किसी भी काम को शुरू करने से पहले गहरे रिसर्च की आवश्यकता होती है। बिना रिसर्च के अगर आप कोई भी काम करते हैं तो उससे पहले उसके बारे में थोड़ी बहुत रिसर्च कर लेना ज़रूरी होता है। यही बात बिजनेस के बारे में भी लागू होती है। अगर आप कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो उस बिजनेस को शुरू करने से पहले पूरी जानकारी लें, पूरी स्टडी करें, मार्केट में जाकर उसके बारे में सारी बारीकियाँ पता करें। उसके बाद उस बिजनेस को शुरू करने को लेकर कोई कदम उठाएँ। बिजनेस रिसर्च किसी भी बिजनेस को शुरू करने से जुड़ी एक बहुत ही अहम प्रक्रिया है। आज इस ब्लॉग business research in Hindi में हम आपको बिजनेस रिसर्च के मतलब से लेकर इसके महत्व और बाकी पहलुओं के बारे में विस्तार से बताएँगे। पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए business research in Hindi इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें।
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बिजनेस रिसर्च क्या है?
बिजनेस से जुड़े लक्ष्यों की पूर्ति के लिए रिसर्च करना बिजनेस रिसर्च कहलाता है। बिजनेस रिसर्च के अंतर्गत बिजनेस के उद्देश्यों और अवसरों का पता लगाया जाता है। मार्केट रिसर्च एक प्रकार से बिक्री और डाटा का एकत्रित रूप होता है। दूसरे शब्दों में कहें तो बिजनेस रिसर्च मार्केट और ग्राहकों की पसंद के विषय में जानकारी इकट्ठा करना है। यह किसी भी बिजनेस को प्रारंभ करने से जुड़ी सबसे शुरुआती प्रक्रिया है, जो कि किसी भी व्यापार में बहुत ही अहम भूमिका निभाती है।
बिजनेस रिसर्च कैसे किया जाता है
किसी भी बिजनेस को शुरू करने से पहले उसके बारे में बेहतर तरीके से रिसर्च करना बहुत ज़रूरी है। जैसा कि आप ऊपर भी पढ़ चुके हैं कि यह किसी भी बिजनेस से जुड़ी सबसे अहम और शुरुआती प्रक्रिया है। नीचे बिजनेस रिसर्च के बारे में विस्तार से बताया गया है :
- प्रॉडक्ट के लिए मार्केट के मुताबिक रणनीति बनाना : आपको मार्केट के मुताबिक अपने प्रॉडक्ट के लिए स्ट्रेटेजी बनानी चाहिए। उदाहरण के लिए मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक लाल रंग को देखकर इंसान के मन में कुछ खाने की इच्छा उत्पन्न होती है। अगर आप कोई खाने पीने से जुड़ा हुआ प्रॉडक्ट बाज़ार में लेकर आ रहे हैं तो आपको उसकी पैकेजिंग लाल रंग में करनी चाहिए। इस प्रकार की रणनीति मार्केट स्ट्रेटेजी के अंतर्गत आती है।
- टार्गेट कस्टमर ग्रुप को समझना : आप अगर कोई भी बिजनेस शुरू करने जा रहे हैं तो आपको पहले अपने प्रॉडक्ट से जुड़े बिजनेस के कस्टमर ग्रुप को टार्गेट करना होगा। मान लीजिए आप कोई पेन बनाने का बिजनेस शुरू करने वाले हैं। तो आप पहले यह जानें कौन लोग आपका प्रॉडक्ट खरीदेंगे। आपका प्रॉडक्ट पेन है तो जाहिर सी बात है कि आपका टार्गेट कस्टमर स्टूडेंट्स और टीचर्स ही होंगे। इस हिसाब से आपको बाज़ार में चल रहे स्टूडेंट्स और टीचर्स की पसंद से जुड़ी चीजों के बारे में रिसर्च करनी चाहिए और उसी हिसाब से अपने प्रॉडक्ट को डिजाइन करना चाहिए।
