Essay on Udham Singh: उधम सिंह पर परीक्षाओं में पूछे जाने वाले निबंध

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Essay on Udham Singh in Hindi

उधम सिंह एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उधम सिंह को 13 मार्च 1940 को ब्रिटिश भारत में पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल माइकल ओ’डायर की हत्या के लिए जाना जाता है। यह उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए किया था जो 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुआ था। वे ऐसे देशभक्त थे जिनके बारे में सभी छात्रों को जानकारी होनी चाहिए। इसलिए कई बार छात्रों को परीक्षाओं और कक्षाओं में उधम सिंह पर निबंध लिखने को दिया जाता है। Essay on Udham Singh in Hindi के बारे में अधिक जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

उधम सिंह पर 100 शब्दों में निबंध

Essay on Udham Singh in Hindi 100 शब्दों में नीचे दिया गया है-

उधम सिंह एक प्रमुख भारतीय क्रांतिकारी थे। उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के सुनाम में हुआ था। उधम सिंह को मुख्य रूप से 13 मार्च 1940 को लंदन में जनरल माइकल ओ’डायर की हत्या करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने माइकल ओ’डायर की हत्या 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए की थी। जहाँ ब्रिटिश सैनिकों ने सैकड़ों निहत्थे भारतीयों को मार डाला था। इस अत्याचार से बहुत आहत होकर उधम जी ने बदला लेने की कसम खाई थी और लंदन जाकर जनरल दायर की सावधानीपूर्वक हत्या की योजना बनाई थी। हत्या के बाद में पकड़े जाने और मुकदमा चलाए जाने के बाद उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गई थी। उधम सिंह के इस बलिदान ने उस समय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई लोगों को प्रेरित किया जिससे भारत की स्वतंत्रता का रास्ते आगे के लिए खुल गया था। आज उन्हें एक शहीद और उत्पीड़न के खिलाफ एक प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उधम सिंह अपने बलिदान के बाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर हो गए हैं।

उधम सिंह पर 200 शब्दों में निबंध

Essay on Udham Singh in Hindi 200 शब्दों में नीचे दिया गया है-

उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब में हुआ था। उधम सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी बदौलत भारत आगे चलकर ब्रिटिश हुकुमत से आज़ाद भी हुआ। उधम सिंह को अपने साहस के लिए अक्सर शहीद-ए-आज़म सरदार उधम सिंह के रूप में जाना जाता है। उनके पिता सरदार टहल सिंह जम्मू, उपली गाँव में रेलवे क्रॉसिंग के चौकीदार के रूप में काम किया करते थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद उधम सिंह अमृतसर के पुतलीघर में केंद्रीय खालसा अनाथालय में चले गए थे। वहां पर उन्होंने सिख धर्म के संस्कारों के बारे में सीखा और उन्हें वहां उधम सिंह नाम दिया गया था।

भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद आदि जैसे कई क्रांतिकारी नेताओं से प्रेरित होकर उधम सिंह 1924 में ग़दर पार्टी में शामिल हो गए थे। अवैध रूप से हथियार रखने के आरोप में उधम सिंह जेल में डाल दिया गया था और उनकी ग़दर पार्टी की किताबें भी जब्त कर ली गईं।

इससे कुछ वर्ष पहले हुए जलियाँवाला बाग हत्याकांड से उधम सिंह बहुत आहत हुए थे। 13 अप्रैल 1919 को जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के शांतिपूर्ण सभा पर गोलीबारी करने का आदेश दिया और उसके परिणामस्वरूप 379 पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे और 1,200 लोग घायल हो गए थे (डेटा: World History Encyclopedia)। इस क्रूरता भरी घटना ने सिंह को बहुत परेशान कर दिया था। इस कारण से उन्होंने बदला लेने की कसम खाई थी। 13 मार्च 1940 को उधम सिंह लंदन गए और जनरल माइकल ओ’डायर की हत्या करके नरसंहार का बदला लिया। उधम सिंह ने कैक्सटन हॉल में एक बैठक में ओ’डायर को गोली मार दी। उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और एक मुकदमे के बाद, जुलाई 1940 में उनकी हत्या के लिए उन्हें फांसी दे दी गई थी।

