Essay On Paropkar in Hindi: स्टूडेंट्स ऐसे लिखें परोपकार पर निबंध

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Essay On Paropkar in Hindi (1)

Essay On Paropkar in Hindi: दूसरों की भलाई के करने से सहानुभूति और करुणा विकसित होती है। परोपकारी व्यक्ति दान और उदारता से दूसरों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं। लोगों को परोपकार के महत्व को समझना चाहिए। छात्र परोपकार के महत्व को समझकर उनके जीवन और समाज को बेहतर दिशा की ओर ले जा सकते हैं। इसलिए इस ब्लाॅग Essay On Paropkar in Hindi के में स्टूडेंट्स को परोपकार पर निबंध के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।  

परोपकार पर 100 शब्दों में निबंध

Essay On Paropkar in Hindi 100 शब्दों में इस प्रकार है:

किसी व्यक्ति की सेवा या उसे किसी भी प्रकार के मदद पहुंचाने वाले करके को परोपकार कहा जाता है। परोपकार कोई दबाव वाला कार्य नहीं है बल्कि यह व्यक्ति की इच्छा से किया जाता है। आम भाषा में समझें तो एक ऐसा उपकार जिसे करने के लिए कोई स्वार्थ न हो उसे परोपकार कहा जाता है। परोपकार को ही सबसे बड़ा धर्म कहा जाता है। करुणा और सेवा परोपकार के ही रूप हैं। जिस व्यक्ति के अंदर करुणा का भाव होता बह परोपकारी कहलाता है। वर्तमान समय में सब लोग आगे बढ़ने की होड़ में लगे हुए हैं। इस कारण से वे परोपकार जैसे सबसे पुण्य काम को भूलते चले जा रहे हैं। इंसान परोपकार, करुणा और उपकार जैसे शब्दों को जैसे भूल सा गया है। व्यक्तियों को दूसरों के प्रति दया और करुणा का भाव रखना चाहिए।

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परोपकार पर 200 शब्दों में निबंध

Essay On Paropkar in Hindi 200 शब्दों में इस प्रकार है:

परोपकार शब्द पर ओर उपकार दो शब्दों के मेल से बना है। इसका अर्थ है पराए लोगों की भलाई के लिए किया जाने वाला कार्य। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा कही गई एक कहावत है। परहिस सरिस धर्म नहिं भाई जिसका अर्थ होता है परोपकार ही सबसे बड़ा धर्म है। मैथिलीशरण गुप्त के द्वारा भी कहा गया है कि मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे,

यह पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे। परोपकार सामाजिक कल्याण की एक भावना है। परोपकार के सहारे ही लोगों का सामाजिक जीवन सुखी रहता है। जो व्यक्ति परोपकारी होता है वह अपने मित्रों, साथियों, परिचितों और अपरिचितों की निष्काम सहायता करता है। 

प्रकृति से हम परोपकार की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। हम सूर्य से प्रकाश प्रात करके हैं, रात में हम चंद्रमा की चांदनी प्राप्त करते हैं। वायुमंडल में वायु निरंतर गति से बहती रहती है और वर्षा के बाद धरती चारों ओर से हरि भरी हो जाती है। वायुमंडल में परोपकार के अनगिनत उदाहरण देखने को मिलते हैं। हमें प्रकृति से सीखना चाहिए कि कैसे परोपकार के द्वारा हम शिक्षा ग्रहण करके परोपकार की भावना उत्पन्न कर सकते हैं। जो व्यक्ति परोपकारी होता है वह सदेव खुश रहता है, उसे आत्मा और सच्चे आनंद की प्राप्ति होती है। वह व्यक्ति दूसरों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहता है। जब वह दूसरे लोगों की मदद करता है तो वह स्वयं भी सबसे ज्यादा खुश रहता है। परोपकार से मिलने वाली खुशी को अलौकिक आनंद कहा जाता है। 

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परोपकार पर 500 शब्दों में निबंध