- प्रॉडक्ट को ऑनलाइन रखना है या ऑफलाइन : आजकल सबकुछ ऑनलाइन हो गया है। किताब से लेकर कपड़ों तक सबकुछ ऑनलाइन उपलब्ध है। लेकिन यह बात हर प्रॉडक्ट के हिसाब से लागू नहीं होती। मान लीजिए आपको चिप्स का बिजनेस शुरू करना है। अब चिप्स को अगर आप ऑनलाइन बेचना शुरू करेंगे तो यह ज्यादा फायदेमंद नहीं होगा। क्योंकि चिप्स को ज़्यादातर लोग ऑनलाइन न खरीदकर सीधे दुकान से खरीदना पसंद करते हैं। इन सब बातों के बारे में आप बिजनेस रिसर्च के द्वारा ही पता कर सकते हैं।
- लेटेस्ट ट्रेंड के बारे में पता करें : आपको अपने बिजनेस से जुड़े लेटेस्ट ट्रेंड्स के बारे में पता होना चाहिए। उदाहरण के लिए अगर आप कपड़ों का बिजनेस शुरू करना चाह रहें हैं तो आपको पहले लेटेस्ट फ़ैशन के बारे में रिसर्च करनी पड़ेगी और उसी हिसाब से अपने प्रॉडक्ट को डिजाइन करना होगा।
- प्रॉडक्ट लॉंच करने का समय : बिजनेस रिसर्च की मदद से आप अपने प्रॉडक्ट को लॉंच करने का सही समय चुन सकते हैं। मान लीजिए आप कोई टीवी बनाने का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं। आपका प्रॉडक्ट बनकर तैयार है। अगर आप अपने टीवी को ऐसे समय में लॉंच करते हैं जब क्रिकेट का वर्ल्डकप शुरू होने वाला है तो गारंटी है कि आपका प्रॉडक्ट धड़ाधड़ बिकेगा। क्योंकि उस समय क्रिकेट के दीवाने लोग पूरी तरह से क्रिकेट का मज़ा लेने के लिए नए टीवी खरीदना शुरू करेंगे। आपका प्रॉडक्ट अगर कम कीमत पर ज्यादा फीचर्स प्रदान करेगा तो जाहिर सी बात है कस्टमर्स आपके टीवी को लेना पसंद करेंगे। इसके लिए आपको यह रिसर्च करनी पड़ेगी कि क्रिकेट वर्ल्ड कप कब शुरू होने वाला है और कब तक चलेगा। उसी हिसाब से आपको अपने टीवी को मार्केट में उतारना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा। यह सब बिजनेस रिसर्च का ही हिस्सा है।
बिजनेस रिसर्च कितने प्रकार के होते हैं
बिजनेस रिसर्च के प्रकार ये हैं :
- प्राइमरी रिसर्च : इसके अंतर्गत आप किसी भी प्रॉडक्ट के बारे में आम आदमी की राय के बारे में पता करते हैं। इसमें पब्लिक पोल जैसे गतिविधियाँ शामिल होती हैं।
- सेकंडरी रिसर्च : इस प्रक्रिया में कोई थर्ड पार्टी आपके लिए डाटा इकट्ठा करके देती है।
- गुणात्मक रिसर्च : गुणात्मक रिसर्च प्राइमरी और सेकंडरी दोनों तरह के होते हैं। इससे जुड़ा कोई निश्चित नंबर नहीं पता किया जा सकता। यह पूरी तरह से एक प्रैक्टिकल प्रोसेस है जिसके बारे सही से अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
- मात्रात्मक रिसर्च : ये प्राइमरी रिसर्च और सेकंडरी रिसर्च दोनों के ही समान होते हैं मगर इन्हें आसानी से अनुमानित किया जा सकता है।
- ब्रांडिंग रिसर्च : यह कंपनी को एक ब्रांड के रूप में स्थापित करने में मदद करता है। इसके द्वारा यह पता लगाया जाता है कि आपके ब्रांड को लोग कितना पसंद कर रहे हैं।
- कस्टमर रिसर्च : कस्टमर रिसर्च के अंतर्गत आपके प्रॉडक्ट से जुड़े टार्गेट कस्टमर्स के बदलते हुए टेस्ट को पहचानता है और उस हिसाब से प्रॉडक्ट में चेंजेज़ करके बेचने में मददगार साबित होता है।
