Live Telecast of Chandrayaan 3 Landing : चंद्रयान 3 मिशन का लैंडर मॉड्यूल अब चन्द्रमा के बहुत करीब है, लैंडर मॉड्यूल 25 किमी x 134 किमी कक्षा पर लगातार चक्कर लगा रहा है। पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त, 2023 को लगभग 17 बजकर 45 मिनट से शुरू होने की संभावना है। दुनियाभर की निगाहें इस मिशन पर हैं।
चंद्रयान-2 के बाद चंद्रयान-3 से लोगों को बहुत उम्मीदें हैं, सबको अब 23 अगस्त का इंतजार है, जब चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत दुनिया में एक ऐतिहासिक कहानी रचेगा और चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराने वाला भारत पहला देश हो सकता है।
चंद्रयान-3 मिशन की सॉफ्ट-लैंडिंग का लाइव प्रसारण
ISRO द्वारा 23 अगस्त जब चंद्रयान-3 मिशन अपनी सफलता की ओर होगा, तो भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा, ये उपलब्धियां विभिन्न क्षेत्रों भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण पहल होगी। ISRO के LVM3-M4-चंद्रयान-3 मिशन की सॉफ्ट-लैंडिंग का लाइव प्रसारण (Live Telecast of Chandrayaan 3 Landing) 23 अगस्त को 17:20 बजे से शुरू होगा। जिसे टेलीविजन, इसरो की वेबसाइट, इसरो के यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज और डीडी (दूरदर्शन) नेशनल टीवी चैनल सहित कई जगहों पर 5 बजकर 27 मिनट से शुरू किया जायेगा।
अब चांद से कुछ ही दूर है चंद्रयान-3 मिशन
ISRO का Chandrayaan 3 मिशन अपने अंतिम पड़ाव में है। इससे पहले भी विक्रम लैंडर ने चन्द्रमा की दूर स्थल की तस्वीरें ली हैं। इन्हें इसरो द्वारा सोमवार यानी 21 अगस्त को ट्विटर के जरिये साझा की हैं। वहीं इसरो ने यह भी ट्वीट कर बताया कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल से संपर्क हुआ है। दोनों के बीच टू-वे कम्युनिकेशन स्थापित हो गया है।
चंद्रयान-3 की सफलता में चंद्रयान-2 का भी योगदान
चंद्रयान-3 की सफलता में चंद्रयान-2 का बहुत बड़ा योगदान रहेगा। चंद्रयान-2 की असफलता के बाद एक सबक लेकर चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं। जिसमे लैंडिंग क्षेत्र को 4.2 किलोमीटर लंबाई और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई तक बढ़ा दिया गया है। ऐसी कई चीजे हैं जिससे चंद्रयान-3 को बहुत मदद मिली है।
1976 में लॉन्च किया गया था लूना-24
आपको बता दें कि रूस का लूना-25 रविवार यानी 20 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने का पहला प्रयास, अंतरिक्ष यान के चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त होने के साथ विफलता में समाप्त हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोसकॉसमॉस’ ने कहा कि लैंडर एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराने के दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। 1976 में लॉन्च किया गया लूना-24, चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला आखिरी अंतरिक्ष यान था, इससे पहले चंद्र मिशन अचानक रुक गए थे और लगभग 2 दशकों तक कोई मिशन नहीं किया गया।
इन देशों ने की है चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने की कोशिश
देखा जाए तो दुनियाभर से चंद्रमा पर 20 से कई ज्यादा बार सफल लैंडिंग की जा चुकी हैं, जिसमें इसमें 6 बार इंसान भी शामिल है, लेकिन वहीं टेक्नालजी में अभी तक सफलता हासिल नहीं हुई है। पिछले 10 सालों में सिर्फ तीन चीनी लैंडिंग को छोड़कर, चंद्रमा पर सभी सफल लैंडिंग 1966 और 1976 के बीच एक दशक अंदर हुईं हैं। पिछले चार सालों में चार देशों ने भारत, जापान, इज़राइल और अब वर्तमान में रूस की सरकारी और प्राइवेट अंतरिक्ष एजेंसियों ने चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यान मिशन को उतारने की कोशिश की है, लेकिन वे भी सफलता से अभी तक दूर ही हैं।
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