परोपकार पर 500 शब्दों में निबंध (Essay On Paropkar in Hindi) इस प्रकार है:

प्रस्तावना

परोपकार दूसरों की भलाई के लिए किया जाने वाला कार्य है। एक परोपकारी व्यक्ति, परोपकार के द्वारा दूसरों को मदद कर सकता है। समाज की भलाई और स्वयं की खुशी के लिए परोपकर करना चाहिए है। परोपकार एक महत्वपूर्ण कार्य है जो हर एक व्यक्ति को करना चाहिए। भारत अपनी शुरुआत से ही परोपकारी लोगों से भरा देश रहा है। भारतीय पौराणिक कथाओं में परोपकार के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। परोपकार से कई लाभ होते हैं जैसे मन को शांति मिलना, अपनत्व का भाव बढ़ना और समाज का कल्याण होना आदि। परोपकार एक सकारात्मक कार्य है जो हर किसी को करना चाहिए। 

परोपकार से तात्पर्य

परोपकार शब्द पर और उपकार अलग शब्दों से मिल कर बना शब्द है। परोपकार का अर्थ दूसरों पर किया जाने वाला उपकार है। एक मनुष्य को अपने जीवन में परोपकार करना ही चाहिए। व्यक्ति का जन्म ही परोपकार करने के लिए होता है। परोपकार के द्वारा एक व्यक्ति का जीवन सार्थक हो जाता है। जब भी कोई व्यक्ति अपनी कमाई, विवेक और बल से दूसरों की सहायता करता है तो उसे असीम खुशी प्राप्त होती है। ऐसा आवश्यक नहीं है कि केवल पैसे वाला व्यक्ति ही परोपकारी हो सकता है। परोपकार का अर्थ होता है किसी भी प्रकार की सहायता करना, न धन प्रदान करना। एक सामान्य व्यक्ति भी अपनी बुद्धि के बल से किसी अन्य व्यक्ति की सहायता कर सकता है। परोपकार इंसानों के अलावा जानवरों के साथ भी किया जा सकता है। 

परोपकार क्यों करना चाहिए?

यदि हम भारतीय इतिहास की ओर देखें तो हमें परोपकार के अनगिनत उदाहरण देखने को मिलेंगे। भारतीय संस्कृति में व्यक्ति को परोपकारी बनने की भावना बचपन से ही प्रदान की जाती है। कई परिवारों में तो परोपकार का कार्य वंशों से चला आ रहा है। हम लोग परोपकार के उदाहरण अपने बुजुर्गों से सुनते आए हैं। परोपकार भारतीय पौराणिक कथाओं में बड़े रूप से देखने को मिलता है। हम लोगों को अपनी संस्कृति से प्रेरणा लेकर परोपकार के कार्यों को करते रहना चाहिए। परोपकार करने से जो खुशी मिलती है वो किसी अन्य कार्य से शायद ही मिलती हो। आजकल से तेज़ी भरी दुनिया में लोग सब लोग एक दूसरे से आगे बढ़ना चाहते हैं और कोई किसी की मदद नहीं करना चाहता है। लोग परोपकार जैसे कार्य को भूलते जा रहे हैं। लोग मशीनों की तरह दिन रात कार्य करके लगे हैं जिससे उनमें परोपकार की भावना खत्म होती जा रही है। यदि किसी व्यक्ति में परोपकार की भावना नहीं होती तो सबकुछ व्यर्थ माना जाता है। कई लोग कहते हैं कि मनुष्य अपने साथ अगर कुछ लेकर जाता है तो वह चीज कर्म है इसलिए सभी को परोपकार करके अपने कर्मों को अच्छा करना चाहिए। 

परोपकार का महत्व

यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। परोपकार करने से समाज के लोगों में एकजुटता और सामूहिकता का भाव उत्पन्न होता है। जब लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो समाज में स्नेह और भाईचारे का माहौल बनता है। परोपकार करके उन लोगों की मदद की जाती है जो आर्थिक, शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर होते हैं। यह उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। 

