सिख धर्म भारत का एक प्रमुख धर्म है। इसे विश्व के नवीनतम धर्मों में से एक माना जाता है। सिख धर्म इसके गुरुओं की शिक्षाओं पर आधारित है। सिख का अर्थ भी शिष्य ही होता है। सिख धर्म की शुरुआत गुरु नानक ने की थी। उनके बाद सिखों के 9 अन्य गुरु और हुए। गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें एवं अंतिम गुरु थे। इस बार गुरु गोबिंद सिंह जयंती 17 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी। यहाँ गुरु गोबिंद सिंह की जयंती कब है (Guru Gobind Singh Jayanti Kab Hai) और गुरु गोबिंद सिंह के जीवन से जुड़ी जानकारी दी जा रही है।
गुरु गोबिंद सिंह का संक्षिप्त जीवन परिचय
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में 9वें सिख गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी के यहाँ हुआ था। इनकी माता नाम गुजरी जी था। इनके जन्म के समय गुरु तेग बहादुर जी असम में उपदेश देने के लिए गए हुए थे। इनके बचपन का नाम गोविंद राय था। वे अपने पटना वाले घर में केवल 4 सालों तक रहे। उसी स्थान पर आज तख़्त श्री हरमिंदर जी पटना साहिब स्थित है। इनके तीन पुत्र थे जिनके नाम जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फ़तेह सिंह था।
1670 में उनका परिवार फिर पंजाब आ गया। मार्च 1672 में उनका परिवार हिमालय के शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्क नानकी पर रहने लगा। चक्क नानकी को ही वर्तमान में आनंदपुर साहिब के नाम से जाना जाता है। यहीं पर उनकी शिक्षा शुरू हुई। उन्होंने फ़ारसी और संस्कृत भाषा सीखने के साथ साथ युद्ध कला का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती कब है? (Guru Gobind Singh Jayanti Kab Hai)
- इस बार गुरु गोबिंद सिंह जयंती 17 जनवरी 2024 को मनाई जाएगी।
- यह गुरु गोबिंद सिंह की 357वीं वर्षगांठ है।
- इस दिन बुधवार है।
गुरु गोबिंद सिंह की प्रमुख रचनाएं
यहाँ गुरु गोबिंद सिंह की प्रमुख रचनाओं के बारे में बताया जा रहा है :
- दशम ग्रन्थ
- जाप साहिब
- जफरनामा
- चण्डी चरित्र
- पख्याँ चरित्र लिख्यते
- अकाल उस्तत
- खालसा महिमा
गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षाएं
यहाँ गुरु गोबिंद सिंह की शिक्षाओं के बारे में बताया जा रहा है :
- असाहय लोगों पर कभी बल प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- इंसानियत से प्रेम करना ही ईश्वर की सच्ची अराधना है।
- अच्छे कर्म करने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- मनुष्य को अपनी कमाई का 10वां भाग दान में देना चाहिए।
गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महत्व
यहाँ गुरु गोबिंद सिंह जयंती के महत्व के बारे में बताया जा रहा है :
- गुरु गोबिंद सिंह जयंती के दिन लोग उनकी दी गई शिक्षाओं को याद करते हैं।
- इस दिन गुरु गोबिंद सिंह के द्वारा लिखे गए भजनों और कविताओं आदि को गाते एवं सुनते हैं।
- इस दिन जगह जगह लंगरों का आयोजन किया जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह का सिखों के 10वें एवं अंतिम गुरु के रूप में चुना जाना
जिस समय गुरु गोबिंद सिंह को सिखों का अंतिम और 10वां गुरु चुना गया उस समय उनकी उम्र मात्र 9 साल थी। औरंगज़ेब कश्मीरी पंडितों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर तुला था। कश्मीरी पंडितों के विरोध करने पर औरंगज़ेब ने यह शर्त रखी कि यदि कोई महापुरुष इस्लाम कबूल करने से मना कर देगा तो मैं तुम लोगों को छोड़ दूंगा। तब कश्मीरी पंडित अपनी प्रार्थना लेकर गुरु गोबिंद सिंह के पिता गुरु तेग बहादुर के पास आए। उन्होंने कश्मीरी पंडितों की फरियाद स्वीकार की और औरंगज़ेब के सामने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया। इस बात से खफा होकर औरंगज़ेब ने दिल्ली के चांदनी चौक पर सबके सामने गुरु तेग बहादुर का सर कटवा दिया। इसके बाद वैशाखी के दिनन 29 मार्च 1676 को गुरु गोबिंद सिंह को सिखों का 10वां गुरु कर दिया गया।
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