Essay on Savitribai Phule in Hindi : सावित्रीबाई फुले पर निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में 

1 minute read
Essay on Savitribai Phule in Hindi

सावित्रीबाई फुले एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने भारत में महिलाओं की शिक्षा के लिए काम किया और उन्हें सामाजिक रूप से निर्मित भेदभावपूर्ण प्रथाओं के बंधनों से मुक्त होने के लिए शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके योगदान से स्त्रियों और पिछड़े वर्ग के लोगों ने सामाजिक बेड़ियों को लांघने और तोड़ने का साहस दिखाया। आइये जानें कुछ बेस्ट सावित्रीबाई फुले पर निबंध 100, 200 और 500 शब्दों में (Essay on Savitribai Phule in Hindi)। 

Essay on Savitribai Phule in Hindi 100 शब्दों में  

सावित्रीबाई फुले भारतीय समाज की महिला उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली एक महान सामाजिक कार्यकर्ता थी। वह महिला शिक्षा के प्रति अपनी अद्भुत प्रेरणा के लिए प्रसिद्ध हैं। सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर विधवा, दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के शिक्षा के लिए संघटन की। उनका संघर्ष उन्हें ‘महात्मा जोतिबा फुले’ के नाम से संबोधित करता है। उनकी महानता और समर्पण को सलाम करते हुए, उनके योगदान ने समाज में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। सावित्रीबाई फुले का योगदान आज भी हमारे समाज के लिए महत्वपूर्ण है। उनकी महानता, साहस और समर्पण को सराहते हुए हमें आज भी महिला शिक्षा, समाज में समानता और जातिगत असमानता के खिलाफ लड़ाई में सहयोग करने की आवश्यकता है। उनकी यादें हमें प्रेरित करती हैं कि हमें समाज में सुधार लाने के लिए सही मार्ग पर चलना चाहिए।

Essay on Savitribai Phule in Hindi 200 शब्दों में   

सावित्रीबाई फुले एक महत्वपूर्ण भारतीय समाजसेविक और महिला उत्थानकर्ता थीं, जिन्होंने 19वीं सदी में महिला शिक्षा को प्रोत्साहित किया और समाज में समानता की ओर महत्वपूर्ण कदम उठाए। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नानापेठ में हुआ था। 

सावित्रीबाई फुले, भारतीय समाज की महिला उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली प्रेरणास्त्रोत रही हैं। वे महिला शिक्षा के प्रति अपनी अद्वितीय प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं। वे स्वयं अनपढ़ थीं, लेकिन उन्होंने अपने पति ज्योतिराव फुले की मार्गदर्शन में शिक्षा प्राप्त की और फिर महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान किया। उन्होंने दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए ‘बाल-हिरवदा’ नामक एक शिक्षास्थल स्थापित किया जहाँ वे उन्हें पढ़ाती थीं। सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर विधवा, दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के शिक्षा के लिए संघटना की।

उनका योगदान महिलाओं को शिक्षित बनाने के साथ-साथ समाज में सामाजिक बदलाव लाने में भी था। उन्होंने समाज में जातिवाद, जातिगत असमानता और महिलाओं के प्रति उन्नतिकरण के खिलाफ संघर्ष किया।

सावित्रीबाई को ‘महात्मा जोतिबा फुले’ के नाम से भी जाना जाता है और उनके योगदान ने महिला शिक्षा और समाज में समानता की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया। उनकी महानता, साहस और समर्पण को हमेशा स्मरण रहेगा, और उनके योगदान ने हमारे समाज को उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन किया।

Essay on Savitribai Phule in Hindi 500 शब्दों में   

सावित्रीबाई फुले पर निबंध 500 शब्दों में कुछ इस प्रकार है –

प्रस्तावना 

जैसा कि हम सभी जानते हैं, पहले भारतीय समाज में महिलाओं का स्थान न्यूनतम था, उन्हें शिक्षा का अधिकार नहीं था और वे समाज में असमानता के शिकार थीं। इस मिलावटी वातावरण में भी सावित्रीबाई फुले ने अपने प्रेरणास्त्रोत स्वरूपी योगदान के साथ महिला उत्थान के मार्ग की ओर कदम बढ़ाया।

सावित्रीबाई फुले, महाराष्ट्र के पुणे जिले के नानापेठ में 1831 में पैदा हुई थी। उनका बचपन और युवावस्था संघर्षपूर्ण रही, क्योंकि वे महिला शिक्षा के प्रति अपने आपकी प्रतिबद्ध थीं। वे स्वयं अनपढ़ थीं, लेकिन उन्होंने अपने पति, ज्योतिराव फुले, की मार्गदर्शन में शिक्षा प्राप्त की और फिर समाज में महिला शिक्षा की प्रचलित परंपरा को तोड़ने का कार्य किया।

