Nida Fazli Poems in Hindi : पढ़िए निदा फ़ाज़ली की वो रचनाएं, जो आपका परिचय साहित्य के सौंदर्य से करवाएगी

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Nida Fazli Poems in Hindi

भारत में ऐसे कई कवि हुए है जिन्होंने जनता की पीड़ाओं को प्रखरता से कहने के साथ-साथ, युवाओं को साहस से परिचित करवाया है। ऐसे ही कवियों में से एक कवि, शायर और ग़ज़लकार “निदा फ़ाज़ली” भी हैं, जिनके शब्द आज की परिस्थितियों में भी प्रासंगिक लगते हैं। कविताएं ही सभ्यताओं का गुणगान करते हुए मानव को समाज की कुरीतियों और अन्याय के विरुद्ध लड़ना सिखाती हैं। इसी कड़ी में Nida Fazli Poems in Hindi (निदा फ़ाज़ली की कविताएं) भी आती हैं, जिन्हें पढ़कर विद्यार्थियों को प्रेरणा मिल सकती है, जिसके बाद उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।

कौन थे निदा फ़ाज़ली?

Nida Fazli Poems in Hindi (निदा फ़ाज़ली की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको निदा फ़ाज़ली जी का जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। हिंदी-उर्दू साहित्य की अप्रतीम अनमोल मणियों में से एक बहुमूल्य मणि निदा फ़ाज़ली भी हैं, जिनकी लेखनी आज भी युवाओं को प्रेरणा से भर देती है। निदा फ़ाज़ली का पूरा तथा मूल नाम “मुक़्तदा हसन निदा फ़ाज़ली” था।

12 अक्तूबर 1938 को निदा फ़ाज़ली का जन्म दिल्ली में हुआ था। निदा फ़ाज़ली के पिता मुर्तजा हसन बैदी एक शायर थे, इसी कारण निदा फ़ाज़ली का साहित्य के प्रति एक गहरा जुड़ाव था। निदा फ़ाज़ली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली में रहकर प्राप्त की, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में MA की उपाधि प्राप्त की। अपनी शिक्षा को पूरा करने के बाद निदा फ़ाज़ली ने अपना साहित्य का सफ़र वर्ष 1950 में शुरू किया।

निदा फ़ाज़ली जी की रचनाओं में “चेहरे”, “आँखों भर आकाश”, “तुम इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल हो”, और “दिल की तन्हाई को आवाज़ बना लेते हैं” आदि बेहद लोकप्रिय हैं। निदा फ़ाज़ली की अधिकांश कविताएं “प्रेम, जीवन, और समाज” पर आधारित होती थीं। साहित्य के क्षेत्र में निदा फ़ाज़ली को उनके साहित्यिक योगदान के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, और पद्म भूषण जैसे पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया। अपने समय के एक महान कवि, नाटककार निदा फ़ाज़ली का निधन 8 फ़रवरी 2016 को महाराष्ट्र के मुंबई में हुआ था।

छोटी-सी शॉपिंग

Nida Fazli Poems in Hindi (निदा फ़ाज़ली की कविताएं) आपको साहित्य से परिचित करवाएंगी। निदा फ़ाज़ली जी की प्रसिद्ध रचनाओं में से एक “छोटी-सी शॉपिंग” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

गोटे वाली लाल ओढ़नी
साथ में चोली-घाघरा 
उसी से मैचिंग करने वाला 
छोटा-सा इक नागरा 
छोटी-सी ये शॉपिंग थी 
या कोई जादू-टोना 
लंबा-चौड़ा शहर अचानक 
बनकर एक खिलौना 
इतिहासों का जाल तोड़ के 
पगड़ी 
दाढ़ी 
ऊँट छोड़ के 
आ से अम्माँ 
ब से बाबा 
बैठा बाँच रहा था 
पाँच साल की बच्ची बनकर 
जयपुर नाच रहा था...!