उधम सिंह पर 500 शब्दों में निबंध

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प्रस्तावना

शहीद उधम सिंह ग़दर पार्टी से जुड़े एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उधम सिंह 13 मार्च 1940 को माइकल ओ’डायर की हत्या के लिए जाने जाते हैं। अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड के दौरान माइकल ओ’डायर पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। पंजाब में स्वतंत्रता आंदोलन के कारण बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण ओ’डायर ने ब्रिटिश सेना के जनरल रेजिनाल्ड डायर को प्रांत में व्यवस्था ठीक करने के लिए जो भी आवश्यक कदम उठाने का अधिकार दिया। जिसके परिणाम ब्रिटिश सेना ने जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम दिया गया जिसमें कई मासूम लोगों की मृत्यु हुई थी। इस निर्णय ने माइकल ओ’डायर को अमृतसर में हुए नरसंहार के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार बना दिया था।

उधम सिंह का शुरुआती जीवन

उधम सिंह के बचपन का नाम शेर सिंह था। उनका जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के सुनाम में हुआ था। उनके पिता रेलवे क्रॉसिंग पर चौकीदार के रूप में काम करते थे। उधम सिंह के पिता की मृत्यु के बाद में उन्हें और उनके भाई को अमृतसर के पुतलीघर में केंद्रीय खालसा अनाथालय ले जाया गया। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड से वे बहुत आहत हुए थे। उन्होंने वर्ष 1918 में अपनी मैट्रिक की परीक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1919 में अनाथालय को छोड़ दिया। वर्ष 1924 में वे औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए विदेशों में भारतीयों को संगठित करने में मदद करने के लिए ग़दर पार्टी में शामिल हो गए। वर्ष 1927 में उन्हें अवैध हथियार रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और पाँच साल की जेल की सजा सुनाई गई।

जलियांवाला बाग हत्याकांड

13 अप्रैल 1919 के दिन लगभग 20,000 निहत्थे लोग अमृतसर के जलियाँवाला बाग में रॉलेट एक्ट के पारित होने के बाद हुई गिरफ़्तारियों और पुलिस की आम लोगों पर बर्बर कार्रवाई के विरोध में एकत्रित हुए थे। जनरल रेजिनाल्ड डायर की कमान में ब्रिटिश सैनिकों ने उन्हें घेर लिया। प्रदर्शनकारियों पर ब्रिटिश सैनिकों ने गोलियाँ चलाईं, जिससे 379 पुरुष, महिलाएँ और बच्चे मारे गए थे और 1,200 लोग घायल हो गए थे (डेटा: World History Encyclopedia)। इस नरसंहार के बाद से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा हमेशा के लिए बदल गई। इस नरसंहार का उधम सिंह पर भी गहरा प्रभाव पड़ा उधम सिंह उस समय क्रांतिकारी गतिविधियों और राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल हो गए थे। वे भगत सिंह और उनके समूह से बहुत अधिक प्रभावित थे। उधम सिंह वर्ष 1924 में ग़दर पार्टी में शामिल हुए और औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से प्रवासी भारतीयों को संगठित किया। वर्ष 1927 में क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सहयोगियों और हथियारों के साथ भारत लौटते समय उन्हें अवैध रूप से हथियार रखने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया और पाँच साल की जेल की सज़ा सुनाई गई। वर्ष 1931 में जेल से रिहा होने के बाद उधम सिंह पुलिस की निगरानी से बच निकले। ग़दर पार्टी से जुड़े होने के कारण उन पर नज़र रख रही थी। वे जर्मनी चले गए और वर्ष 1934 में लंदन पहुँच गए। शहर में नौकरी पाकर उन्होंने जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड में शामिल माइकल ओ’डायर की हत्या की योजना बनाई।

