Chandrashekhar Azad Birth Anniversary: भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की 23 जुलाई 2024 को 118वीं जयंती मनाई जा रही है। चंद्रशेखर आजाद ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ब्रिटिश हुकूमत से लड़ते हुए महज 24 वर्ष की आयु में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। ‘आजाद’ ने प्रण लिया था कि वह कभी अंग्रेजों के हाथ नहीं आएंगे और उन्होंने अंग्रेजों की गुलामी से स्वयं को आखिरी सांस तक आजाद रहने के प्रण निभाया भी। आपको बता दें कि आजाद का मूल नाम ‘चंद्रशेखर तिवारी’ था लेकिन 14 साल की उम्र में उनके साथ कुछ ऐसा घटा, जिसके बाद ‘आजाद’ उपनाम उनकी पहचान बन गया।
आइए अब हम जानते हैं कि भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी?
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में हुआ था जन्म
महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘सीताराम तिवारी’ और माता का नाम ‘जगरानी देवी’ था। बताया जाता है कि आजाद का प्रारंभिक जीवन भाबरा गाँव में ही बीता था। आजाद ‘जलियांवाला बाग कांड’ के समय बनारस में पढ़ाई कर रहे थे। इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया था। इसके बाद वे स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गए और ‘महात्मा गांधी’ के वर्ष 1921 में चलाए जा रहे ‘असहयोग आंदोलन’ (Non Cooperation Movement) से भी जुड़ गए।
‘हिंदुस्थान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ का गठन
आजाद ने महान क्रांतिकारी ‘भगत सिंह’, ‘अशफाकउल्ला खान’, ‘सुखदेव थापर’ और ‘जोगेश चंद्र चटर्जी’ के साथ मिलकर एक नया दल बनाया था। इस दल का नाम ‘हिंदुस्थान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HSRA) रखा गया। वहीं आजाद को इस दल का कमांडर-इन-चीफ बनाया गया था।
अल्फ्रेड पार्क में दी प्राणों की कुर्बानी
पुलिस अधीक्षक जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या और असेंबली हॉल में बम कांड के बाद अंग्रेज सरकार ने क्रांतिकारियों को पकड़ने में पूरी ताकत झोंक दी थी। 27 फरवरी 1931 का वह ऐतिहासिक दिन जब ‘आजाद’ इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आगामी योजना बना रहे थे।
जब इस बात की जानकारी अंग्रेजों को गुप्तचरों से मिली तो उन्होंने कई अंग्रेज सैनिकों के साथ मिलकर अचानक से उनपर हमला कर दिया। लेकिन आजाद ने अपने साथियों को वहाँ से भगा दिया और अकेले ही अंग्रेजों से लोहा लेने लगे। इस लड़ाई में पुलिस की गोलियों से आजाद बुरी तरह घायल हो गए थे। वे सैकड़ों पुलिस वालों के सामने करीबन 20 मिनट तक लड़ते रहे।
चंद्रशेखर आजाद ने प्रण लिया था कि वह कभी पकड़े नहीं जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसलिए अपने प्रण को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी पिस्तौल की आखिरी गोली स्वयं को मार ली और मातृभूमि के लिए 27 फरवरी 1931 को मात्र 24 वर्ष की आयु में अपने प्राणों की आहुति दे दी।
FAQs
उनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में भाबरा नामक गाँव में हुआ था।
उनके पिता का नाम ‘सीताराम तिवारी’ था।
उनके गांव का नाम भाबरा है जो मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में है।
ब्रिटिश हुकूमत से मातृभूमि की रक्षा करते हुए 27 फरवरी 1931 को मात्र 24 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
उनका मूल नाम ‘चंद्रशेखर तिवारी’ था।
आशा है कि आपको चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कब और कहाँ हुई थी? के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचय को पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।