होली के रंगों में महिलाओं की उपेक्षा से रहित समाज

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Holi ke rangon mein mahilaon ki upeksha se rahit samaj

भारत को त्यौहारों का देश कहा जाता है। यह एक ऐसा देश है जहां लोग साल में कई मौकों पर कई रंगीन त्यौहारों का स्वागत करते हैं। इन सभी त्यौहारों में होली को भारत के मुख्य त्यौहारों में से एक माना जाता है। इस बार होली 8 मार्च की है। सभी घरों में महिलाएं होली की तैयारी में जुटी हैं। सभी औरतें और लड़कियां होली पर आने वाले मेहमानों के स्वागत के लिए तरह तरह के पकवान और मिठाइयाँ तैयार करने में जुटी हैं। लेकिन इस होली आपको यह ध्यान देने की ज़रूरत है कि औरतों की हद बस किचिन तक ही सीमित न रहा जाए। आपको इस बात का ध्यान देना होगा कि होली के त्यौहार में महिलाएं भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले सकें। 

प्राचीन समाज और आधुनिक समाज में होली के संबंध में महिलाओं की स्थिति में आया है बड़ा बदलाव 

पुराने समय में औरतें पर्दे या घूँघट में रहती थीं। उनका काम बस होली पर आने वाले मेहमानों को पकवान आदि परोसना रहता था। मर्दों के साथ होली खेलने की इजाजत उन्हें नहीं थी। लेकिन अब समय बदल गया है। औरतें अब होली का पूरा आनंद उठती हैं। हालांकि गांवों और बहुत छोटे शहरों में अभी भी कहीं कहीं औरतें होली के त्यौहार में खुलकर हिस्सा नहीं ले पाती हैं। 

Holi ke rangon mein mahilaon ki upeksha se rahit samaj

आप इस बार होली पर जेंडर इक्वालिटी का ध्यान रखने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं : 

  1. औरतों को स्पेशल फील कराएं और उन्हें खुलकर होली के उत्सव में हिस्सा लेने दें। 
  2. औरतों को भी ऐसा महसूस होने दें कि वे भी मर्दों के बराबर हैं और जमकर होली खेल सकती हैं। 
  3. घर के कुछ रूढ़िवादी सदस्यों और बुजुर्गों को यह समझाने का प्रयास करें कि होली एक बराबरी का त्यौहार है और जिस तरह से मर्दों को होली खेलने का पूरा अधिकार है वैसे ही औरतों को भी इसे खुलकर मनाने का पूरा हक़ है। 
  4. अपने बच्चों को भी होली पर जेंडर इक्वालिटी के महत्व के बारे में बताएं ताकि भविष्य में वे भी होली पर महिलाओं को खुलकर होली का उत्सव मनाने देने के लिए आगे आ सकें। 
  5. बाज़ार में बच्चों के लिए पिचकारियाँ कुछ इस तरह से डिजाइन की जाती हैं जिनसे साफ पता चलता है कि यह लड़के की पिचकारी है और यह लड़की की। इस तरह के खिलौने अपने बच्चों को न लाकर दें। इससे बच्चों के मन में लड़का लड़की को लेकर भेदभाव की भावना जन्म लेती है। लड़का और लड़की दोनों के लिए एक ही जैसी पिचकारियाँ लाकर दें। 
  6. होली पर लड़कों को भी घर की साफ सफाई और मिठाइयाँ बनाने में लड़कियों का हाथ बंटाने के लिए कहें। इससे लड़कियों को और लड़कों को यह नहीं लगेगा कि होली पर साफ सफाई और कुकिंग करना केवल लड़कियों का ही काम है। 

उम्मीद है आपको यह ब्लॉग पढ़ने के बाद आधुनिक होली और प्राचीन समाज में होली पर महिलाओं की स्थिति के  बारे में बहुत सी जानकारियां प्राप्त हुई होगी। यदि आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया हो तो आप  अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी यह ब्लॉग जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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