कालीबंगा राजस्थान राज्य के हनुमानगढ़ जिले का एक प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष पाए गए हैं। यह सिंधु घाटी सभ्यता का एक छोटा शहर हुआ करता था। यह 400 ईसा पूर्व से भी अधिक प्राचीन नगर है। यहाँ एक दुर्ग भी पाया गया है। इसकी खोज सन 1952 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के निदेशक ‘अमलानंद घोष’ द्वारा की गई थी। यहाँ कालीबंगा के इतिहास से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताया गया है।
This Blog Includes:
कालीबंगा की भौगोलिक स्थिति
पुरातात्विक स्थल कालीबंगा, राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित है। हनुमानगढ़ से इसकी दूरी 30 किलोमीटर है। आपको बता दें कि बीकानेर या हनुमानगढ़ से आने वाले लोगों को पीलीबंगा से होकर जाना होगा। कालीबंगा, पीलीबंगा से मात्र पांच किलोमीटर दूर है। पीलीबंगा में बीकानेर तथा हनुमानगढ़ से सीधी रेल सेवा भी उपलब्ध है।
कालीबंगा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
कालीबंगा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य नीचे दिए गए हैं:
- यह नगर ‘सरस्वती नदी’ के तट पर स्थित है।
- यहाँ मिली तांबे की काली चूड़ियों के कारण ही इस स्थान को ‘कालीबंगा’ कहा गया।
- इस सभ्यता में नगर सुनियोजित ढंग से बसाये गए थे। यहाँ एक टीले से जुते हुए खेत के अवशेष मिले हैं जिससे पता चलता है कि यहाँ के लोग खेती के ज्ञान से अवगत थे।
- यहाँ के उत्खनन में लघु पाषाण उपकरण, मणिक्य, मिट्टी के मनके, शंख, कांच व मिट्टी की चूड़ियां, खिलौना, गाड़ी के पहिए, बैल की खण्डित मृण्मूर्ति, सिलबट्टे आदि के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- इस युग में पत्थर व ताँबे दोनों प्रकार के उपकरण प्रचलित थे, परंतु पत्थर के उपकरणों का प्रयोग अधिक होता था।
- यहाँ से तांबे के धातु से बने हथियार मिले हैं। इससे पता चलता है कि वे लोग हथियारों से और तांबे की धातु से परिचित थे।
- यहाँ से शैलखड़ी की मुहरें और मिट्टी की छोटी मुहरें मिली हैं। मिट्टी की मुहरों पर सरकंडे की आकृति छपी मिली है।
- यहां से प्राप्त मुहरें ‘मेसोपोटामिया’ की मुहरों से मिलती हैं।
- यहाँ पर प्राप्त पत्थर से बने बाट से पता चलता है कि यहाँ के लोग तौलने के लिए बाट का उपयोग किया करते थे।
- ऐसा माना जाता है कि यहाँ अंत्येष्ठी संस्कार की तीन विधियां प्रचलित थीं: पूर्व समाधीकरण, आंशिक समाधिकरण और दाह संस्कार।
- यहाँ वैज्ञानिकों को भूकंप के आने के प्रमाण मिले हैं। इससे पता चलता है कि संभवत: भूकंप के कारण ही कालीबंगा के प्राचीन नगर का विनाश हो गया होगा और यह महान संस्कृति समाप्त हो गई होगी।
- राजस्थान सरकार द्वारा कालीबंगा में उत्खनन से मिले अवशेषों को संरक्षित करने के लिए एक अलग म्यूज़ियम का निर्माण करवाया गया है।
कालीबंगा में प्राप्त टीले
कालीबंगा में वर्तमान समय में तीन टीले प्राप्त हुए है:-
- KLB1 – पश्चिम में छोटा
- KLB2 – मध्य में बड़ा
- KLB3 – पूर्व में सबसे छोटा
कालीबंगा से मिली पुरातत्व सामग्रियां
यहाँ कालीबंगा से मिली पुरातत्व सामग्रियों की सूची दी जा रही है:-
- ताँबे के औजार व मूर्तियाँ
- अंकित मुहरें
- ताँबे या मिट्टी की बनी मूर्तियाँ, पशु-पक्षी व मानव कृतियाँ
- तोलने के बाट
- बर्तन
- आभूषण
- नगर नियोजन
- कृषि-कार्य संबंधी अवशेष
- खिलौने
- धर्म संबंधी अवशेष
- दुर्ग (किला)
FAQs
कालीबंगा 4000 ईसा पूर्व से भी अधिक प्राचीन मानी जाती है। सर्वप्रथम 1952 ई में अमलानंद घोष ने इसकी खोज की थी।
कालीबंगा में उत्खन्न से प्राप्त अवशेषों में ताँबे (धातु) से निर्मित औज़ार, हथियार व मूर्तियाँ मिली हैं, जो यह प्रकट करती है कि मानव प्रस्तर युग से ताम्रयुग में प्रवेश कर चुका था।
अधिकांश विद्वानो के मतानुसार इस सभ्यता का अंत बाढ़ के प्रकोप से हुआ।
कालीबंगा को सिंधु सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
कालीबंगन में उत्खनन पांच स्तरों या चरणों में किया गया था, जिसे कालीबंगन I से V के रूप में पहचाना गया।
आशा है इस ब्लॉग से आपको कालीबंगा का इतिहास और इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई होगी। प्राचीन भारत के इतिहास से जुड़े हुए ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।