स्वामी विवेकानंद भारत के सबसे प्रमुख महापुरुषों में से एक माने जाते हैं। उनका पूरा जीवन ही युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत था। उनके जीवन से युवा बहुत कुछ सीख सकते हैं और जीवन में आगे बढ़ सकते हैं। स्वामी विवेकानंद युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत थे इसलिए 12 जनवरी को उनके जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। उनके विचार युवाओं के लिए युवाओं के लिए अपने आप में एक प्रेरणा स्तम्भ कहे जा सकते हैं। यहाँ स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन के बारे में बताया जा रहा है जिन्हें पढ़ने के बाद आप भी जीवन में कुछ महान कार्य करने के लिए प्रेरित हो उठेंगे।
स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन और उनकी व्याख्या
यहाँ स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन और उनकी व्याख्या दी जा रही है :
- जिसने जैसा पथ चुना, उसे वैसा ही मुकाम मिलता है।
व्याख्या : जीवन में हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही बन जाते हैं। यानी हमारे विचार ही हमारे भविष्य को आकार देते हैं। इसलिए हमें सकारात्मक सोच, निरंतर कोशिश और ऊँचे जीवन लक्ष्य को लेकर चलना चाहिए और अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए
- नदी मत बनो जो पहाड़ों को देखकर अपना रास्ता बदल देती है, बल्कि तुम वह पहाड़ बनो जो नदियों का रुख बदल देता है।
व्याख्या : इस कथन के माध्यम से स्वामी विवेकानंद कहना चाहते हैं कि मनुष्य को परिस्थितियों के आगे झुकना नहीं चाहिए बल्कि अपनी मेहनत और कोशिशों से परिस्थियों को बदलना चाहिए।
- गीता का ज्ञान और फुटबॉल का खेल दोनों ज़रूरी हैं।
व्याख्या : स्वामी विवेकानंद यहाँ कहना चाहते हैं कि युवाओं को आध्यात्मिक ज्ञान के साथ साथ शारीरिक गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए। फुटबॉल खेलने से शरीर मजबूत होता है। गीता पढ़ने से मानसिक और आध्यात्मिक बल का विकास होता है। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ युवक ही एक महान राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। इसलिए गीता और फुटबॉल दोनों ज़रूरी हैं।
- दूसरे की नक़ल करने में तुम खुद को खो दोगे
व्याख्या : यहाँ स्वामी विवेकानंद कहना चाहते हैं कि मनुष्य जो किसी दूसरे की नक़ल करने से बचना चाहिए। किसी की चमक दमक से प्रभावित होकर उसके जैसा बनने के चक्कर में मनुष्य अपना स्वयं का अस्तित्व भी खो बैठता है। किसी दूसरे की नक़ल करने की बजाए मनुष्य को अपना व्यक्तित्व निखारने पर बल देना चहिए।
- ब्रम्हांड की सारी शक्तियां पहले से ही हमारी हैं। हम वह हंस हैं जो खुद को बत्तख समझ बैठे हैं।
व्याख्या : यहाँ स्वामी विवेकानंद कहना चाहते हैं कि मनुष्य अगर चाहे तो कुछ भी प्राप्त कर सकता है। इस दुनिया में सब कुछ संभव है। मनुष्य को अपने लक्ष्य की ओर प्रयासत रहने के ज़रूरत है। मनुष्य को खुद की क्षमताओं को पहचानने की ज़रूरत है।
- काम छोटा हो या बड़ा, जो करो पूरे मनोयोग से करो।
व्याख्या : यहाँ स्वामी विवेकानंद कार्य की सार्थकता की बात कर रहे हैं। वे युवाओं को सन्देश देना चाहते हैं कि युवाओं को कोई काम हाथ में लेते समय यह नहीं सोचना चाहिए कि वह काम छोटा है या बड़ा। जो भी काम करो उसमें पूरा मन लगाकर अपनी ऊर्जा का सौ प्रतिशत देना चाहिए।
- कमजोरों की मदद करना ही वास्तविक धर्म है।
व्याख्या : यहाँ स्वामी विवेकानंद युवाओं को सन्देश दे रहे हैं कि अगर प्रभु ने उन्हें शक्तिशाली बनाया है तो उन्हें अपनी इस ताकत का प्रयोग कमजोरों की मदद करने के लिए करना चाहिए। कमजोरों की मदद करना ही असली धर्म है।
- तुम वही बनोगे जो तुम सोचते हो।
व्याख्या : यहाँ स्वामी विवेकानंद विचारों की शक्ति का वर्णनं करते हुए बताना चाहते हैं कि मनुष्य जैसा सोचता है वह एक दिन ऐसा ही बन जाता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा महान विचार रखने चाहिए और खुद को एक अच्छा इंसान बनाने के बारे में सोचना चाहिए।
- उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
व्याख्या : यहाँ स्वामी विवेकानंद युवाओं को सन्देश देना चाहते हैं कि उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए और तब तक हार नहीं माननी चाहिए जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
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