श्रीगुप्त (शासनकाल 240 – 280 ई) ने गुप्त साम्राज्य की स्थापना की थी। श्रीगुप्त के बाद उसका पुत्र घटोत्कच गद्दी पर बैठा था। इस वंश का प्रथम चक्रवती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य प्रथम था। उसने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की थी और पूरे भारत को एक करके अखंड भारत का सपना पूरा किया था। चन्द्रगुप्त ने लिच्छवी वंश की राजकुमारी कुमारदेवी से शादी की थी। उसे दहेज़ में वैशाली नगर मिला था। गुप्त वंश में सबसे पहले चांदी के सिक्के चलाने के श्रेय भी चन्द्रगुप्त मौर्य को ही जाता है।
श्रीगुप्त को आदिराज की उपाधि दी जाती है क्योंकि उसने ही गुप्त साम्राज्य की नींव रखी थी। इतिहासकारों ने उसका शासनकाल 260 और 600 ईस्वी के बीच माना है। 7वीं शताब्दी के अंत में भारत में आए चीनी यात्री इत्सिंग ने श्रीगुप्त नाम के एक भारतीय शासक के बारे में लिखा है। उसने बताया है कि लगभग 500 पहले नालंदा से लगभग 40 योजन दूर पूर्व दिशा में श्रीगुप्त नाम का एक शासक हुआ था जिसने गुप्त साम्राज्य की स्थापना की थी। उसने अपनी पुस्तक में यह भी बताया है कि श्रीगुप्त ने चीनी तीर्थ यात्रियों के लिए मृग शिखा वन नामक स्थान पर एक बौद्ध मंदिर का निर्माण कराया था। उसने इस मंदिर की देखरेख के लिए होने वाले व्यय के निर्वाह हेतु 24 ग्राम भी दान में दिए थे।
गुप्त वंश से जुड़े रोचक तथ्य
- यहाँ गुप्तवंश से जुड़े कुछ तथ्य बताए जा रहे हैं :
- गुप्त वंश के लोग पहले ज़मींदार हुआ करते थे।
- गुप्त वंश के कमजोर शासन के कारण हूणों के आक्रमण के द्वारा 550 ई. में गुप्त साम्राज्य का पतन हो गया।
- गुप्तकाल में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी।
- गुप्तवंश के शासनकाल में बहुत से मंदिर बनवाए गए थे। दशावतार मंदिर और सारनाथ का मंदिर इसके कुछ उदाहरण हैं।
- गुप्त काल में अनेक विद्वानों ने जन्म लिया। महाकवि कालीदास, आर्यभट्ट, विष्णु शर्मा, हरिसेन ब्रह्मगुप्त आदि ऐसे ही कुछ विद्वानों के नाम हैं जो गुप्तकाल में पैदा हुए।
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