- उत्पाद रिसर्च : इसके तहत यह पता लगाय जाता है कि आने वाले समय में आपका प्रॉडक्ट बाज़ार में कितनी बिक्री करने वाला है।
- प्रतिस्पर्धा रिसर्च : इसके द्वारा यह जानने की कोशिश की जाती है कि आपके प्रॉडक्ट की तुलना में और कौनसे उत्पाद बाज़ार में उपलब्ध हैं और उनकी खूबियाँ और कमियाँ क्या क्या हैं। इस हिसाब से आपको अपने प्रॉडक्ट को तैयार करने में मदद मिलती है।
बिजनेस रिसर्च के उदाहरण
बिजनेस रिसर्च के उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं :
- बिजनेस के बारे में रिपोर्ट तैयार करना : इसके अंतर्गत बिजनेस से जुड़े लाभ और हानि के मुताबिक अनुमानित डाटा तैयार किया जाता है।
- बजट का अनुमान लगाना : इसके अंतर्गत बाज़ार में बिकने वाले उसी तरह के प्रोडक्ट्स के आधार पर अपने प्रॉडक्ट के संबंध में होने वाले कुल खर्च का अनुमान लगाया जाता है।
- अवसरों और टारगेट्स का अनुमान लगाना : इस प्रक्रिया के अंतर्गत उत्पाद से सबंधित अवसरों और आने वाले समय में हासिल किए जाने वाले लक्ष्यों के संबंध में एक अनुमानित रिपोर्ट तैयार की जाती है।
बिजनेस रिसर्च की सीमाएं
किसी भी चीज़ की अपनी कुछ सीमाएं होती हैं। यही बात बिजनेस रिसार्च के बारे में भी लागू होती है। इसकी भी अपनी कुछ सीमाएं हैं। जैसे आपको अपने प्रॉडक्ट से जुड़ी रिसर्च के लिए एक थर्ड पार्टी पर निर्भर रहना पड़ता है। आप सबकुछ खुद नहीं कर सकते। न चाहते हुए भी आपको थर्ड पार्टी की मदद लेनी ही पड़ती है। इसके बाद आपको उसकी रिसर्च पर ही निर्भर रहना पड़ता है। दूसरी बात यह है कि यह रिसर्च ज़्यादातर अनुमानित होती है। अनुमान हर बार सही साबित हो ऐसा कोई ज़रूरी नहीं।
बिजनेस रिसर्च के उद्देश्य
Business research in Hindi ब्लॉग में अब बारी है बिजनेस रिसर्च के उद्देश्यों के बारे में जानने की :
- लॉंच से पहले प्रॉडक्ट के लिए बाज़ार के रुख को पहचानना : बिजनेस रिसर्च का उद्देश्य किसी भी प्रॉडक्ट को लॉंच करने से पहले मार्केट में उससे जुड़ी सभी जरूरी बातों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना होता है। इसकी मदद से आपको अपने प्रॉडक्ट को बाज़ार में उतारने में बहुत सहूलियत होती है।
- प्रॉडक्ट से जुड़े आइडिये को फाइनल करने में मदद : बिजनेस रिसर्च के बाद ही कोई उद्यमी अपना प्रॉडक्ट फाइनल करता है। बिजनेस रिसर्च के बाद ही उसे प्रॉडक्ट रेट और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में पता चलता है।
- प्रॉडक्ट को इंवेस्टर्स के सामने पिच करने में आसानी : मार्केट रिसर्च के बाद ही कोई भी उद्यमी अपने उत्पाद को इंवेस्टर्स के सामने अच्छे से पिच कर पाता है ताकि वे उसके प्रोडक्ट में पैसा इन्वेस्ट कर सकें।
बिजनेस रिसर्च का महत्व
अब तक आप इस ब्लॉग business research in Hindi में बिजनेस रिसर्च की सीमाओं और उद्देश्य के बारे में पढ़ चुके हैं। अब बिजनेस रिसर्च के कुछ महत्व भी जान लीजिए :
- दर्शकों के रुझान के बारे में बेहतर समझ विकसित करना : बिजनेस रिसर्च की मदद से आप अपने प्रॉडक्ट के प्रति दर्शकों के रुझान के बारे में जान सकते हैं।
