महाराष्ट्र सरकार प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए नए नए प्रयास करने में लगी है। इसी क्रम में स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (SCERT) और महाराष्ट्र सरकार मिलकर प्री प्राइमरी कक्षाओं को भी फॉर्मल एजुकेशन से जोड़ने की तैयारी कर रही है। SCERT ने इस संबंध में ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। भागीदारों से अनुमोदन मिल जाने के बाद इस संबंध में क़ानून बना दिया जाएगा।
नई शिक्षा नीति के तहत लिया गया निर्णय
महाराष्ट्र सरकार पहली बार प्री प्राइमरी क्लासेज़ को औपचारिक शिक्षा में शामिल किए जाने का निर्णय लेने जा रही है। इस समूह में 3 वर्ष से लेकर 6 वर्ष की आयु के बीच के बच्चे आते हैं जो कि सीखने की प्रक्रिया में पहले चरण में होते हैं। महाराष्ट्र सरकार द्वारा यह निर्णय नई शिक्षा नीति के तहत लिया जा रहा है। इस कदम का उद्देश्य बच्चों का शिक्षा के प्राम्भिक दिनों में ही सम्पूर्ण विकास करना है ताकि वे भविष्य के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।
खेलकूद के माध्यम से बच्चों को किया जाएगा शिक्षित
महारष्ट्र सरकार और SCERT द्वारा लाए जा रहे इस नए ड्राफ्ट में बच्चों को खेलकूद के माध्यम से सिखाए जाने की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अंतर्गत प्री प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को प्ले कार्ड्स और डिजिटल माध्यमों से शिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा इस ड्राफ्ट में कुछ अन्य नियमों जैसे छात्रों और शिक्षकों का अनुपात, स्कूल की अवधि आदि को भी शामिल किया जाएगा।
टेक्स्ट बुक्स में भी किया जाएगा बदलाव
महाराष्ट्र सरकार और SCERT द्वारा प्री प्राइमरी क्लासेज़ को औपचारिक एजुकेशन में शामिल किए जाने वाले इस नए नियम में छोटे बच्चों की टेक्स्ट बुक्स में भी कुछ बदलाव किए जाएंगे। पहले तीन साल तक प्री प्राइमरी स्कूलों में बच्चों के लिए कोई टेक्स्ट बुक नहीं दी जाएगी। इसके स्थान पर शिक्षकों को गाइड बुक्स या बुकलेट्स दी जाएंगी। इसके अलावा कक्षा 1 और 2 के बच्चों की किताबों में अधिक से अधिक चित्र होंगे ताकि बच्चों में पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ सके।
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