भारत में सुप्रीम कोर्ट जज कैसे बनें?

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सुप्रीम कोर्ट जज कैसे बनें

भारत में सुप्रीम कोर्ट का जज बनना कानून के क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित करियर माना जाता है। सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था है, जहाँ जजों की नियुक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत राष्ट्रपति द्वारा, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर की जाती है। इस पद के लिए या तो हाई कोर्ट में कम से कम 5 साल का न्यायिक अनुभव, या हाई कोर्ट में 10 साल तक वकालत का अनुभव जरूरी है।

अगर आप कानून, संविधान और न्याय व्यवस्था में रुचि रखते हैं और देश में न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाना चाहते हैं, तो यह गाइड आपके लिए है। यहाँ आप जानेंगे कि सुप्रीम कोर्ट जज बनने की योग्यता, करियर पथ, नियुक्ति प्रक्रिया, वेतन-सुविधाएं और आगे के अवसर क्या हैं। लेख के अंत तक आपको स्पष्ट रोडमैप मिल जाएगा कि भारत में सुप्रीम कोर्ट जज कैसे बनें और शुरुआत कहाँ से करें।

सुप्रीम कोर्ट जज कौन होता है?

सुप्रीम कोर्ट का जज भारत की न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च पद होता है, जो संविधान और कानूनों की व्याख्या करने, मूल अधिकारों की रक्षा करने और राज्यों व केंद्र के बीच उत्पन्न विवादों को सुलझाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। सुप्रीम कोर्ट को संविधान का संरक्षक माना जाता है और इसके पास मूल, अपीलीय एवं सलाहकारी अधिकार क्षेत्र होता है। यह न्यायालय राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए कानूनी प्रश्नों पर सलाह देने, अन्य अदालतों के फैसलों की समीक्षा करने तथा विशेष परिस्थितियों में अपील स्वीकार करने का अधिकार रखता है।

सुप्रीम कोर्ट जज अन्य जजों से इस मायने में भिन्न होते हैं कि उन्हें व्यापक विवेकाधिकार प्राप्त होते हैं। वे देश के सबसे संवेदनशील और प्रभावशाली मामलों पर अंतिम निर्णय सुनाते हैं। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से होती है और उन्हें संविधान द्वारा विशेष सुरक्षा प्राप्त होती है, जिससे वे निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें।

सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए आवश्यक योग्यता

सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए अभ्यर्थी का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है और उसके पास लॉ में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 124(3) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए व्यक्ति को किसी उच्च न्यायालय में कम से कम पांच वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का अनुभव होना चाहिए या फिर किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्षों तक अधिवक्ता के रूप में कार्य किया होना चाहिए।

इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता है, तो उसे भी सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए कोई विशेष परीक्षा नहीं होती, बल्कि अनुभव, योग्यता और पेशेवर प्रतिष्ठा के आधार पर कॉलेजियम प्रणाली द्वारा सिफारिश की जाती है और अंतिम नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। सुप्रीम कोर्ट जज का कार्यकाल 65 वर्ष की आयु तक होता है।

सुप्रीम कोर्ट जज बनने का करियर पाथ

सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए सबसे पहले आपको किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज या यूनिवर्सिटी से कानून (LLB) की डिग्री लेनी होती है। इसके बाद वकील बनकर कम से कम 10-15 साल का अनुभव हासिल करना जरूरी होता है, जो हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में केस लड़कर मिल सकता है। ज्यादातर जज पहले हाई कोर्ट में जज बनते हैं, क्योंकि वहां का अनुभव सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने के लिए बहुत मददगार होता है। हाई कोर्ट जज बनने के लिए भी कम से कम 10 साल का कानून में अनुभव जरूरी होता है। उसके बाद राष्ट्रपति की सिफारिश और कॉलेजियम की मंजूरी से योग्य जजों को सुप्रीम कोर्ट में चुना जाता है। कुल मिलाकर, सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए पढ़ाई, सालों का अनुभव और अच्छा न्यायिक रिकॉर्ड होना बहुत जरूरी है। बता दें कि दस वर्षों की निरंतर वकालत या हाई कोर्ट में कम से कम पाँच वर्षों तक जज के रूप में कार्य का अनुभव कैंडिडेट को सुप्रीम कोर्ट जज बनने की पात्र बनाता है। इसके अतिरिक्त, वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में प्रतिष्ठा और पेशेवर प्रदर्शन भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कुछ कैंडिडेट न्यायिक सेवा परीक्षा (JSE) के माध्यम से न्यायपालिका में प्रवेश कर हाई कोर्ट तक पहुंचते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट जज की नियुक्ति प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति प्रक्रिया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत होती है। इसमें राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम, केंद्रीय कानून मंत्रालय और प्रधानमंत्री की संयुक्त भूमिका होती है। जब सुप्रीम कोर्ट में कोई पद रिक्त होता है, तो भारत के मुख्य न्यायाधीश चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ मिलकर कॉलेजियम के माध्यम से योग्य व्यक्ति के नाम की सिफारिश करते हैं, जिसे केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री को भेजा जाता है। यदि अगला संभावित मुख्य न्यायाधीश सीनियर मोस्ट जजों में शामिल नहीं है, तो उसे भी कॉलेजियम में शामिल किया जाता है।