उधम सिंह के द्वारा माइकल ओ’डायर की हत्या

13 मार्च 1940 को माइकल ओ’डायर लंदन के कैक्सटन हॉल में भाषण देने के लिए आए थे। उस समय उधम सिंह भी वहां पंहुचे थे। उधम सिंह ने अपनी खरीदी हुई रिवॉल्वर अपने पास छिपा ली और हॉल में जाकर बैठ गए। वे वहां ओ’डायर के आने का इंतज़ार करने लगे। जैसे ही ओ’डायर मंच के पास पहुँचा सिंह ने अपने रिवॉल्वर से उस पर दो गोलियाँ चलाईं। गोलियाँ ओ’डायर के संवेदनषील अंगों पर लगीं, जिससे उसकी तुरंत मौत हो गई। गोली लगने के बाद उधम सिंह ने उसी समय आत्मसमर्पण कर दिया था।

उधम सिंह पर किया गया मुकदमा और फांसी

उधम सिंह पर माइकल ओ’डायर की हत्या का आरोप लगाया गया था। उनके मुकदमे के दौरान उन्हें ब्रिक्सटन जेल में रखा गया था। हिरासत में रहते हुए जब उनसे उनका नाम पूछा गया था उन्होंने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आज़ाद बताया था। उनके मुकदमे को 4 जून 1940 को सेंट्रल क्रिमिनल कोर्ट ओल्ड बेली में शुरू किया गया। उनका बचाव वी.के. कृष्ण मेनन और सेंट जॉन हचिंसन ने किया। उनके विपक्ष में नेतृत्व जी.बी. मैकक्लर ने किया था। जब उनसे उनके मकसद के बारे में पूछा गया, तो उधम सिंह ने जवाब दिया कि वह अपने लोगों के उत्पीड़न का बदला लेना चाहते थे।

मुकदमे के दौरान उधम सिंह को हत्या के दोषी के रूप मौत की सजा सुनाई गई। उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी पर लटका दिया गया और उनके शव को पेंटनविले जेल में दफना दिया गया था। वर्ष 1974 में भारत सरकार के अनुरोध पर उनके अवशेषों को खोदकर निकाला गया और भारत वापस लाया गया। इंदिरा गांधी और अन्य प्रमुख अधिकारियों ने उनके शव का ताबूत प्राप्त किया। उधम सिंह का अंतिम संस्कार उनके जन्मस्थान पंजाब के सुनाम में किया गया और उनकी अस्थियों को सतलुज नदी में बहा दिया गया। उनकी कुछ अस्थियों को जलियांवाला बाग में आज भी एक सीलबंद कलश में रखा गया है।

उपसंहार

उधम सिंह को शहीद-ए-आजम सरदार उधम सिंह के नाम से भी जाना जाता है। शहीद-ए-आजम का अर्थ महान शहीद होता है। अक्टूबर 1995 में सरकार ने उनके सम्मान में उत्तराखंड के एक जिले का नाम उधम सिंह नगर रखा था। आज उधम सिंह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों में से एक के रूप में याद किया जाता है।

FAQs

उधम सिंह ने भारत के लिए क्या किया?

उधम सिंह को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है। जलियांवाला हत्याकांड के बाद, उन्होंने पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर को गोली मार दी थी। जनरल डायर ही वह व्यक्ति था जिसने रॉलेट एक्ट के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर खुली गोलीबारी का आदेश दिया था।

उधम सिंह पर किताब किसने लिखी?

अनीता आनंद की किताब द पेशेंट एसेसिन भारतीय क्रांतिकारी उधम सिंह के जीवन पर आधारित है।

जनरल डायर ने किस घटना का नेतृत्व किया था?

जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था। जनरल डायर ने जलियांवाला बाग के एकमात्र प्रवेश द्वार को अवरुद्ध कर दिया और अपने सैनिकों को निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया।

उधम सिंह ने मुकदमे के दौरान अपना क्या नाम बताया था?

उधम सिंह ने मुकदमे के दौरान अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आज़ाद बताया था।

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