Punrukti Alankar Ke Udaharan: जब किसी काव्य या पंक्ति में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उस शब्द का अर्थ भिन्न न हो तो उसे ‘पुनरुक्ति अलंकार’ (Punrukti Alankar) कहते है। बताना चाहेंगे वर्तमान समय में सभी स्कूल, कॉलेजों और प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी व्याकरण और उनमें अलंकारों से संबंधित प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं। जिसमें मुख्य अलंकार जो प्रतियोगी परीक्षाओं में बार-बार पूछे जाते है उनमें वक्रोक्ति, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिश्योक्ति, अनुप्रास, यमक, श्लेष तथा पुनरुक्ति अलंकार मुख्य माने जाते हैं। यहां उन्हीं में से एक पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित (Punrukti Alankar Ke Udaharan) बताई गई है।
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अलंकार क्या है?
अलंकार को काव्य का आभूषण या गहना माना गया है अर्थात यह काव्य में प्रस्तुत होकर उसकी सुंदरता को बढ़ाते हैं साथ ही काव्य में चमत्कार उत्पन्न करने की क्षमता भी रखते हैं। जिस प्रकार स्त्री अपनी सुंदरता को बढ़ाने के लिए गहनों का प्रयोग करती है। ठीक उसी प्रकार एक कवि या लेखक अपनी कविता या काव्य की शोभा और सुंदरता को बढ़ाने के लिए अलंकारों का प्रयोग करते है। अलंकार साहित्य को रुचिकर बनाने में भी योगदान देते हैं।
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पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
पुनरुक्ति अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है – पुनः+उक्ति। जहाँ शब्द की एक या एक से अधिक बार आवृति हो परन्तु प्रत्येक बार अर्थ एक ही हो वहाँ पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar) होता है। पुनरुक्ति अलंकार में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार प्रयुक्त होकर अर्थ का सौंदर्यवर्द्धन करता है।
पुनरुक्ति अलंकार का प्रथम उदारहण
“मधुर-मधुर मेरे दीपक जल।”
यहाँ ‘मधुर’ शब्द के दो बार प्रयुक्त होने से अर्थ की कोमलता एवं सौंदर्य में वृद्धि हो गई है। पुनरुक्ति अलंकार में शब्दों की आवृति शब्द चमत्कार के लिए नहीं अपितु एक ही अर्थ में होती है परन्तु इससे पूरी उक्ति के अर्थ का सौंदर्य वर्द्धन हो जाता है।
पुनरुक्ति अलंकार का दूसरा उदाहरण
“मो पर रिस पावति है पुनि पुनि,
कुछ काहुहि बतरावति री।“
यहाँ ‘पुनि’ शब्द की आवृति होने से अर्थ का सौंदर्य बढ़ गया है।
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पुनरुक्ति अलंकार के 10 उदाहरण
पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण (Punrukti Alankar Ke Udaharan) इस प्रकार हैं:-
- रंग-रंग के फूल खिले है।
- राम-राम कही बारंबारा, चक्र सुदर्शन है रखवारा।
- बाते तो तुम्हारी बड़ी ऊँची-ऊँची थी।
- जहाँ भी चलना साथ-साथ चलना ।
- ठुमुकि-ठुमुकि रुनझुन धुनि-सुनि,
कनक अजिर शिशु डोलत। - जहाँ भी चलना साथ साथ चलना।
- यहाँ छोटे छोटे बच्चे हैं।
- मीठा मीठा रस टपकता।
- काली घटा का घमंड घटा।
- पुनः पुनः कहत कौन है माता, कौन है तेरे तात।
गौरे नंद यशोदा गौरी, तु कत श्याम शरीर।।
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पुनरुक्ति अलंकार से जुड़े MCQs
यहां पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar) से जुड़े MCQs दिए जा रहे हैं, जिसके माध्यम से आप अपनी परीक्षा की तैयारी की जांच कर सकते हैं:-
1. मधुर मधुर मेरे दीपक जल। में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है?
(A) पुनरुक्ति अलंकार
(B) मानवीकरण अलंकार
(C) वक्रोक्ति अलंकार
(D) संदेह अलंकार
उत्तर- पुनरुक्ति अलंकार
2. कहे कवि बेनी, बेनी व्याल की चुराइ लीनी। में कौनसा अलंकार है?
(A) श्लेष अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) वक्रोक्ति अलंकार
(D) विभावना अलंकार
उत्तर- यमक अलंकार
3. रोम रोम खिल उठना। में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है?
(A) अतिशयोक्ति अलंकार
(B) यमक अलंकार
(C) पुनरुक्ति अलंकार
(D) विभावना अलंकार
उत्तर- पुनरुक्ति अलंकार
4. अर्थालंकार के कितने प्रकार होते हैं?
(A) पांच
(B) सात
(C) आठ
(D) दस
उत्तर- पांच
5. साँसनि ही सौं समीर गयो अरु, आँसुन ही सब नीर गयो ढरि। में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है?
(A) रूपक अलंकार
(B) उत्प्रेक्षा अलंकार
(C) अनुप्रास अलंकार
(D) अतिश्योक्ति अलंकार
उत्तर- अतिश्योक्ति अलंकार
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FAQs
जब किसी काव्य या पंक्ति में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उस शब्द का अर्थ भिन्न न हो तो उसे पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar) कहते है।
जब कथन में शब्दों की आवृति होती हैं, लेकिन उन शब्दों का अर्थ समान निकलता हैं, तो वहाँ पुनरुक्ति अलंकार होता है। जबकि यमक अलंकार में एक ही स्वर व्यंजन वाले शब्द एक या एक से अधिक बार भिन्न भिन्न अर्थों में प्रयुक्त होते हैं।
जब किसी वाक्य में एक ही शब्द या वाक्यांश का दोहराव होता है और अर्थ में कोई परिवर्तन नहीं होता, तो वह पुनरुक्ति अलंकार कहलाता है।
उदाहरण: “माँ माँ पुकारे बालक।” यहाँ ‘माँ’ शब्द की पुनरावृत्ति बालक की व्याकुलता को दर्शाती है।
पुनरुक्ति अलंकार में शब्दों की पुनरावृत्ति से भावों की प्रबलता व्यक्त होती है, जबकि अनुप्रास अलंकार में ध्वनि या वर्णों की पुनरावृत्ति से लय और संगीतात्मकता उत्पन्न होती है।
नहीं, पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग कविता के साथ-साथ गद्य में भी किया जा सकता है, जहाँ शब्दों की पुनरावृत्ति से भावों की प्रबलता और प्रभाव को व्यक्त किया जाता है।
आशा है कि आपको इस ब्लॉग में पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar Ke Udaharan) से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही हिंदी व्याकरण और सामान्य ज्ञान से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।