सूर्य भगवान को समर्पित मकर संक्रांति का त्योहार इस साल 15 जनवरी को मनाया जायेगा। यह साल का पहला हिन्दू त्योहार होता है जिसे लोग बड़े ही धूम धाम से मनाते हैं। यह एक ऐसा त्योहार है जिसे भारत देश में कई नामों से जाना जाता है। बता दें कि यह तमिलनाडु में इसे पोंगल तो गुजरात में उत्तरायण, वहीं पंजाब में लोहड़ी, असम में भोगली, बंगाल में गंगासागर और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी के नाम से प्रसिद्ध है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि आखिर मकर संक्रांति का क्या अर्थ है? अगर नहीं, तो ये लेख आपके लिए है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि मकर संक्रांति का क्या अर्थ है। तो आईये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
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मकर संक्रांति का क्या अर्थ है?
आपको बता दें की “मकर संक्रांति” दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, “मकर,” जिसका अर्थ है मकर राशि, और “संक्रांति,” जिसका अर्थ है संक्रमण। यानी कि सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि यानी मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहा जाता है। सूर्य का मकर राशि में प्रवेश का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। ऐसे में इस दिन देश भर के हिंदुओं पवित्र नदियों स्नान कर सूर्य देव की आराधना करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ करने से जीवन में खुशहाली आती है।
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मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति का त्योहार केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व वाला त्योहार है। धार्मिक दृष्टि से देखें तो मकर संक्रांति के दौरान पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं। वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इस समय दिन बड़े हो जाते हैं और रातें छोटी हो जाती हैं।
आशा करते हैं कि आपको इस ब्लाॅग में मकर संक्रांति का क्या अर्थ है, के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।
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