-निदा फ़ाज़ली

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से निदा फ़ाज़ली एक प्रेमी जोड़े की कहानी कहने का सफल प्रयास करते हैं। कविता के माध्यम से कवि एक ऐसे प्रेमी के दिल की बात को अनूठे ढंग से पेश करते हैं, जो उसकी प्रेमिका एक साथ बाजार गया है। इस कविता के माध्यम से कवि छोटी चीज़ें खरीदने पर मिलने वाली खुशियों और साथ में बिताए लम्हों पर प्रकाश डालते हैं। इस कविता के माध्यम से पाठक प्रेम की सादगी को महसूस करने का अवसर प्राप्त कर पाते हैं।

नंगा नाच

Nida Fazli Poems in Hindi (निदा फ़ाज़ली की कविताएं) आपको साहित्य से परिचित करवाएंगी। निदा फ़ाज़ली जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “नंगा नाच” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

खेत उनके पास कब थे 
जिनमें वो गल्ला उगाते 
रूई चरख़ाें में कहाँ थी 
जिससे वो कपड़ा बनाते 

आग चूल्हों में कहाँ थी 
जिस पे वो रोटी पकाते 
नदियों में जल कहाँ था 
जिससे वो धरती सजाते 

हाथ वो बेकाम थे सब 
जिनको दौलत से ख़रीदा जा रहा था 
तख़्त-ए-शाही की मरम्मत के लिए फिर 
सब्ज़ पेड़ों को गिराया जा रहा था 

गोदियाँ माँओं की क़ब्रें बन रही थीं 
मकतबों पर बम लगाया जा रहा था 
मौत रस्तों पर बिछाई जा रही थी 
शहर को ज़िंदा जलाया जा रहा था 

बज रही थी डुगडुगी बाज़ीगरों की 
खेल टीवी पर दिखाया जा रहा था 
आयतों की बरकतों में 
आरती के मंत्रों में 
सदियों बूढ़ी भूख को 
नंगा नचाया जा रहा था।

-निदा फ़ाज़ली

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि निदा फ़ाज़ली जो मानव की पीड़ाओं को एक आवाज़ देती है, यह कविता समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और अत्याचार की ओर इशारा करती है। इस कविता में कवि कहते हैं कि मानव समाज में, सदियों से भूख एक बड़ी समस्या रही है। लेकिन, इसके बावजूद, समाज के कुछ लोग अपने धन और शक्ति का उपयोग दूसरों का शोषण करने के लिए करते हैं। यह कविता मानव के क्रूर रूप पर कड़ा प्रहार करती है और साथ में समाज को इसके खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती है।

खोया हुआ सा कुछ

Nida Fazli Poems in Hindi आपको प्रेरणा से भर देंगी। निदा फ़ाज़ली जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं की श्रेणी में से एक रचना “खोया हुआ सा कुछ” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

कहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे
मगर जो दिया वो दिया देर से

हुआ न कोई काम मामूल से
गुजारे शबों-रोज़ कुछ इस तरह
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से

कभी रुक गये राह में बेसबब
कभी वक़्त से पहले घिर आयी शब
हुए बन्द दरवाज़े खुल-खुल के सब
जहाँ भी गया मैं गया देर से 

ये सब इत्तिफ़ाक़ात का खेल है
यही है जुदाई, यही मेल है
मैं मुड़-मुड़ के देखा किया दूर तक
बनी वो ख़मोशी, सदा देर से 

सजा दिन भी रौशन हुई रात भी
भरे जाम लगराई बरसात भी
रहे साथ कुछ ऐसे हालात भी
जो होना था जल्दी हुआ देर से 

भटकती रही यूँ ही हर बन्दगी 
मिली न कहीं से कोई रौशनी
छुपा था कहीं भीड़ में आदमी
हुआ मुझमें रौशन ख़ुदा देर से

-निदा फ़ाज़ली

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से निदा फ़ाज़ली प्रेम के उस भाग पर प्रतिक्रिया देते हैं, जिसमें वह खोये हुआ प्यार, और यादों के बारे में बात करते हैं। इस कविता में कवि कहना चाहते हैं कि वह अपने प्रियजन को खोने के बाद एक खोए हुए व्यक्ति की तरह महसूस करते हैं। वह अपने प्रियजन के साथ बिताए हर पल को याद करते हुए, उस पल को वापस पाने के लिए तरसते हैं। कवि इस कविता के माध्यम से प्रेम की शक्ति और खोया हुआ प्यार की पीड़ा पर प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं। कविता के माध्यम से कवि हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि खोया हुआ प्यार कितना दर्दनाक हो सकता है।

