जानिए अद्भुत शिल्पकारी के लिए प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर से जुड़े ये रोचक तथ्य

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कोणार्क सूर्य मंदिर

भारत को रहस्यों का देश कहा जाता है। यहाँ कई ऐसे रहस्‍य छिपे हुए हैं जिन्हें जानने के बाद उन पर यकीन करना आसान नहीं होता, लेकिन ये रहस्य भारत की प्राचीन संस्कृति और इतिहास की समृद्धि को दर्शाते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपनी पौराणिकता और आस्था के लिए विश्व भर में मशहूर है। यह मंदिर है कोणार्क का सूर्य मंदिर जिसे भारत का आठवां अजूबा भी कहा जाता है। तो आईये जानते हैं मंदिर के बारे में और अधिक जानकारी। 

कोणार्क सूर्य मंदिर का परिचय

भारत के ओडिशा राज्य के पुरी जिले में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और शिल्पकला के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग राजवंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम द्वारा शुरू करवाया गया था। इसका निर्माण लगभग 12 सालों में पूरा हुआ था। इस मंदिर की वास्तुकला और शिल्पकला बहुत ही अद्भुत, सुंदर और कलात्मक है। यह मंदिर किसी साधारण भवन की तरह नहीं, बल्कि एक विशाल रथ के आकार में निर्मित है जो किसी को भी पहली नजर में ही मंत्रमुग्ध कर देगा। मंदिर के चारों ओर 24 अश्व और 12 रथिकाएँ हैं। मंदिर के ऊपर एक विशाल चक्र है, जिसे सूर्य भगवान की शक्ति और चमक का प्रतीक माना जाता है। इन सब के अलावा मंदिर के गर्भगृह में सूर्य देव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है और मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर विभिन्न देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं की शिल्पकारी की गई है जिससे हिंदू धर्म की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का दर्शन किया जा सकता है।

कोणार्क सूर्य मंदिर का संक्षिप्त इतिहास 

इतिहास में उल्लेखित है कि भारत के सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थलों में से एक कोणार्क का सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग राजवंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने करवाया था और इसे पूरा होने में लगभग 12 साल लगे थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा नरसिंहदेव प्रथम सूर्य देव के उपासक थे और उन्होंने सूर्य देव को समर्पित एक भव्य मंदिर बनवाने का सपना देखा था। ऐसे में उन्होंने इंदुराज को मंदिर के निर्माण का कार्य सौंपा। बता दें कि इंदुराज उस समय के महान वास्तुकार और शिल्पकार थे। उन्होंने मंदिर की वास्तुकला और शिल्पकला को इतना सुंदर और कलात्मक बनाया कि आज दुनियाभर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं। इस मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर और काले ग्रेनाइट से किया गया है। इतिहासकारों के मुताबिक 14वीं शताब्दी में कुछ आक्रमणकारियों द्वारा इस मन्दिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हालाँकि 19वीं शताब्दी में, इसका पुनर्निर्माण किया गया, लेकिन अभी भी यह मूल रूप से क्षतिग्रस्त है।

कोणार्क सूर्य मंदिर की वास्तुकला

यह मंदिर भारत की सबसे प्रसिद्ध और विशिष्ट वास्तुकला शैलियों में से एक है जो ओडिशा शैली की वास्तुकला को भव्य पैमाने पर प्रदर्शित करता है, जिसे कलिंग शैली के रूप में भी जाना जाता है। विशाल रथ के रूप में डिज़ाइन किया गया यह मंदिर सूर्य देव को उनकी रथ पर सवार होने के रूप में चित्रित करता है। इसके अलावा मंदिर का पूर्वी भाग एक ढलान के साथ बनाया गया है जिससे उगते सूरज की पहली किरणें मुख्य द्वार पर पड़ती है। 

वहीं मंदिर परिसर 26 एकड़ भूमि में फैला हुआ है जो इसे एक विशाल संरचना बनाता है। इस मंदिर की ऊंचाई 229 फीट है जो इसे भारत के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक बनता है। इसी के साथ यह मंदिर भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण प्रतीक माना गया है। 

कोणार्क सूर्य मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य 

कोणार्क सूर्य मंदिर को लेकर कई रहस्य सामने आते हैं, जिनमें से कुछ इस लेख में दिए गए हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मंदिर को 14वीं शताब्दी में पुर्तगाली आक्रमणकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। हालांकि इसके बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। इस भव्य मंदिर को 1255 ई. पू. में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा 1200 कलाकारों की मदद से बनवाया गया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर के शिखर पर 52 टन का एक चुम्बकीय पत्थर लगा हुआ था जिससे समुद्री जहाज इस ओर खिंचे चले आते हैं। इसके कुछ समय बाद अंग्रेज़ इस पत्थर को निकाल ले गये। 

विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल

भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक कोणार्क सूर्य मंदिर अपनी कई खासियत के चलते वर्ष 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया। आपको बता दें कि अभी तक भारत में कुल 41 विश्व धरोहर स्थल है जिसमें से 33 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक स्थल और 1 मिश्रित विश्व विरासत स्थल हैं। यह भी बता दें कि वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स इन इंडिया में सबसे पहले 1983 में अजंता की गुफाएं, एलोरा की गुफाएं, ताजमहल और आगरा के किले को शामिल किया गया था। उसके बाद धीरे धीरे कई स्थल जुड़ते चले गए। वहीं हाल ही में 18 सितम्बर 2023 को शांतिनिकेतन को वैश्विक धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।

FAQs 

कोणार्क मंदिर का दूसरा नाम क्या है?

कोणार्क मंदिर को ‘काला पैगोडा’ भी कहा जाता है। बता दें कि काले ग्रेनाइट से निर्मित होने के कारण इसे ऐसा कहा जाता है।

कोणार्क मंदिर किस देवी देवता को समर्पित है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये मन्दिर सूर्य देव को समर्पित है, जिन्हें स्थानीय लोग ‘बिरंचि-नारायण’ कहते थे।

सूर्य मंदिर किसने बनवाया था?

उड़िसा के कोर्णाक में स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए यह मंदिर पूरे दुनिया भर में जाना जाता है।

कोर्णाक मंदिर को विश्व धरोहर स्थल की सूची में कब शामिल किया गया?

कोर्णाक मंदिर को 1984 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया। 

कोर्णाक मंदिर कहाँ स्थित है?

कोर्णाक मंदिर ओडिशा राज्य के पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित है। 

आशा है कि आपको कोणार्क सूर्य मंदिर से जुड़ी सभी जानकारी इस लेख में मिल गयी होगी। वैश्विक धरोहर से जुड़े ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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