भारत एक ऐसा देश रहा है जिसने कला और साहित्य को सदैव सम्मान दिया और इसका विस्तार किया, ऐसे महान भारत देश में हर सदी में ऐसे कलाकार, साहित्यकार और कवि हुए हैं, जिन्होंने समाज की चेतना को जगाने के साथ-साथ समाज को सही राह दिखाने का काम किया है। ऐसे ही एक उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद भी थे, जिनका सारा जीवन साहित्य के आँगन में बीता। यूँ तो उन्होंने कई उपन्यासों की रचना की लेकिन मानसरोवर मुंशी प्रेमचंद का एक ऐसा उपन्यास है, जो कि आठ भागों में लिखा गया। जिसमें गरीबी, सामाजिक विभाजन और सपने के पीछे प्रायसरत रहने की विभिन्न भावनाओं को प्रस्तुत किया गया है।
कौन थे मुंशी प्रेमचंद?
मानसरोवर मुंशी प्रेमचंद का एक ऐसा उपन्यास है जिसके बारे में जानने से पहले आपको मुंशी प्रेमचंद के बारे में जान लेना अति आवश्यक है। मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था। आनन्दी देवी तथा मुंशी अजायबराय जी के घर जन्मे प्रेमचंद जी की शिक्षा का आरंभ हिंदी, उर्दू और फारसी से हुआ। उनके पिता लमही में एक डाकमुंशी थे। अपनी शिक्षा में BA में डिग्री करने के बाद मुंशी प्रेमचंद जी शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त किए गए।
मुंशी प्रेमचंद जी एक प्रमुख भारतीय उपन्यासकार, कहानीकार, नाटककार, और लेखक थे। वे हिंदी साहित्य के महान कवि और लेखक माने जाते हैं। मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय था, लेकिन उन्होंने अपने लेखकीय करियर के दौरान ‘मुंशी प्रेमचंद’ का पेन नाम अपनाया। उनकी लिखी हुई कई प्रसिद्ध कहानियाँ हैं, जैसे कि “गोदान,” “निर्गुण,” “गबन,” “इदगाह,” “शत्रुग्न मित्र, “निर्मला”, ” “मानसरोवर” और “पूस की रात” भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से में आती हैं।
मानसरोवर उपन्यास की संक्षिप्त में जानकारी
मानसरोवर, मुंशी प्रेमचन्द द्वारा रचित एक प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास है। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानियों का संकलन है। उनके निधनोपरांत मानसरोवर नाम से 8 खण्डों में प्रकाशित इस संकलन में उनकी दो सौ से भी अधिक कहानियों को शामिल किया गया है। इन कहानियों को आठ भागों में बड़ी कुशलता से दर्शाया गया है, जिसके बारे में आप सरलता से पढ़ पाएंगे। मुंशी प्रेमचंद ने मानसरोवर उपन्यास में उस समय के हर पहलु पर बड़ी ही कुशलता से अपनी कालजयी रचनाओं को समाज के समक्ष प्रस्तुत किया था।
मानसरोवर में रचित रचनाएं
मानसरोवर एक ऐसा कथा संग्रह है, जिसमें आप समाज को छू जाने वाले प्रत्येक पहलुओं पर एक रचना को देख सकते हैं। इसको आठ भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें रचित रचनाएं निम्नलिखित हैं;
मानसरोवर (भाग – 1)
- अलग्योझा
- ईदगाह
- माँ
- बेटों वाली विधवा
- बड़े भाई साहब
- शान्ति
- नशा
- स्वामिनी
- ठाकुर का कुआँ
- घर-जमाई
- पूस की रात
- झाँकी
- गुल्ली-डंडा
- ज्योति
- दिल की रानी
- धिक्कार
- कायर
- शिकार
- सुभागी
- अनुभव
- लांछन
- आख़िरी हीला
- तावान
- घासवाली
- गिला
- रसिक संपादक
- मनोवृत्ति।
मानसरोवर (भाग – 2)
- कुसुम
- खुदाई फ़ौज़दार
- वेश्या
- चमत्कार
- मोटर के छींटे
- कैदी
- मिस पद्मा
- विद्रोही
- उन्माद
- न्याय
- कुत्सा