- बाज़ार में मौजूद प्रतिस्पर्धी प्रोडक्ट्स के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाना : आप बिजनेस रिसर्च के माध्यम से बाज़ार में अपने प्रॉडक्ट से मिलते जुलते प्रोडट्स की खूबियों और खामियों के बारे में आराम से जान सकते हैं।
- गुणवत्ता में सुधार : बिजनेस रिसर्च की मदद से आप अपने प्रोडक्ट में मार्केट की मांग के मुताबिक क्वालिटी में सुधार कर सकते हैं।
- संभावित खतरों की जानकारी प्रदान करना : बिजनेस रिसर्च की मदद से आप अपने प्रोडक्ट से संबन्धित खतरों के बारे में पहले से जान सकते हैं और बीमा कराकर भविष्य में होने वाले नुकसान से बच सकते हैं।
बिजनेस रिसर्च की विशेषताएँ
अब अंत में business research in Hindi के अंतर्गत बिजनेस रिसर्च से जुड़ी कुछ विशेषताओं के बारे में भी जान लीजिए:
- इसके तहत प्राथमिक रूप से प्रोडक्ट के संबंध में बाज़ार का डाटा इकट्ठा किया जाता है।
- इसके तहत ही ग्राहक की पसंद के संबंध में प्राइमारी और सेकंडरी लेवल पर डाटा तैयार किया जाता है।
- इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार संचालन में उद्यमी को मदद पहुंचाना होता है।
- हालांकि यह कभी भी पूर्णत: सही नहीं होता फिर भी किसी भी प्रोडक्ट को बाज़ार में उतारने में यह बहुत मदद प्रदान करता है।
FAQS
कुछ व्यापक लक्ष्य जो मार्केटिंग रिसर्च संगठनों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं, उनमें शामिल हैं: महत्वपूर्ण व्यावसायिक निर्णय लेना, निवेश और फंडिंग हासिल करना, नए व्यावसायिक अवसरों का निर्धारण करना और यहां तक कि व्यावसायिक विफलताओं से बचना।
मार्केटिंग रिसर्च, जिसे “विपणन अनुसंधान” के रूप में भी जाना जाता है, संभावित ग्राहकों के साथ सीधे किए गए शोध के माध्यम से एक नई सेवा या उत्पाद की व्यवहार्यता निर्धारित करने की प्रक्रिया है।
बिज़नेस रिसर्च के उद्देश्य प्रतिस्पर्धी शक्तियों (और कमजोरियों) को उजागर करना चाहते हैं, संभावित प्रभावित करने वालों की पहचान करना, ग्राहक जनसांख्यिकी को प्रकट करना, ब्रांड जागरूकता में सुधार करना और विपणन प्रभावशीलता को मापना कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे कंपनियां उपभोक्ता जुड़ाव को मजबूत करने के लिए गुणवत्ता अनुसंधान का उपयोग कर सकती हैं।
ऑनलाइन मार्केट रिसर्च एक प्रकार का मार्केट रिसर्च है जो ऑनलाइन उपलब्ध दो प्रकार के डेटा का लाभ उठाता है। डेटा आपके पास है और डेटा दूसरों द्वारा प्रकाशित किया गया है । इस प्रकार की जानकारी एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने से आपको अपने लक्षित दर्शकों के बारे में अधिक जानने और अपनी पेशकशों को सही आकार देने में मदद मिल सकती है।
उम्मीद है आपको यह ब्लॉग पढ़ने के बाद business research in Hindi इस बारे में बहुत सी जानकारियां प्राप्त हुई होगी। यदि आपको हमारा यह ब्लॉग पसंद आया हो तो आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ भी यह ब्लॉग जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।