हर्यक वंश का इतिहास: जानिए हर्यक वंश के इतिहास और इसके योगदान से जुड़ी अहम घटनाओं के बारे में

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हर्यक वंश का इतिहास

हर्यक वंश का इतिहास उन चुनिंदा राजवंशों की श्रेणी में आता है, जिन्होंने भारतीय इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित कर के युगों-युगों तक वैभव‌ और ऐश्वर्य कमाया। भारतीय इतिहास में कई राजवंश ऐसे हुए जिनके बारे में जानकर आप अपने ज्ञान के भंडार में तो विस्तार कर ही सकते हैं, साथ ही उन राजवंश के कालखंड में हुई उपलब्धियों से प्रेरणा लेकर अपने बेहतर भविष्य के लिए भी काम कर सकते हैं।

हर्यक वंश का स्थापना वर्ष544 ईसा पूर्व.
हर्यक वंश ने कितने वर्षों तक शासन कियालगभग 131 वर्ष
हर्यक वंश का कार्यकाल544 ईसा पूर्व से लेकर 412 ईसा पूर्व तक
हर्यक वंश के संस्थापक का नाम बिम्बिसार
हर्यक वंश के अंतिम शासकनागदशक

हर्यक वंश का उदय

हर्यक वंश का इतिहास इस वंश के उदय के साथ शुरू होता है। इतिहास के पन्ने खोलकर देखा जाए तो पता लगेगा कि मगध पर शासन करने वाला तीसरा राजवंश हर्यक राजवंश था। हर्यक राजवंश ने लगभग 131 वर्ष तक मगध पर शासन किया, जिसमें कुल सात राजाओं द्वारा 544 से 413 ई.पू तक शासन किया गया था। प्रद्योत वंश के अंतिम शासक महाराजा वर्तिवर्धन की हत्या करने के बाद 544 ई.पू. में बिम्बिसार ने हर्यक राजवंश की स्थापना की। बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगृह) को अपने राज्य की राजधानी बना कर शासन किया।

हर्यक वंश के मुख्य शासक

हर्यक वंश का इतिहास इस वंश के मुख्य शासकों पर आधारित है, इन मुख्य शासकों ने हर्यक वंश का विस्तार करा। हर्यक वंश के मुख्य शासकों की सूची कुछ इस प्रकार है-

शासक का नाम शासन अवधि (ई.पू)शासन वर्ष
महाराजा बिम्बिसार544–49252 
महाराजा अजातशत्रु492–46032 
महाराजा उदयन 460–44416 
महाराजा अनिरुद्ध444–440
महाराजा मुंडा440–437
महाराजा दर्शक437कुछ माह 
महाराजा नागदशक437–41324 

हर्यक वंश की उपलब्धियां

हर्यक वंश का इतिहास इस राजवंश की उपलब्धियों पर भी आधारित है, आप हर्यक वंश द्वारा लोकहित में प्राप्त उपलब्धियों को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से ध्यान पूर्वक देख सकते हैं।

  • हर्यक वंश का संस्थापक बिंबिसार था, जिसने मगध जैसे बड़े राज्य पर अपना अधिपत्य स्थापित किया।
  • बिंबिसार के बौद्ध धर्म का अनुयायी होने के साथ-साथ बौद्ध धर्म का खूब प्रचार हुआ।
  • कुछ इतिहासकारों का यह भी मनना है कि वह ही प्रथम भारतीय राजा थे, जिन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था पर बल दिया।
  • बिंबिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग राज्य को मगध में मिला लिया और साम्राज्य का विस्तार किया।
  • अंग राज्य को हर्यक वंश की साम्राज्य की सीमाओं में लाने के बाद महाराज बिंबिसार ने अपने पुत्र अजातशत्रु को वहाँ का शासक नियुक्त किया।

हर्यक वंश का साम्राज्य विस्तार

हर्यक वंश का इतिहास हर्यक वंश की साम्राज्य विस्तार की नीतियों के साथ लगभग 131 वर्षों का विवरण देता है। हर्यक वंश का उदय नागवंश की उपशाखा के रूप में 544 ईसा पूर्व में हुआ, जिसके मुख्य संस्थापक महाराजा बिंबिसार को माना जाता है।

हर्यक वंश के साम्राज्य का विस्तार हो सके इसके लिए राजा बिंबिसार ने वैवाहिक संबंधों को आधार बनाया। इन्होंने क्रमशः भद्र देश की राजकुमारी (पंजाब की राजकुमारी) क्षेमा से, कौशल नरेश (प्रसेनजीत) की बहन महाकोशला से और वैशाली नरेश चेटक की पुत्री “चेल्लना” से विवाह कर लिया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

देखा जाए तो एक कुशल कूटनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक होने का परिचय देते हुए महाराजा बिंबिसार ने उस समय के प्रमुख राजवंशों में वैवाहिक संबंध स्थापित किए। इन वैवाहिक संबंधों को राजनीति की दृष्टिकोण से भी शसक्त देखा जा सकता है, इसी प्रकार हर्यक वंश के साम्राज्य का विस्तार हुआ।

हर्यक वंश का पतन

हर्यक वंश का इतिहास इस वंश के पतन के साथ समाप्त हो जाता है। समय कभी भी एक सा नहीं रहता, परिस्थितियां बदलती हैं और समय कभी भी एक सा नहीं रहता इसका परिचय देती हैं। आसान भाषा में समझा जाए तो जिसका भी सूर्य उदय होता है, उसका सूर्य अस्त भी होता है। समय की करवटों की सियासत में बड़े से बड़े राजवंशों का उदय और पतन भी हुआ है। पतन का मुख्य कारण शासन व्यवस्था में भ्रष्टाचारी का होना होता है। 

412 ईसा पूर्व हर्यक वंश का अंतिम शासक महाराजा नाग दशक बहुत ही निर्बल था। जिनके सिहासन पर बैठने के बाद राज्य में अनियमितताओं का दौर चल पड़ा। प्रजा के असंतोष को देख कर इनके शत्रु शिशुनाग ने इनकी हत्या करके हर्यक वंश का अंत करके शिशुनाग वंश की स्थापना की।  लगभग 131 से अधिक वर्षों तक राज करने वाले इस वंश का पतन हो गया।

FAQs

हर्यक वंश का प्रथम राजा कौन था?

हर्यक वंश का प्रथम राजा बिम्बिसार था। 

महाराज बिम्बिसार ने कब से कब तक अथवा कुल कितने वर्षों तक राज किया?

महाराज बिम्बिसार ने 544–492 ईसा पूर्व तक अथवा लगभग 52 वर्षों तक राज किया। 

हर्यक वंश का अंतिमराजा कौन था?

हर्यक वंश का अंतिम राजा नागदशक था।

हर्यक वंश में कुल कितने शासकों ने शासन किया?

हर्यक वंश के लगभग 131 से अधिक वर्षों में कुल 7 शासकों ने शासन किया।

हर्यक वंश की राजधानी क्या थी?

हर्यक वंश के संस्थापक महाराजा बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगृह) को अपने राज्य की राजधानी बना कर शासन किया।

आशा है कि हर्यक वंश का इतिहास आपके ज्ञान को बढ़ाएगा। इस ब्लॉग का लिखा हुआ एक-एक शब्द आपको जानकारी से भरपूर और अच्छा लगा होगा। इतिहास से जुड़े हुए ऐसे ही अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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