क्या आप सोच रहे हैं Ashtadhyayi Mein Kaun Sa Samas Hai? तो आपको बता दें कि अष्टाध्यायी में द्विगु समास है। यह जानने से पहले कि द्विगु समास क्या होता है, यह जानते हैं कि समास किसे कहते हैं? अलग अर्थ रखने वाले दो शब्दों या पदों (पूर्वपद तथा उत्तरपद) के मेल से बना तीसरा नया शब्द या पद समास या समस्त पद कहलाता है तथा वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ‘समस्त पद’ बनता है, समास-प्रक्रिया कही जाती है। अष्टाध्यायी में कौन सा समास है तो आप जान गए हैं, आगे इस इस ब्लॉग में जानेंगे अष्टाध्यायी का समास विग्रह, द्विगु समास क्या होता है और साथ ही द्विगु समास के कुछ अन्य उदाहरण।
Ashtadhyayi Mein Kaun Sa Samas Hai?
अष्टाध्यायी में द्विगु समास होता है और इसका अर्थ होता है कोई भी ग्रंथ 8 अध्यायों वाला है।
द्विगु समास क्या होता है?
यदि किसी सामासिक पद में पहला पद संख्यावाचक शब्द हो और दूसरा पद संज्ञा शब्द हो तथा पूरा पद समूह का बोध करवाए तो उसे द्विगु समास कहते हैं। जब किसी सामासिक पद का समास विग्रह करने पर दोनों पदों के अन्त में ‘का समूह या का समाहार’ आता है, तो वहां द्विगु समास होता है। ‘द्विगु समास’ के उदाहरण इस प्रकार हैं:
समस्तपद | समास-विग्रह |
दुराहा | दो राहों का समाहार |
सतसई | सात सौ दोहों का समाहार |
तिरंगा | तीन रंगों का समाहार |
दशानन | दस आननों (मुखों) का समाहार |
पंचवटी | पाँच वट वृक्षों का समूह |
सप्ताह | सात दिनों का समूह |
पंजाब | पाँच आबों का समाहार |
अठन्नी | आठ आनों का समाहार |
नवग्रह | नौ ग्रहों का समाहार |
नवरत्न | नव रत्नों का समाहार |
शताब्दी | सौ अब्दों (वर्षों) का समाहार |
नवरात्र | नव (नौ) रातों का समाहार |
पंचमुखी | पाँच मुखों का समाहार |
त्रिफला | तीन फलों का समाहार। |
अष्टाध्यायी शब्द का समास विग्रह
अष्टाध्यायी शब्द का समास विग्रह 8 अध्यायों का समाहार होगा। अष्टाध्यायी में समास का उपभेद द्विगु समास होता है।
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