जानिए द्वितीय विश्व युद्ध का इतिहास और वर्साय संधि के बारे में

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द्वितीय विश्व युद्ध

इतिहास के पन्नों को पलटकर देखा जाए तो युद्ध एक भीषण त्रासदी के रूप में दिखाई पड़ता है, जिससे समूची मानवता को केवल पीड़ाएं मिलती हैं। इस प्रकार के क्रूर युद्धों में से एक द्वितीय विश्व युद्ध भी था, जिसमें मानवता के साथ हुई क्रूरता को सारी दुनिया ने देखा।

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ही यूरोप के यहूदियों का बड़े पैमाने पर नरसंहार हुआ। जैसे-जैसे जर्मन सैनिकों ने यूरोप, सोवियत संघ और उत्तरी अफ्रीका में अधिक से अधिक क्षेत्रों पर आक्रमण किया और कब्जा किया, शासन की नस्लीय और यहूदी विरोधी नीतियां अधिक कट्टरपंथी बन गयीं। इस पोस्ट के माध्यम से आप द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ी घटनाओं को विस्तार रूप से जान पाएंगे।

कब हुआ था द्वितीय विश्व युद्ध?

अंतर्राष्ट्रीय तनाव (स्पेनिश गृह युद्ध, जर्मनी और ऑस्ट्रिया का संघ, हिटलर द्वारा सूडिटेनलैंड पर कब्ज़ा और चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण) के तीन वर्षों में अत्यधिक बढ़ जाने के कारण धुरी और मित्र शक्तियों के बीच संबंध बिगड़ने लगे।  बिगड़ते संबंधों के चलते जर्मनी द्वारा 1 सितंबर, 1939 को पोलैंड पर आक्रमण के मात्र दो दिन बाद, प्रतिकार स्वरुप ब्रिटेन और फ्राँस ने जर्मनी के खिलाफ जंग का आगाज़ किया। इसी घटना ने द्वितीय विश्व युद्ध की नीव रखी।

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किन कारणों से हुआ था द्वितीय विश्व युद्ध?

वर्ष 1939-45 के बीच होने वाले सशस्त्र विश्वव्यापी संघर्ष यानि कि द्वितीय विश्व युद्ध के कई प्रमुख कारण थे। जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं- 

  • द्वितीय विश्व युद्ध के प्रथम कारण के रूप में प्रथम विश्व युद्ध के बाद होने वाली वर्साय संधि की कठोर शर्तों को माना जाता है।
  • विश्व को क्रूरता के दलदल में धकेलने वाले द्वितीय विश्व युद्ध का एक कारण आर्थिक मंदी और तुष्टीकरण की नीति भी थी।
  • जर्मनी और जापान में सैन्यवाद का उदय हुआ जिसने परिणाम स्वरुप द्वितीय विश्व युद्ध को जन्म दिया।
  • राष्ट्र संघ की विफलता को भी द्वितीय विश्व युद्ध का एक प्रमुख कारण माना जाता है।

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द्वितीय विश्व युद्ध का संक्षिप्त इतिहास

युद्ध चाहे किसी भी कालखंड में ही क्यों न हुए हो, उनसे उत्पन्न क्रूरता के बादल सभ्यताओं पर अंगार बरसाते हैं। ऐसा ही रक्तरंजित इतिहास द्वितीय विश्व युद्ध का भी रहा है, जिसमें प्रमुखता से दो प्रतिद्वंद्वी गुट धुरी शक्तियाँ (जर्मनी, इटली और जापान) तथा मित्र राष्ट्र (फ्राँस, ग्रेट ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और कुछ हद तक चीन) आदि शामिल थे। इस युद्ध को इतिहास का सबसे बड़े संघर्ष के रूप में भी जाना जाता है, जो करीब-करीब छह साल तक चला था।

युद्ध में हुए नरसंहारों से न केवल मानव की हानी होती है, बल्कि सारे संसार को हानि पहुँचती है। युद्ध में या तो आक्रमण के लिए या किसी पर हुए आक्रमण के प्रतिकार के लिए लोग युद्ध की अग्नि में कूद पड़ते हैं, ऐसा ही इस युद्ध में भी हुआ, जिसमें लगभग 100 मिलियन लोग शामिल हुए थे। शामिल हुए लोगों में से 50 मिलियन लोग यानि कि उस समय दुनिया की आबादी का लगभग 3% लोगों ने, इस युद्ध के चलते अपनी जान गवाई। इस युद्ध के कारणों में से एक प्रमुख कारण प्रथम विश्व युद्ध के बाद होने वाली वर्साय संधि की कठोर शर्तों को भी माना गया।

क्या थी वर्साय संधि और इसकी कठोर शर्तें?

वर्ष 1918 को समाप्त हुए प्रथम विश्व युद्ध में विजयी मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी के भविष्य का फैसला करने का निर्णय लिया। जिसके अनुसार इस युद्ध में विजय हुए राष्ट्रों ने जर्मनी को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिये मज़बूर किया। यह संधि आगे चलकर दूसरे विश्व युद्ध का आगाज़ करेगी, शायद ऐसा किसी ने नहीं सोचा होगा। इस संधि की शर्तों को आप निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आसानी से समझ सकते हैं-

  • इस संधि के तहत जर्मनी पर प्रथम विश्व युद्ध का सारा दोष मढ़ा गया।
  • जर्मनी को दोषी करार कर, उस पर तरह-तरह के आर्थिक दंड लगाए गए।
  • संधि के अनुसार जर्मनी पर प्रमुख खनिज और औपनिवेशिक क्षेत्र को, जर्मनी से छीन लिया गया।
  • वर्साय संधि की शर्तों में से एक प्रमुख शर्त यह भी थी कि जर्मनी को सीमित सेना रखने के लिये प्रतिबद्ध कर दिया गया।
  • इस संधि को जर्मनी में अपमानजनक संधि का दर्जा मिला और इसके बाद जर्मनी के लोगों ने अति-राष्ट्रवाद के प्रसार का मार्ग प्रशस्त किया।

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क्या रहे द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम?

वर्ष 1939-45 तक चले द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय हुई और जर्मनी ने 7 मई को बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया और अगले दिन यूरोप में विजय दिवस के रूप में मनाया गया। इस प्रकार यूरोप में युद्ध समाप्त हो गया। तो वहीं दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने बड़े पैमाने पर लड़ाई और जनहानि की आशंका को देखते हुए, जापान के खिलाफ परमाणु बम के उपयोग की मंज़ूरी देने के लिये प्रेरित किया। जापान के खिलाफ अमेरिका द्वारा पहला परमाणु बम 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा शहर पर, तो वहीं दूसरा बम तीन दिन बाद नागासाकी पर गिराया गया। जिसके परिणामस्वरूप जापान ने 14 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया। अतः जापान के आत्मसमर्पण के साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया।

आशा है कि आपको द्वितीय विश्व युद्ध का यह ब्लॉग जानकारी से भरपूर लगा होगा। इसी प्रकार इतिहास से जुड़े अन्य ब्लॉग्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

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