सावित्रीबाई फुले का समाज के प्रति योगदान 

सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले ने ‘बाल-हिरवदा’ नामक एक शिक्षास्थल की स्थापना की, जिसका उद्देश्य दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को शिक्षा देना था। यह स्थल आज महिला शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। सावित्रीबाई फुले की यह पहल किसी भी महिला के लिए प्रेरणास्त्रोत साबित होती है।

उनके योगदान का एक और महत्वपूर्ण पहलु उनका संघर्ष जातिवाद और जातिगत असमानता के खिलाफ था। उन्होंने जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाई और दलित समुदाय के लोगों को समाज में समानता की दिशा में जागरूक किया।

सावित्रीबाई फुले का योगदान महिला शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए अपने समय और प्रयासों का समर्पित किया। उनकी महानता और सामर्थ्य को सराहते हुए महाराष्ट्र सरकार ने 2015 में ‘महात्मा जोतिबा फुले’ पुरस्कार की स्थापना की, जो महिला उत्थान में योगदान करने वाली महिलाओं को प्रमोट करने के लिए होता है।

सावित्रीबाई फुले का महिलाओं के प्रति योगदान 

सावित्रीबाई फुले का योगदान आज भी हमें सिखने की महत्वपूर्ण बातें देता है। उनका संघर्ष और समर्पण हमें महिलाओं के अधिकारों की महत्वपूर्णता को समझाता है और हमें उनके जैसे समाज में सुधार लाने के लिए सहयोग करने की आवश्यकता है। उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष और समर्पण से हमें यह सिख मिलता है कि किसी भी परिस्थिति में अगर हमारा आकलन सही हो और हम सही मार्ग पर चलें, तो हम किसी भी समस्या का समाधान पा सकते हैं।

सावित्रीबाई फुले का योगदान महिलाओं के उत्थान और समाज में समानता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने समाज में जातिवाद, जातिगत असमानता और महिलाओं के प्रति उन्नतिकरण के खिलाफ संघर्ष किया और एक सुधारक के रूप में अपना योगदान दिया। उनका आदर्श हमें महिलाओं के अधिकारों की सच्ची मानसिकता और समाज में समानता की महत्वपूर्णता को समझाता है।

समाज की सदियों पुरानी बुराइयों को रोकने में सावित्रीबाई के अथक प्रयास और अच्छे सुधारों की समृद्ध विरासत उनके द्वारा छोड़ा गया कार्य पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनके सुधारात्मक कार्यों को वर्षों से मान्यता मिली हुई है। 1983 में पुणे सिटी कॉरपोरेशन द्वारा उनके सम्मान में एक स्मारक बनाया गया था। उनके सम्मान में इंडिया पोस्ट ने 10 मार्च 1998 को एक डाक टिकट जारी किया। पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर 2015 में उनके नाम पर सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय कर दिया गया

सावित्री बाई फुले के बारे में खास बातें

  • सावित्री बाई फुले अपने साथ अतिरिक्त साड़ी लेकर स्कूल पढ़ाने जाती थीं। सावित्री बाई फुले लड़कियों को पढ़ाती थीं। इसका विरोध करने के लिए गांव वाले उन पर गोबर और अंडे फेंककर मारते थे। इससे उनकी साड़ी गंदी हो जाया करती थी। वे स्कूल में जाकर दूसरी साड़ी बदलती थीं।
  • सावित्री बाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षक थीं।
  • सावित्री बाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर पूरे भारत में कुल 18 स्कूल खोले थे।
  • शिक्षा में सावित्रीबाई फुले के योगदान को देखते हुए ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने उन्हें सम्मानित भी किया था।

निष्कर्ष 

आज भी सावित्रीबाई फुले की यात्रा हमें प्रेरित करती है, हमें उनके संघर्ष की याद दिलाती है और हमें यह सिखाती है कि हमें समाज में सुधार लाने के लिए अपनी शक्तियों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए। सावित्रीबाई फुले की महान प्रेरणा के साथ हमें आगे बढ़ने की साहस मिलता है और हम उनके योगदान को सम्मान देते हुए उनके आदर्शों का पालन करते हुए समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प लेते हैं।

