Loss and Damage Fund in Hindi: जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इन आपदाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित वे देश हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर और विकासशील हैं। इन देशों के पास इन चुनौतियों से निपटने के लिए न तो पर्याप्त संसाधन हैं और न ही तकनीकी साधन। इसी समस्या को हल करने और जलवायु न्याय को बढ़ावा देने के लिए ‘लॉस एंड डैमेज फंड’ की स्थापना की गई है। यह फंड प्रभावित देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
बता दें कि यह विषय UPSC परीक्षा (Loss and Damage Fund UPSC in Hindi) की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सहयोग और जलवायु न्याय से जुड़े पहलुओं को समझने का अवसर देता है। इस ब्लॉग में लॉस एंड डैमेज फंड (Loss and Damage Fund in Hindi) के बारे में विस्तार से बताया गया है।
This Blog Includes:
- लॉस एंड डैमेज फंड क्या है?
- L&D फंड की उत्पत्ति एवं विकास
- लॉस एंड डैमेज फंड कैसे काम करता है?
- COP27 और लॉस एंड डैमेज फंड
- लॉस एंड डैमेज फंड के उद्देश्य
- लॉस एंड डैमेज फंड का महत्व
- लॉस एंड डैमेज फंड में भारत का योगदान
- जलवायु परिवर्तन के खिलाफ यह फंड क्यों जरूरी है?
- किन देशों और क्षेत्रों को इससे लाभ मिलता है?
- लॉस एंड डैमेज फंड में कौन भुगतान करता है?
- लॉस एंड डैमेज फंड से जुड़ी चुनौतियाँ
- लॉस एंड डैमेज फंड का भविष्य
- FAQs
लॉस एंड डैमेज फंड क्या है?
लॉस एंड डैमेज फंड (Loss and Damage Fund) एक विशेष फंड है, जिसे जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान और क्षति का सामना कर रहे देशों की मदद करने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य उन देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जो बाढ़, सूखा, तूफान, और समुद्र स्तर में वृद्धि जैसी जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाओं से प्रभावित हो रहे हैं।
L&D फंड की उत्पत्ति एवं विकास
वर्ष 2013 में वारसॉ, पोलैंड में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन-UNFCCC के लिए पक्षकारों के 19वें सम्मेलन (COP-19) में औपचारिक समझौते के परिणामस्वरूप लॉस एंड डैमेज फंड (Loss and Damage Fund) की स्थापना हुई थी। यह कोष विशेष तौर पर उन आर्थिक रूप से विकासशील देशों को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया था जो जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली हानि एवं क्षति से प्रभावित थे।
लॉस एंड डैमेज फंड कैसे काम करता है?
लॉस एंड डैमेज फंड विभिन्न देशों और संगठनों से धन एकत्र करता है, और इसे विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान को कम करने और पुनर्निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फंड का वितरण उन देशों को किया जाता है जिन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण गंभीर हानि हो रही है, जैसे कि बाढ़, तूफान, सूखा, और समुद्र स्तर में वृद्धि।
COP27 और लॉस एंड डैमेज फंड
COP27 सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के दौरान लॉस एंड डैमेज फंड को विशेष रूप से प्रमुखता दी गई। इसमें निर्णय लिया गया कि इस फंड का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रभावित देशों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए किया जाएगा। इसका उद्देश्य गरीब और विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिए संसाधन उपलब्ध कराना है।
लॉस एंड डैमेज फंड के उद्देश्य
इस फंड का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान को कम करना है। यह उन देशों को सहायता प्रदान करता है जो जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा, यह पुनर्निर्माण और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न समस्याओं के समाधान के लिए वित्तीय मदद भी उपलब्ध कराता है।
लॉस एंड डैमेज फंड का महत्व
लॉस एंड डैमेज फंड जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों को राहत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह जलवायु न्याय की दिशा में भी अहम कदम है, क्योंकि यह उन देशों से मदद प्राप्त करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन में सबसे अधिक योगदान दिया है। इस फंड से विकासशील देशों को आपातकालीन सहायता मिलती है, जो उनकी जीवन-शैली और विकास को बचाने में मदद करती है।
लॉस एंड डैमेज फंड में भारत का योगदान
भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से प्रभावित होने वाले देशों में शामिल है। इसके अलावा, भारत ने भी लॉस एंड डैमेज फंड में अपने योगदान के रूप में समर्थन दिया है। भारत का मानना है कि यह फंड जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ यह फंड क्यों जरूरी है?
लॉस एंड डैमेज फंड क्यों जरूरी है?, इसके बारे में नीचे बताएं गया है:-
- जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित देश आमतौर पर विकासशील होते हैं। ये देश पहले से ही गरीब हैं और उनके पास जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए संसाधन नहीं होते। इस फंड से इन्हें वित्तीय मदद मिलती है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा, तूफान और अन्य आपदाएँ बढ़ रही हैं। इन आपदाओं से निपटने के लिए तात्कालिक सहायता और पुनर्वास की जरूरत होती है, जो इस फंड से संभव है।
- वह देश, जिन्होंने जलवायु परिवर्तन में कम योगदान दिया है, उन्हें सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। यह फंड उन देशों को न्याय दिलाने का एक तरीका है, जो जलवायु संकट का सामना कर रहे हैं।
किन देशों और क्षेत्रों को इससे लाभ मिलता है?
इस फंड से उन देशों और क्षेत्रों को लाभ मिलता है जो जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे अधिक प्रभावित हैं। विशेष रूप से छोटे द्वीपीय देश, अफ्रीकी देश, और एशियाई देश को इस फंड से अधिक लाभ मिलता है। इन देशों में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा, और अन्य प्राकृतिक आपदाएं आम हैं, और उन्हें इस फंड से वित्तीय सहायता मिलती है।
लॉस एंड डैमेज फंड में कौन भुगतान करता है?