दिन सलीके से उगा

Nida Fazli Poems in Hindi आपको साहित्य के सौंदर्य से परिचित करवाएंगी, साथ ही आपको प्रेरित करेंगी। निदा फ़ाज़ली जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “दिन सलीके से उगा” भी है, यह कुछ इस प्रकार है:

दिन सलीके से उगा
रात ठिकाने से रही
दोस्ती अपनी भी कुछ
रोज़ ज़माने से रही।

चंद लम्हों को ही बनती हैं
मुसव्विर आँखें
ज़िन्दगी रोज़ तो
तसवीर बनाने से रही।

इस अँधेरे में तो
ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शमअ
जलाने से रही।

फ़ासला, चाँद बना देता है
हर पत्थर को
दूर की रौशनी नज़दीक तो
आने से रही।

शहर में सबको कहाँ मिलती है
रोने की जगह
अपनी इज्जत भी यहाँ
हँसने-हँसाने में रही।

-निदा फ़ाज़ली

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से निदा फ़ाज़ली समाज को एक प्रेरणादायक संदेश देने का प्रयास करते हैं, जिसमें वह हमें जीवन को सलीके से जीने के लिए प्रोत्साहित करती है। कविता का उद्देश्य समाज को यह बताना है कि जीवन में मिला हर दिन एक उपहार है, इसको खुलकर जीना चाहिए। कवि कहते हैं कि जीवन को सलीके से जीने के लिए जीवन में एक लक्ष्य निर्धारित करना अनिवार्य होता है। उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए। कविता हमें सिखाती है कि हमें दूसरों के साथ दया और करुणा से पेश आना चाहिए, साथ ही हमें प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए।

जो हुआ सो हुआ

Nida Fazli Poems in Hindi आपको प्रेरित करेंगी, साथ ही आपका परिचय साहस से करवाएंगी। निदा फ़ाज़ली जी की महान रचनाओं में से एक रचना “जो हुआ सो हुआ” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

उठके कपड़े बदल, घर से बाहर निकल
जो हुआ सो हुआ
रात के बाद दिन, आज के बाद कल
जो हुआ सो हुआ

जब तलक साँस है, भूख है प्यास है 
ये ही इतिहास है
रख के काँधे पे हल, खेत की ओर चल
जो हुआ सो हुआ

खून से तर-ब-तर, करके हर रहगुज़र 
थक चुके जानवर 
लकड़ियों की तरह, फिर से चूल्हे में जल
जो हुआ सो हुआ

जो मरा क्यों मरा, जो जला क्यों जला
जो लुटा क्यों लुटा
मुद्दतों से हैं गुम, इन सवालों के हल
जो हुआ सो हुआ

मन्दिरों में भजन मस्जिदों में अज़ाँ
आदमी है कहाँ ?
आदमी के लिए एक ताज़ा ग़ज़ल
जो हुआ सो हुआ

-निदा फ़ाज़ली

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से निदा फ़ाज़ली हमें यह बताते है कि हमें जीवन में अतीत को भूलकर आगे बढ़ जाना चाहिए, यही सबसे अच्छा विकल्प होता है। कवि के अनुसार जो हुआ सो हुआ, अब उस पर रोना या पछताना व्यर्थ ही होता है। हमें अतीत से सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए और अपने वर्तमान और भविष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह कविता हमें बताती है कि अतीत को याद करके हम केवल अपने वर्तमान को खराब करते हैं। हम अतीत को बदल नहीं सकते, इसलिए हमें उसे स्वीकार करके आगे बढ़ जाना चाहिए।

आशा है कि Nida Fazli Poems in Hindi (निदा फ़ाज़ली की कविताएं) के माध्यम से आप निदा फ़ाज़ली की सुप्रसिद्ध रचनाओं को पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको सदा प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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