सावित्रीबाई फुले पर 10 लाइन्स 

सावित्रीबाई फुले पर 10 लाइन्स कुछ इस प्रकार हैं – 

  1. सावित्रीबाई फुले भारतीय समाज की महान समाजसेविका और महिला उत्थानकर्ता थीं।
  2. वे महिला शिक्षा के प्रति अपनी प्रेरणास्त्रोत थीं और उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए कई पहलुओं में योगदान दिया।
  3. सावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिराव फुले ने ‘बाल-हिरवदा’ नामक एक शिक्षास्थल की स्थापना की जहाँ दलित और पिछड़े वर्ग की महिलाएं शिक्षा प्राप्त कर सकती थी।
  4. उनका संघर्ष जातिवाद, जातिगत असमानता और महिलाओं के अधिकारों के लिए था।
  5. सावित्रीबाई फुले का योगदान महिला उत्थान में महत्वपूर्ण था और उन्होंने महिलाओं को समाज में समानता की दिशा में प्रेरित किया।
  6. उन्होंने अपने जीवन में जातिवाद और जातिगत भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया और समाज में जागरूकता फैलाई।
  7. उन्होंने समाज में शिक्षा के माध्यम से समाज के दरिद्र और निरक्षर वर्ग की मदद की और उन्हें समाज में समानता की दिशा में आगे बढ़ने का अवसर दिया।
  8. उनकी महानता, समर्पण और साहस को याद रखते हुए हमें आज भी महिला शिक्षा और समाज में समानता की प्राथमिकता देनी चाहिए।
  9. सावित्रीबाई फुले का योगदान हमें उनकी समाजसेवा, महिला सशक्तिकरण और समाज में बदलाव लाने की महत्वपूर्णता को समझने में मदद करता है, और हमें उनके आदर्शों का अनुसरण करके समाज को सुधारने का संकल्प लेने में प्रेरित करता है।
  10. सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली आधुनिक नारीवादियों में से एक माना जाता है।

Savitribai Phule Quotes in Hindi 

सावित्रीबाई फुले के अनमोल विचार यहाँ प्रस्तुत हैं। 

“स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो, पाठशाला ही इंसानों का सच्चा गहना है।”

“एक सशक्त शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है, इसलिए उनको भी शिक्षा का अधिकार होना चाहिए।”

“बेटी के विवाह से पहले उसे शिक्षित बनाओ ताकि वह आसानी से अच्छे बुरे में फर्क कर सके।”

“शिक्षा स्वर्ग का द्वार खोलता है, स्वयं को जानने का अवसर देता है।”

“स्त्रियां केवल घर और खेत पर काम करने के लिए नही बनी है, वह पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती है।”

“तुम बकरी गाय को सहलाते हो, नाग पंचमी पर नाग को दूध पिलाते हो, लेकिन दलितों को तुम इंसान नही अछूत मानते हो।”

“इस धरती पर ब्राह्मणों ने खुद को स्वघोषित देवता बना लिया है।”

“पत्थर को सिंदूर लगाकर और तेल में डुबोकर जिसे देवता समझा जाता है, वह असल मे पत्थर ही होता है।”

“अगर पत्थर पूजने से बच्चे होते तो नर नारी शादी ही क्यों रचाते।”

सावित्रीबाई फुले से जुड़े कुछ तथ्य 

आइये जानते हैं सावित्रीबाई फुले से जुड़े कुछ रोचक तथ्य-

  • सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली आधुनिक नारीवादियों में से एक माना जाता है।
  • सावित्रीबाई फुले को भारत की पहली महिला शिक्षिका माना जाता है, जिन्होंने 1848 में अपने पति के साथ पुणे, महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए पहले भारतीय स्कूलों में से एक की स्थापना की थी।
  • उन्होंने न केवल महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया बल्कि भ्रष्ट जाति व्यवस्था की प्रथा के खिलाफ लड़ाई का भी समर्थन किया।
  • वह एक समाज सुधारक, शिक्षिका और मानवतावादी होने के अलावा एक प्रखर मराठी लेखिका थीं।
  • उन्होंने अपने ही घर में अछूतों के लिए एक कुआँ खुलवाया, जो उनके अस्पृश्यता के प्रति तीव्र विरोध और बहिष्कृत लोगों के प्रति उनकी करुणा का परिणाम था।
  • उन्होंने गर्भवती बलात्कार पीड़ितों की दयनीय स्थिति देखी और इसलिए, अपने पति के साथ मिलकर, एक देखभाल केंद्र “बालहत्या प्रतिबंधक गृह” खोला।
  • छात्रों को अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, सावित्रीबाई फुले ने उन्हें स्कूल जाने के लिए वजीफा देना शुरू किया, जिससे स्कूल छोड़ने की दर में कमी आई।
  • ऐसे समय में जब भारतीय समाज में जाति व्यवस्था अंतर्निहित थी, उन्होंने अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा दिया। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सत्यशोधक समाज की स्थापना की, जो बिना पुरोहित और दहेज के विवाह आयोजित करता था।

FAQ 

सावित्रीबाई फुले का उद्देश्य क्या था?

उनका लक्ष्य स्त्रियों और अंततः समाज का विकास करना था। 

भारत की पहली महिला शिक्षिका का नाम क्या था?

भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले थीं। 

भारत में पहला स्कूल किसने खोला था?

लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल पुणे के भिडे वाडा में महात्मा जोतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले द्वारा शुरू किया गया था। 

लड़कियों के लिए पहला स्कूल कब खोला गया?

1 जनवरी 1848 को लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला गया। 

यह था सावित्रीबाई फुले पर निबंध, Essay on Savitribai Phule in Hindi पर हमारा ब्लॉग। इसी तरह के अन्य निबंध से सम्बंधित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*