताता है कि हम सभी को आपस में मिलजुलकर रहना चाहिए। यह दिन हमें देश के प्रति बलिदान देना भी सिखाता है।
आइए हम इस त्योहार को खुशी और उत्साह के साथ मनाएं और इसके महत्वपूर्ण सन्देश को अपने जीवन में उतारें। आशा करते हैं यह बैसाखी हमारे लिए खुशहाली, समृद्धि और शान्ति लेकर आए। सभी लोगों को बैसाखी की ढेर सारी शुभकामनाएं।
धन्यवाद!
बैसाखी के बारे में 10 लाइन
बैसाखी के बारे में 10 लाइन इस प्रकार हैं:
- बैसाखी पंजाब प्रांत का मुख्य त्योहार है।
- बैसाखी सिख धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।
- बैसाखी को हर साल 13 अप्रैल के दिन मनाया जाता है।
- बैसाखी के दिन सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।
- बैसाखी को फसलों का त्योहार भी माना जाता है।
- बैसाखी के दिन लोग रंग बिरंगे कपड़े पहनते हैं।
- बैसाखी के दिन लोग गुरूद्वारे में माथा टेकने जाते हैं।
- भांगड़ा और गिद्दा नृत्य इस त्योहार के मुख्य आकर्षण हैं।
- बैसाखी लोगों को एकजुट होकर रहने का सन्देश देता है।
- बैसाखी भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है।
FAQs
13 अप्रैल 1699 को सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। बैसाखी के पर्व की शुरुआत तभी से मानी जाती है।
बैसाखी पंजाब का त्यौहार है।
वैसाखी को सिख धर्म के लोग नए साल के रूप में मानते हैं। 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने खालसा पंत की शुरुआत की थी। तब से इस दिन को हर साल 13 अप्रैल के दिन बैसाखी के रूप में मनाया जाता है।
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