लॉस एंड डैमेज फंड में मुख्य रूप से विकसित देश योगदान करते हैं, क्योंकि ये देश सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने के लिए जिम्मेदार हैं। इन देशों ने जलवायु संकट को बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है, और इसलिए उन्हें इस संकट से प्रभावित देशों की मदद के लिए वित्तीय योगदान देना चाहिए।
इसके अलावा, उच्च आय वाले देशों और बड़े प्रदूषण करने वाले उद्योग भी फंड में योगदान कर सकते हैं। इन देशों को जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और विकासशील देशों को उनके नुकसान की भरपाई करने में मदद करनी चाहिए।
लॉस एंड डैमेज फंड से जुड़ी चुनौतियाँ
लॉस एंड डैमेज फंड से जुड़ी चुनौतियाँ (Loss and Damage Fund in Hindi) इस प्रकार है:-
विकसित देशों की अनिच्छा
- विकसित देश, खासकर अमेरिका, लॉस एंड डैमेज फंड में योगदान करने के लिए तैयार नहीं हैं।
- उनका योगदान स्वैच्छिक (इच्छा से) है, जिससे यह सवाल उठता है कि वे इस फंड के उद्देश्यों को लेकर गंभीर हैं या नहीं।
- धनी देशों की जिम्मेदारियों को पूरा न करने से, वैश्विक जलवायु वार्ता में विश्वास की कमी हो रही है और आपसी सहयोग में बाधाएं आ रही हैं।
फंड को लेकर अनिश्चितता
- अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि लॉस एंड डैमेज फंड का आकार कितना होगा।
- यूके और ऑस्ट्रेलिया के दबाव में फंड के आकार को तय करने के प्रयासों को रद्द कर दिया गया।
- वर्तमान मसौदे में केवल विकसित देशों से धन प्राप्त करने का अनुरोध किया गया है, लेकिन इसके लिए कोई स्पष्ट योजना या दिशा नहीं दी गई है।
कूटनीतिक विघटन और वैश्विक परिणाम
- विकासशील देशों का मानना है कि उनकी चिंताओं और आवश्यकताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सही तरीके से नहीं समझा जा रहा है।
- यह स्थिति जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक सहयोग को कमजोर करती है और अन्य महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों को सुलझाने में बाधा डालती है।
- अगर लॉस एंड डैमेज फंड का सही तरीके से संचालन नहीं हुआ, तो इसका असर जलवायु न्याय पर पड़ेगा, और इससे वे देश, जो सबसे कम उत्सर्जन करते हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं, और अधिक संकटों का सामना करेंगे।
जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अस्थिरता के सुरक्षा परिणाम
- जलवायु परिवर्तन के कारण कमजोर देशों में अस्थिरता और संघर्ष बढ़ सकते हैं, जैसे कि प्राकृतिक आपदा, सूखा, बाढ़ या खाद्य संकट के कारण सामाजिक और राजनीतिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।
- इन संघर्षों का असर केवल इन देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह अन्य देशों पर भी प्रभाव डाल सकता है, जिससे वैश्विक सुरक्षा पर संकट हो सकता है।
- यदि कमजोर समुदायों को समय पर सहायता नहीं मिलती, तो इससे खाद्य संकट, विस्थापन और संघर्ष जैसी मानवीय समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
- इन संकटों के कारण इन समुदायों को जलवायु परिवर्तन का सामना अकेले ही करना पड़ेगा, जिससे उनकी स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
लॉस एंड डैमेज फंड का भविष्य
लॉस एंड डैमेज फंड का भविष्य जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे देशों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि:-
- अगर विकसित देश नियमित रूप से इस फंड में मदद करते हैं, तो यह प्रभावी हो सकता है। लेकिन अगर वे योगदान नहीं देते, तो इसका असर कम हो सकता है।
- फंड का सही उपयोग जरूरी है, ताकि यह सभी देशों के लिए फायदेमंद हो।
- सभी देशों को मिलकर काम करना होगा। अगर विकासशील देशों की समस्याओं को ठीक से नहीं सुना गया, तो यह विवाद पैदा कर सकता है।
- जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बढ़ेंगे, वैसे-वैसे इस फंड की जरूरत भी बढ़ेगी। अगर फंड सही दिशा में काम करता है, तो यह विकासशील देशों की मदद कर सकता है।
FAQs
यह एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय साधन है, जिसे जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली क्षति और हानि से निपटने के लिए स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाव, नुकसान और क्षति से उबरने में सहायता प्रदान करना है।
लॉस एंड डैमेज फंड का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई करना है।
विकसित देशों द्वारा इस फंड में योगदान किया जाता है।
यह फंड मुख्य रूप से विकासशील और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों के लिए है।
हां, भारत ने भी इस फंड में अपना योगदान दिया है।
लॉस एंड डैमेज फंड की स्थापना वर्ष 2013 में हुई थी।
वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता, पुनर्निर्माण, और जलवायु अनुकूलन योजनाओं को लागू करने के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
इन देशों को प्राकृतिक आपदाओं से उबरने, जलवायु जोखिमों को कम करने और जलवायु अनुकूलन योजनाओं को लागू करने में सहायता दी जाएगी।
छोटे द्वीप राष्ट्र, अफ्रीकी और एशियाई देश जो जलवायु परिवर्तन से अधिक प्रभावित हैं, मुख्य लाभार्थी होंगे।
इन देशों को जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली हानि और नुकसान को कम करने के लिए सहयोग करना होगा और वित्तीय योगदान देना होगा।
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