भारत के महान शास्त्रीय संगीतज्ञ तानसेन का जीवन परिचय

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Tansen Ka Jivan Parichay

तानसेन एक महान शास्त्रीय संगीतज्ञ थे। वे मुगल काल में बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। बताया जाता है कि उन्हें अकबर के दरबार में दरबारी संगीतकार और एक प्रतिष्ठित संगीत विद्यालय के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। मुग़ल काल में अपनी अद्भुत गायन क्षमता और गायन के माध्यम से विभिन्न भावनाओं की प्रभावशाली अभिव्यक्ति के लिए उन्हें ‘रसराज’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। इस लेख में विद्यार्थियों के लिए महान शास्त्रीय संगीतज्ञ तानसेन का जीवन परिचय एवं उनके शास्त्रीय योगदान के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई है।

मूल नाम रामतनु पांडे
उपनाम तानसेन 
जन्म सन 1506
जन्म स्थान बेहट, ग्वालियर, मध्य प्रदेश 
पेशाएकल गायक
पिता का नाम मुकुंद राम 
गुरु का नाम स्वामी हरिदास
दरबारी कवि बादशाह अकबर
अकबर द्वारा प्रदत्त उपाधि‘मियाँ’ की उपाधि’
उपाधि ‘रसराज’
मृत्यु सन 1589
समाधि ग्वालियर, मध्य प्रदेश 

मध्य प्रदेश के बेहट में हुआ था जन्म

तानसेन की जन्मतिथि और जन्मस्थान को लेकर पूर्णतः स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन अधिकांश स्रोतों और विद्वानों के अनुसार उनका जन्म सन 1506 में मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर ज़िले के निकट बेहट नामक स्थान पर हुआ था। तानसेन से संबंधित तथ्यों और कल्पनाओं के मिश्रण से अनेक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं, जिनकी ऐतिहासिकता संदिग्ध मानी जाती है।

महान संगीतज्ञ गुरु हरिदास के शिष्य बने 

माना जाता है कि तानसेन के पिता मुकुंद राम ही उनके प्रथम संगीत शिक्षक थे। उन्होंने तानसेन की संगीत क्षमता को अल्प आयु में ही पहचान लिया था। तत्पश्चात तानसेन ने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और गायन की प्राचीन शैली ‘ध्रुपद’ में प्रशिक्षण प्राप्त किया। बाद में उन्हें उस समय के महान संगीतज्ञ ‘गुरु हरिदास’ ने अपना शिष्य बनाया और उन्हें संगीत की विधिवत शिक्षा दी। इसके उपरांत तानसेन ने वीणा, रबाब और मृदंग सहित विभिन्न वाद्ययंत्रों को बजाने में महारत हासिल की। वे संस्कृत भाषा में भी निपुण थे तथा साहित्य एवं कविता में पारंगत थे।

बादशाह अकबर के नवरत्न 

इसके बाद कला-प्रेमी बादशाह अकबर ने तानसेन को अपने नवरत्नों में स्थान देकर सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने तानसेन को ‘मियाँ’ की उपाधि प्रदान की, जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘विद्वान व्यक्ति’। ऐसा माना जाता है कि तानसेन ने वर्षा का आह्वान करने के लिए ‘मियाँ का मल्हार’ नामक राग की रचना की थी। इसके अतिरिक्त, भारतीय शास्त्रीय संगीत में ‘सरगम’ के प्रयोग को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भी तानसेन को ही दिया जाता है।

तानसेन का संगीत में योगदान

तानसेन ने अपने जीवनकाल में ब्रज, फारसी और अवधी सहित विभिन्न भाषाओं में गीतों की रचना की थी, जो आज भी प्रसिद्ध हैं और विभिन्न आयोजनों में प्रेमपूर्वक गाए जाते हैं। उनकी रचनाएँ हिंदुस्तानी, द्रविड़ और फारसी सहित विभिन्न क्षेत्रीय संगीत शैलियों से प्रभावित थीं।

जीवन पर बनी फिल्म 

भारतीय और पाश्चात्य लेखकों ने तानसेन के जीवन एवं उनकी संगीत-यात्रा का वर्णन विभिन्न पुस्तकों में किया है। इसके अतिरिक्त, उनके जीवन पर कुछ फिल्मों का भी निर्माण हुआ है, जिनमें ‘तानसेन’ (1943) और ‘संगीत सम्राट तानसेन’ (1962) प्रमुख हैं।

ग्वालियर में ली अंतिम सांस 

माना जाता है कि तानसेन का निधन सन 1589 में हुआ था। उनकी समाधि (स्मारक) ग्वालियर में ही स्थित है। उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष मध्य प्रदेश शासन का संस्कृति विभाग, उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ संगीत कला अकादमी एवं मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल के सहयोग से संगीत सम्राट तानसेन की स्मृति में ‘तानसेन समारोह’ का आयोजन ग्वालियर और उनकी कर्मभूमि बेहट में करता है। यह देश का अत्यंत प्रतिष्ठित एवं स्थापित संगीत समारोह है, जो अनवरत 101 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है।

गौरतलब है कि इस समारोह की शुरुआत सिंधिया शासनकाल में सन 1924 में हुई थी। इस अवसर पर संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश शासन द्वारा देश के किसी शीर्षस्थ कलाकार को ‘तानसेन सम्मान’ से विभूषित किया जाता है। यह पुरस्कार वर्ष 1980 में स्थापित किया गया था। तानसेन के सम्मान में भारतीय डाक विभाग द्वारा वर्ष 1986 में एक स्मारक डाक-टिकट भी जारी किया गया था।

FAQs 

तानसेन का जन्म कहा हुआ था?

विद्वानों के अनुसार तानसेन का जन्म वर्ष 1506 में ग्वालियर के निकट बेहट में हुआ था।

तानसेन का असली नाम क्या था?

तानसेन का मूल नाम रामतनु पांडे (Ramtanu Pandey) था। 

तानसेन के प्रथम गुरु कौन थे?

प्रसिद्ध संगीतकार स्वामी हरिदास तानसेन के प्रथम गुरु थे। 

तानसेन की बेटी का क्या नाम था?

तानसेन की बेटी का नाम सरस्वती देवी था। 

तानसेन की पत्नी का नाम क्या था?

ऐसा माना जाता है कि तानसेन ने ग्वालियर की हुसैनी नाम की लड़की से शादी की और इस शादी से उनके चार बेटे और एक बेटी हुई। 

तानसेन की मृत्यु कहाँ हुई थी?

तानसेन की मृत्यु ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुई थी। वहीं उनकी समाधि है।

आशा है कि आपको महान शास्त्रीय संगीतज्ञ तानसेन का जीवन परिचय पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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