Milkha Singh History in Hindi: क्यों कहा जाता है मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’?

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Milkha Singh History in Hindi: क्यों कहा जाता है मिल्खा सिंह को 'फ्लाइंग सिख'?

Milkha Singh History in Hindi: दुनिया में भारत का परचम लहराने वाले महान धावक ‘मिल्खा सिंह’ जिन्हें हम ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से भी जानते हैं। बता दें कि मिल्खा सिंह ‘कामनवेल्थ गेम्स’ में स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय एथलीट थे। इसके साथ ही उन्होंने वर्ष 1958 और 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण अपने नाम किया था। वहीं वर्ष 1956 में मेलबर्न, 1960 में रोम और 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। 

मिल्खा सिंह का शुरूआती जीवन बहुत कठिनाइयों भरा रहा था लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और जिंदगी की रेस जीतते चले गए। आइए जानते हैं Milkha Singh History in Hindi में कि कैसे पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति ने उन्हें दी थी ‘फ्लाइंग सिंह’ की उपाधि। 

कठिनाइयों से शिखर तक का सफर 

Milkha Singh History in Hindi: भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का जन्म आजादी से पूर्व 20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा (वर्तमान  पाकिस्तान) में एक किसान परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की 15 संतानों में से के थे। भारत पाकिस्तान बटवारें में उनका परिवार त्रासदी का शिकार हो गया और मिल्खा सिंह ने अपने माता-पिता के साथ अपने भाई बहनों को भी हमेशा के लिए खो दिया।

इस भयानक मंजर को देखने के बाद वह पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में ट्रेन से दिल्ली आ गए। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के शरणार्थी कैंप में बहुत कष्टमय दिन गुजारे। फिर मिल्का सिंह कठिन परिश्रम के बाद वर्ष 1951 में एथलीट के रूप में भारतीय सेना में शामिल हो गए।

कामनवेल्थ गेम्स में दिलाया भारत को पहला स्वर्ण पदक 

वर्ष 1958 में हुए कामनवेल्थ गेम्स के दौरान मिल्खा सिंह एक अपरिचित नाम था। जिसे कोई नहीं जानता था लेकिन किसे पता था कि वह अपनी तेज रफ़्तार से साउथ अफ्रीका के ट्रेन एथलीट ‘मैल्कम स्पेंस’ को पछाड़ देंगे और एक नया कीर्तिमान स्थापित कर देंगे। बता दें कि उस समय मिल्खा सिंह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी थे जिन्होंने कामनवेल्थ गेम्स में पहला स्वर्ण पदक जीता था। 

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जब मिली ‘फ्लाइंग सिख’ की उपाधि 

ये बात उस समय कि है जब पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए भारतीय धावक मिल्खा सिंह को आमंत्रित किया था। लेकिन मिल्खा सिंह ने इस प्रतियोगिता में शामिल होने से इंकार कर दिया था क्योंकि यह वो स्थान था जहाँ उन्होंने अपने माता-पिता और भाई बहनों का कत्लेआम देखा था। परंतु भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री “पंडित जवाहरलाल नेहरू” के कहने पर उन्होंने पाकिस्तान में हो रही एथलीट प्रतियोगिता में शामिल होना स्वीकार किया। 

इसके बाद उन्होंने पाकिस्तान के दिग्गज धावक ‘अब्दुल खालिक’ को हराकर इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम दर्ज करवाया। पाकिस्तानी धावक अब्दुल खालिक को हराने के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘अयूब खान’ ने मिल्खा सिंह की प्रशंसा की और उनको ‘फ्लाइंग सिख’ की उपाधि से सम्मानित किया। मिल्खा सिंह को खेलों में उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार के चौथे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया गया हैं।

आशा है कि आपको इस लेख के माध्यम से Milkha Singh History in Hindi के बारे में सभी आवश्यक जानकारी मिल गयी होगी। इसी तरह के अन्य जनरल नॉलेज के ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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