चंद्रगिरि दुर्ग : जानिए आंध्र प्रदेश के इस ऐतिहासिक किले के बारे में

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चंद्रगिरी दुर्ग

चंद्रगिरि दुर्ग भारत के आंध्र प्रदेश प्रान्त में तिरुपति के पास चंद्रगिरि नाम की जगह पर एक दुर्ग है। यह किला भारत के सरकार आंकड़ों के हिसाब से महत्वपूर्ण ऐतिहासिक किलों में से एक है। खासतौर से दक्षिण भारत के इतिहास में तो इस किले का बहुत ही अहम स्थान है। दक्षिण के महान और प्रतापी शासक राजा कृष्णदेव राय ने इस किले का निर्माण कराया गया था। इतिहासकारों के मुताबिक इस किले का निर्माण 11वीं सदी के आसपास का बताया जाता है। इतना प्राचीन किला होने के कारण इस किले से सम्बंधित प्रश्न प्राय: विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। अत: चंद्रगिरी दुर्ग परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण बन जाता है। यहाँ चंद्रगिरि दुर्ग के बारे में विस्तार से बताया जा है।  

चंद्रगिरि दुर्ग का इतिहास 

चंद्रगिरी दुर्ग आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के समीप चंद्रगिरी नामक जगह पर स्थित है। इसका निर्माण राजा कृष्णदेव राय ने 11वीं शताब्दी में कराया था। इस किले पर राजा कृष्ण देव राय के वंशजों ने लगभग 300 वर्षों तक शासन किया था। सन 1367 में यह किला विजयनगर के शासकों के पास चला गया। उस समय चंद्रगिरी उस प्रांत के चार बड़े महानगरों में से एक हुआ करता था। 1646 में चंद्रगिरी दुर्ग गोलकोण्डा के शासकों के हाथ में आ गया। इसके कुछ समय बाद यह मैसूर राज्य का हिस्सा बना।

चंद्रगिरी दुर्ग की वास्तुकला की जानकारी

यहाँ चंद्रगिरी दुर्ग की वास्तुकला के बारे में बताया जा रहा है-

  • चंद्रगिरी दुर्ग को 180 मीटर ऊंची चट्टान पर बनाया गया है और 1.5 किमी लंबी दीवार से घिरा हुआ है।
  • इस किले की गलियों से होते हुए प्राचीन मंदिर तक जाया जा सकता है।
  • यह महल विजयनगर-युग की इंडो-सारसेनिक वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो पूरी तरह से पत्थर, ईंट और चूने के गारे से निर्मित है।
  • सुंदर मुकुटधारी मीनारें हिंदू वास्तुकला का एक उदाहरण हैं।
  • चंद्रगिरी दुर्ग में राजा महल पत्थर और गारे से बनी एक तीन मंजिला संरचना है जिसे प्लास्टर से सजाया गया है। 
  • चंद्रगिरी दुर्ग में स्थित पिरामिडनुमा मीनारें मंदिरों के शिखर से मिलती जुलती हैं। 
  • रानी महल, राजा महल के बगल में एक दो मंजिला इमारत है, जो भूतल पर अस्तबल और पहली मंजिल पर आवासीय स्थान के रूप में कार्य करती है। 
  • पहाड़ी के ऊपर स्थित ऊपरी किले में साइक्लोपियन चिनाई वाली प्राचीरें, कुछ वॉचटावर और धनुषाकार प्राचीर वाले बुर्ज बने हुए हैं। 

चंद्रगिरी दुर्ग के अंदर स्थित दर्शनीय स्थल 

यहाँ चंद्रगिरी दुर्ग के अंदर स्थित दर्शनीय स्थलों के बारे में बताया जा रहा है-

राजा रानी का महल 

यह एक तिमंजिला इमारत है। इसे पत्थर गारे और प्लास्टर से बनाया गया है। इस महल की दीवारों पर सुंदर नक्काशी के द्वारा अद्भुत कलाकृतियां उकेरी गई हैं। 

दो मंजिला इमारत 

यह इमारत राजा रानी के महल के बगल में स्थित एक दो मंजिला भवन है। इस भवन की खासियत यह है कि इसका ऊपरी भाग आवासीय स्थल के रूप में प्रयोग किया जाता था जबकि उसका नीचे वाला भाग घोड़ों के अस्तबल के रूप में प्रयोग किया जाता था।  

संग्रहालय 

चंद्रगिरी किले के अंदर एक संग्रहालय भी स्थित है। इस संग्रहालय में मुख्य मंदिर और चंद्रगिरी दुर्ग के नमूने रखे हुए हैं। 

मुख्य मंदिर 

चंद्रगिरी दुर्ग के अंदर एक विशाल मंदिर स्थित है। इसे मुख्य मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर किले के मुख्य आकर्षणों में से एक है। 

FAQs 

चंद्रगिरी का किला किसने बनवाया था?

चंद्रगिरी का किला राजा कृष्ण देवराय ने बनवाया था।  

चंद्रगिरी का किला भारत के किस राज्य में स्थित है?

चंद्रगिरी का किला आंध्र प्रदेश में स्थित है। 

चंद्रगिरी क्यों प्रसिद्ध है?

चंद्रगिरी ऐतिहासिक चंद्रगिरी दुर्ग के लिए प्रसिद्ध है। 

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में चंद्रगिरी दुर्ग के बारे में पता चल गया होगा। इसी प्रकार के अन्य ऐतिहासिक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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