परोपकार से मानवता बढ़ती है। परोपकार हमें सिखाता है कि हम केवल अपने भले के बारे में न सोचकर दूसरों की भलाई के बारे में भी सोचना चाहिए। परोपकार से व्यक्ति को मानसिक शांति और आत्मसंतोष मिलता है। परोपकार एक व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। परोपकार से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है। परोपकारी लोग दूसरों की मदद करके समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उनके इस कार्य से दूसरे लोग प्रेरित होकर परोपकार करने लगते हैं। परोपकार करने से व्यक्ति को गहरी संतुष्टि और खुशी मिलती है।

भारतीय पौराणिक कथाओं में परोपकार के उदाहरण 

भारतीय पौराणिक कथाओं में परोपकार के कई महत्वपूर्ण उदाहरण मिलते हैं। ये उदाहरण समाज और मानवता की भलाई के लिए किए गए अच्छे कार्यों का प्रतीक हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं में परोपकार के कुछ प्रमुख उदाहरण यहां दिए गए हैं:

  • भगवान श्रीराम ने स्वयं को हमेशा धर्म और न्याय के पालन में समर्पित रखा था। उन्होंने रावण के अत्याचारों से पृथ्वी को मुक्त करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया था। भगवान राम ने हमेशा परोपकार किया और अपने प्रजा के कल्याण के लिए अपने व्यक्तिगत सुखों को त्याग दिया था।
  • महाभारत में युधिष्ठिर को सत्य बोलने और दूसरों के भले के लिए अपने सुखों का त्याग करने के रूप में जाना जाता है। युधिष्ठिर अपनी नीतियों और निर्णयों में हमेशा परोपकार को प्राथमिकता दी थी। अपने परिवार के हित के बजाय समाज के भले के बारे में सोचा करते थे।
  • महाभारत में गुरु द्रोणाचार्य ने अपने शिष्य अर्जुन की मदद के लिए अपने पुराने शत्रु द्रुपद से शिक्षा प्राप्त की थी। 
  • महाभारत में कर्ण का परोपकार का एक महान उदाहरण माना जाता है। वह एक अत्यंत दानी व्यक्ति थे। कर्ण ने अपनी बहुत सारी संपत्ति जरूरतमंदों को दी थी। कर्ण ने अपनी अच्छाई का कार्य अपने दुश्मनों के लिए भी किया था। 
  • राजा बलि ने भगवान विष्णु के वरदान के रूप में अपनी पूरी संपत्ति और राज्य का त्याग किया था। भगवान विष्णु ने उनकी भलाई के कारण उन्हें पाताल लोक का राजा बनाया था।
  • प्रह्लाद की कहानी में परोपकार का एक और उदाहरण मिलता है। उन्होंने अपने पिता हिरण्यकश्यप के अत्याचारों के बावजूद लोगों की भलाई के लिए भगवान विष्णु की पूजा की थी। उनका समर्पण और निस्वार्थ भाव समाज में अच्छाई का प्रतीक बन गया है।

परोपकार से होने वाले लाभ

परोपकार समाज और दूसरों के लिए अच्छा होता है। इससे व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं। जब हम दूसरों की मदद करते हैं, तो हमें आंतरिक शांति मिलती है। यह हमें आत्मा की शुद्धता का अनुभव कराता है। जब कोई परोपकार करता है तो उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। परोपकार करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। 

परोपकार समाज में प्रेम और एकता की भावना को बढ़ावा देता है। परोपकार से समाज में अन्य लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। परोपकार करने से व्यक्ति को मानसिक खुशी मिलती है। परोपकार समाज के कमजोर वर्गों को मदद पहुंचाता है, जिससे पूरे समाज का विकास होता है। परोपकार से समाज में गरीबी, अशिक्षा और भेदभाव में कमी आती है जो कि एक सकारात्मक वातावरण को बढ़ावा देता है। 