मुख्य न्यायाधीश उस वरिष्ठतम सुप्रीम कोर्ट जज से परामर्श लेते हैं जो उस हाई कोर्ट से संबंधित होते हैं जहाँ से अनुशंसित उम्मीदवार आते हैं। यदि वह जज उस व्यक्ति के बारे में जानकारी नहीं रखते, तो अगले वरिष्ठ जज से सलाह ली जाती है। कॉलेजियम की अंतिम सिफारिश मिलने के बाद, कानून मंत्री इसे प्रधानमंत्री को भेजते हैं, जो राष्ट्रपति को नियुक्ति की सलाह देते हैं। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद नियुक्ति का वारंट जारी किया जाता है और भारत सरकार का न्याय विभाग इसकी घोषणा करता है।

इसके बाद, चयनित व्यक्ति से एक प्रमाणित चिकित्सा फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाता है। अंततः नियुक्ति की अधिसूचना भारत के राजपत्र में प्रकाशित की जाती है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता, वरिष्ठता, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और योग्यता के संतुलन को ध्यान में रखते हुए पूरी की जाती है, जो भारत के न्यायिक ढांचे की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करती है।

सुप्रीम कोर्ट जज के लिए जरूरी कौशल

सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए कैंडिडेट में कुछ विशेष कौशल और गुणों का होना अत्यंत आवश्यक होता है, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है- कानून की गहरी समझ, जिससे वह जटिल संवैधानिक और विधिक मामलों का विश्लेषण कर सके। निष्पक्षता और न्यायप्रियता ताकि सभी पक्षों के साथ न्याय किया जा सके; तर्कशक्ति और निर्णायक क्षमता, जिससे वह बिना किसी पक्षपात के ठोस और प्रभावशाली निर्णय ले सके; और अंततः नैतिकता और ईमानदारी जो न्यायपालिका की गरिमा और जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए अनिवार्य होती है।

करियर ग्रोथ और कार्यकाल

सुप्रीम कोर्ट के जज का कार्यकाल अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक होता है, लेकिन इस अवधि में उन्हें मुख्य न्यायाधीश बनने का अवसर भी मिल सकता है, यदि वे वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर चयनित होते हैं। वहीं सेवानिवृत्ति के बाद भी उनके अनुभव का उपयोग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), विधि आयोग, लोकपाल या अन्य संवैधानिक व अर्ध-न्यायिक संस्थाओं में सदस्य या अध्यक्ष के रूप में किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट जज का वेतन और सुविधाएं

सुप्रीम कोर्ट के जज को वर्तमान में लगभग 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह बेसिक वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त उन्हें सरकारी आवास (बंगला), आधिकारिक वाहन, सुरक्षा व्यवस्था, ड्राइवर, मेडिकल सुविधाएं और पेंशन जैसे अनेक लाभ प्रदान किए जाते हैं। कार्यकाल के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्हें कई सरकारी सुविधाएं और सम्मानजनक पद प्राप्त हो सकते हैं।

FAQs

क्या सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता होना जरूरी है?

नहीं, सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता होना जरूरी नहीं है। उम्मीदवार हाई कोर्ट में वकालत का अनुभव रख सकते हैं या न्यायिक सेवा में रहे हों। अनुभव और योग्यता दोनों को देखकर ही न्यायपालिका में नामांकन होता है।

सुप्रीम कोर्ट का जज कौन बन सकता है?

कोई व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट का जज बन सकता है यदि वह भारत का नागरिक हो, कम से कम पांच साल उच्च न्यायालय का न्यायाधीश या दस साल अधिवक्ता रहा हो, या राष्ट्रपति की दृष्टि में विधि का विशिष्ट जानकार हो।

सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति कैसे की जाती है?

सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम जजों की सलाह पर की जाती है।

क्या हम बिना वकील हुए सीधे जज बन सकते हैं?

नहीं, बिना वकील बने सीधे जज नहीं बना जा सकता, क्योंकि जज बनने के लिए लॉ में अनुभव आवश्यक होता है।

सुप्रीम कोर्ट जज बनने के लिए न्यूनतम अनुभव कितना होना चाहिए?

हाई कोर्ट के जज के रूप में कम से कम 5 साल या हाई कोर्ट में वकालत के रूप में कम से कम 10 साल का अनुभव आवश्यक है।


हमें उम्मीद है कि इस लेख में आपको सुप्रीम कोर्ट जज बनने की जरूरी जानकारी मिली होगी। अन्य करियर से संबंधित लेख पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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