- दो बैलों की कथा
- रियासत का दीवाऩ़
- मुफ्त का यश
- बासी भात में खुदा का साझा
- दूध का दाम
- बालक
- जीवन का शाप
- दामुल का कैदी
- नेऊर
- गृह-नीति
- कानूनी कुमार
- लॉटरी
- जादू
- नया विवाह
- शूद्र
मानसरोवर (भाग – 3)
- विश्वास
- नरक का मार्ग
- स्त्री और पुरूष
- उद्धार
- निर्वासन
- नैराश्य लीला
- कौशल
- स्वर्ग की देवी
- आधार
- एक आँच की कसर
- माता का हृदय
- परीक्षा
- तेंतर
- नैराश्य
- दण्ड
- धिक्कार
- लैला
- मुक्तिधन
- दीक्षा
- क्षमा
- मनुष्य का परम धर्म
- गुरु-मंत्र
- सौभाग्य के कोड़े
- विचित्र होली
- मुक्ति-मार्ग
- डिक्री के रुपये
- शतरंज के खिलाड़ी
- वज्रपात
- सत्याग्रह
- भाड़े का टट्टू
- बाबा जी का भोग
- विनोद।
मानसरोवर (भाग – 4)
- प्रेरणा
- सद्गति
- तगादा
- दो कब्रें
- ढपोरसंख
- डिमॉन्सट्रेशन
- दारोगा जी
- अभिलाषा
- खुचड़
- आगा-पीछा
- प्रेम का उदय
- सती
- मृतक-भोज
- भूत
- सवा सेर गेहूँ
- सभ्यता का रहस्य
- समस्या
- दो सखियाँ
- मांगे की घड़ी
- स्मृति का पुजारी।
मानसरोवर (भाग – 5)
- मंदिर
- निमंत्रण
- रामलीला
- कामना-तरु
- हिंसा परमो धर्म:
- बहिष्कार
- चोरी
- लांछन
- सती
- कज़ाकी
- आँसुओं की होली
- अग्नि-समाधि
- सुजान भगत
- पिसनहारी का कुआं
- सोहाग का शव
- आत्म-संगीत
- एक्ट्रेस
- ईश्वरीय न्याय
- ममता
- मंत्र
- प्रायश्चित
- कप्तान साहब
- इस्तीफ़ा।
मानसरोवर (भाग – 6)
- यह मेरी मातृभूमि है
- राजा हरदौल
- त्यागी का प्रेम
- रानी सारन्धा
- शाप
- मर्यादा की वेदी
- मृत्यु के पीछे
- पाप का अग्निकुंड
- आभूषण
- जुगनू की चमक
- गृह दाह
- धोखा
- लाग-डाट
- अमावस्या की रात
- चकमा
- पछतावा
- आप-बीती
- राज्य-भक्त
- अधिकार-चिन्ता
- दुराशा (प्रहसन)
मानसरोवर (भाग – 7)
- जेल
- पत्नी से पति
- शराब की दुकान
- जुलूस
- मैकू
- समर-यात्रा
- शांति
- बैंक का दिवाला
- आत्माराम
- दुर्गा का मंदिर
- बड़े घर की बेटी
- पंच परमेश्वर
- शंखनाद
- ज़िहाद
- फ़ातिहा
- वैर का अंत
- दो भाई
- महातीर्थ
- विस्मृति
- प्रारब्ध
- सुहाग की साड़ी
- लोकमत का सम्मान
- नागपूजा।
मानसरोवर (भाग – 8)
- खून सफेद
- गरीब की हाय
- बेटी का धन
- धर्मसंकट
- सेवा-मार्ग
- शिकारी राजकुमार
- बलिदान
- बोध
- सच्चाई का उपहार
- ज्वालामुखी
- पशु से मनुष्य
- मूठ
- ब्रह्म का स्वांग
- विमाता
- बूढ़ी काकी
- हार की जीत
- दफ्तरी
- विध्वंस
- स्वत्व-रक्षा
- पूर्व संस्कार
- दुस्साहस
- बौड़म
- गुप्त धन
- आदर्श विरोध
- समस्या
- अनिष्ट शंका
- सौत
- सज्जनता का दंड
- नमक का दरोगा
- उपदेश
- परीक्षा।
FAQs
मानसरोवर भाग 1 में कुल 27 कहानियां हैं।
मानसरोवर मुंशी प्रेमचंद की अद्भुत कहानियों का संग्रह है।
प्रेमचंद के कहानी संग्रह में कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि सुप्रसिद्ध कहानियां हैं।
मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन में लगभग 300 से अधिक कहानियां लिखीं।
प्रेमचंद का पहला उपन्यास सेवासदन है, जो कि सन् 1918 में प्रकाशित हुआ था।
आशा है कि आपको मानसरोवर मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास की सम्पूर्ण जानकारी मिल गई होगी, साथ ही यह पोस्ट आपको इंफॉर्मेटिव और इंट्रस्टिंग लगी होगी। इसी प्रकार की अन्य जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।