उपसंहार 

परोपकार एक निस्वार्थ भावना माना जाता है। परोपकार समाज के कल्याण के साथ बल्कि यह व्यक्तिगत रूप से भी व्यक्ति को आंतरिक संतुष्टि और सम्मान प्रदान करता है। परोपकार से समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता की भावना को बढ़ती है। परोपकार से समाज में सकारात्मक बदलाव आते हैं। परोपकार से व्यक्ति का जीवन अधिक सुखमय और संतुलित होता है। परोपकार समाज के विकास में योगदान करता है। 

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परोपकार पर 10 लाइन (10 Lines Essay On Paropkar in Hindi)

परोपकारा पर 10 लाइन नीचे दी गई है:

  1. परोपकार का अर्थ है दूसरों की भलाई के लिए बिना किसी स्वार्थ के कार्य करना।
  2. परोपकार समाज में भाईचारा और सामूहिकता की भावना को बढ़ाता है।
  3. परोपकार से व्यक्ति को आंतरिक शांति और मानसिक संतुष्टि मिलती है।
  4. परोपकार स्वार्थ को त्यागकर दूसरों के भले के बारे में सोचने की प्रेरणा देता है।
  5. परोपकार से समाज में असमानता कम होती है और समानता बढ़ती है।
  6. जब कोई परोपकार करता है, तो उसे समाज में सम्मान प्राप्त होता है।
  7. यह समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्गों को सहारा देने का एक तरीका है।
  8. परोपकार से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसकी आत्मा शुद्ध होती है।
  9. परोपकार व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और समाज में प्रेम का माहौल बनाता है।
  10. परोपकार करने से जीवन में वास्तविक खुशी और संतोष की प्राप्ति होती है।

FAQs 

Essay On Paropkar in Hindi का महत्व क्या होता है?

परोपकार का उद्देश्य सामाजिक समस्याओं से निपटना है, आदर्श रूप से सार्थक, संरचनात्मक परिवर्तन करना जो कई लोगों के जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। दूसरी ओर, दान मुख्य रूप से सामाजिक समस्याओं के कारण होने वाली पीड़ा को कम करने पर केंद्रित है।

परोपकार का सही अर्थ क्या होता है?

परोपकार का अर्थ है दूसरों की भलाई करना है।

परोपकारी क्यों होना चाहिए?

परोपकारी सामाजिक व्यवहार की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह समृद्धि, सामंजस्य, और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है। यह समाज में सहायता, समर्थन, और एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना को प्रोत्साहित करता है और सामाजिक समाधान में सहायक होता है।

प्रकृति से हमें परोपकार की शिक्षा कैसे मिलती है?

बादल पानी बरसाकर थे को हरा-भरा बनाते हैं, जो जीव- जंतुओं को राहत देते हैं। प्रकृति का कण-कण हमें परोपकार की शिक्षा देता है- नदियाँ परोपकार के लिए बहती है, वृक्ष धूप में रहकर हमें छाया देता है, चन्द्रमा से शीतलता, समुद्र से वर्षा, गायों से दूध, वायु से प्राण शक्ति मिलती है।

परोपकार की भावना का क्या अर्थ है?

परोपकार शब्द का अर्थ है दूसरों का भला करना। अपनी चिन्ता किए बिना, शेष सभी (सामान्य-विशेष) के भले की बात सोचना, आवश्यकतानुसार तथा यथाशक्ति उनकी भलाई के उपाय करना ही परोपकार कहलाता है।

परोपकारी व्यक्ति के क्या गुण होते हैं?

परोपकारी व्यक्ति सदैव दूसरों की भलाई की कामना करता है और दूसरों के हित बारे में सोचा करता है। वह जहां कहीं भी किसी भी दुखी व्यक्ति को देखता है या किसी जरूरतमंद को देखता है तो है, परंतु उसकी सहायता को तत्पर हो जाता है। वो दूसरों की सहायता में ही अपने जीवन की सार्थकता समझता है।

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