विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने ऐसी सभी यूनिवर्सिटी-कॉलेजों को निर्देश दिया है कि जो स्टूडेंट्स के कहीं और ट्रांसफर होने पर उनकी फीस वापस नहीं दे रहे हैं। इससे पहले आयोग ने पहले इंस्टीट्यूट से अनुरोध किया था। UGC द्वारा कहा गया है कि फीस रिफंड पॉलिसी के अनुसार स्टूडेंट्स की शिकायतों का सेटलमेंट किया जाए। यूजीसी के पास ऐसी कई शिकायतें आई हैं। यूजीसी ने अपनी पॉलिसी में साफ कहा है कि एक विश्वविद्यालय से दूसरे इंस्टीट्यूट में ट्रांसफर होने पर स्टूडेंट्स को फीस वापस करनी होगी। आपको बता दें की यूजीसी द्वारा 2023-24 के लिए फीस रिफंड पॉलिसी लागू की थी, जिसके उपरांत स्टूडेंट्स को फीस वापस की गई है, लेकिन अभी कई शिकायतें आ रही हैं। पिछले साल भी UGC की सख्ती के बाद करोड़ों रुपये की फीस वापसी हुई थी।
हर संस्थान पर लागू हैं नियम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक UGC के सीनियर ऑफिसर का कहना है कि फीस रिटर्न को लेकर जो रूल तय किए गए हैं, उन नियमों को सभी इंस्टीट्यूट को मानना जरूरी है। यदि इंस्टीट्यूट रूल के खिलाफ जाकर कार्य करते हैं तो UGC को कार्रवाई करनी पड़ेगी।
ओरिजनल दस्तावेज नहीं लौटाने की भी शिकायतें
UGC के पास शिकायतें ऐसी आई है जिनमें स्टूडेंट्स के कई ओरिजनल डॉक्यूमेंट को नहीं लौटाने की हैं। UGC हर शिकायत संबंधित संस्थान को भेज रहा है और रिपोर्ट मांग रहा है। यदि रिपोर्ट में किसी भी इंस्टिट्यूट का नाम आता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशन के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की कांस्टीट्यूशनल बॉडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को ग्रांट देता है।
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