अनुस्वार बना है अनु+स्वर के जोड़ से, इसका यह अर्थ होता है कि स्वर के बाद आने वाला। अनुस्वार शब्दों के भाव भी कई बार बदल जाते हैं। इस ब्लॉग में आप Anuswar in Hindi, अनुस्वार क्या होता है, इसके नियम क्या हैं, अनुस्वार के उदाहरण के बारे में जानेंगे।
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अनुस्वार की परिभाषा
अनुस्वार का अर्थ होता है, स्वर के बाद आने वाला। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो स्वर के बाद आने वाला व्यंजन अनुस्वार कहलाता है। अनुस्वार की ध्वनि नाक से निकलती है। हिंदी भाषा के अनुसार अनुस्वार का प्रयोग चिन्ह बिंदु (ं)के रूप में अलग-अलग जगह पर प्रयोग किया जाता है। अन्य शब्दों में समझें तो अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इसको कभी-कभी ‘म’ अक्षर द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि।
अनुस्वार के उदाहरण
Anuswar in Hindi के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- पंख
- गंदा
- तिरंगा
- अंदर
- मंत्र
- बांग्ला
- चंदन
- लंबे
- पंजाब
- भंडारा
- पलंग
- अंडा
- पंडित
- संजय
- संगीता
- संतरा
- संतोष
- संदेश
- अंगूर
- मंगल
- मंजन
- फिरंगी
- मनोरंजन
- नारंगी
- घंटी
अनुस्वार का प्रयोग
अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म ये पंचाक्षर कहलाए जाते हैं) के जगह पर किया जाता है।
- गङ्गा = गंगा
- चञ्चल = चंचल
- डण्डा = डंडा
- गन्दा = गंदा
- कम्पन = कंपन
अब हम यह बात तो जान गए हैं कि अनुस्वार (ं) का प्रयोग पंचम वर्णों (ङ, ञ, ण, न, म) के स्थान पर किया जाता है।
- परन्तु ऊपर दिए गए उदाहरणों में आप देख सकते हैं कि प्रत्येक पंचाक्षर के स्थान पर (ं) अनुस्वार का प्रयोग एक समान है।
- ऐसे में हमें इस बात का कैसे पता चले कि कौन सा अनुस्वार (ं) किस पंचाक्षर का उच्चारण कर रहा है?
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अनुस्वार को पंचाक्षर में बदलने का नियम
Anuswar in Hindi के चिह्न के प्रयोग के बाद आने वाला वर्ण जिस वर्ग का होगा अनुस्वार का चिह्न उसी वर्ग के पंचम-वर्ण का स्थान लगेगा और उसी की उच्चारण ध्वनि निकालता है।
इस नियम को अच्छे से समझने के लिए हिंदी वर्णमाला के पाँच-वर्गों का ज्ञान होना बहुत ही अनिवार्य है-
‘क’ वर्ग | क, ख, ग, घ, ङ |
‘च’ वर्ग | च, छ, ज, झ, ञ |
‘ट’ वर्ग | ट, ठ, ड, ढ़, ण |
‘त’ वर्ग | त, थ, द, ध, न |
‘प’ वर्ग | प, फ, ब, भ, म, य, र ,ल, व ,श,ह |
अब उदाहरण की सहायता लेकर इस नियम को और अच्छे से समझेंगे –
- गंगा = गङ्गा
इस जगह पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘क’ वर्ग का वर्ण ‘ग’ है। अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘ङ’ इसका यह अर्थ होता है कि ‘क’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।
- डंडा = डण्डा
इस जगह पर अनुस्वार (ं) के चिह्न के प्रयोग के बाद ‘ट’ वर्ग का वर्ण ‘ड’ है। अनुस्वार का चिह्न (ं) ‘ण’ इसका यह अर्थ होता है कि ‘ट’ वर्ग के पंचम-वर्ण का उच्चारण कर रहा है।
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अनुस्वार के मुख्य नियम
Anuswar in Hindi के मुख्य नियम इस प्रकार हैं:
- अगर पंचम अक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ड आए तो पंचम अक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होता है।
- अगर पंचम वर्ग द्वितीय रूप में दोबारा आए तो पंचम वर्ग अनुस्वार में परिवर्तित नहीं होता है।
- हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि संयुक्त वर्ण दो व्यंजनों से मिलकर ही बनता है।
- अनुस्वार के बाद यदि य, र, ल , व, श , से, से, ह हो तो अनुस्वार म के रूप में लिखा जाना चाहिए।
अनुस्वार और अनुनासिक का अंतर
अनुनासिक स्वर है और अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन है। इनके प्रयोग में कारण कुछ शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है। जैसे – हंस (एक जल पक्षी), हँस (हँसने की क्रिया)।
पाठ्य-पुस्तक ‘स्पर्श-I’ में प्रयुक्त अनुनासिक शब्द
• धूल- गाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच।
• दुःख का अधिकार- बाँट, अँधेर, माँ, फूँकना, आँखें।
• एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा- बाँधकर, पहुँच, ऊँचाई, टाँग, पाँच, दाँते, साँस।
• तुम कब जाओगे, अतिथि- धुआँ, चाँद, काँप, मँहगाई, जाऊँगा।
• वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन्- ढूँढने, ऊँचे, भाँति।
• कीचड़ का काव्य- रँगी, अँगूठा, बाँधकर।
• धर्म की आड़- मियाँ, अजाँ।
• शुक्रतारे के समान- जालियाँवाला, ऊँगली, ठूँस, गूँथ।
पाठ्य-पुस्तक ‘संचयन-I’ में प्रयुक्त अनुनासिक शब्द
गिल्लू – काँव-काँव, उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, पूँछ, काँच, झाँकते।
स्मृति- बूँदा-बाँदी, गाँव, आँगन, कँप-कँपी, बाँध, साँप, कुएँ, पाँच, फुँकार, फूँ-फूँ, दाँत।
कल्लू कुम्हार की उनाकोटी- झाँका, मुँहजोर, उँड़ेल, बाँस, सँभाले, धँसकर।
अनुस्वार और अनुनासिक उदाहरण
Anuswar in Hindi और अनुनासिक के उदाहरण नीचे दिए हैं:
अनुस्वार शब्द | अनुनासिक शब्द |
पसंद, गंदा, रौंदते, सींगो,अंतरंग, बैंजनी, आशंका, बिंदु, खिंच, अंशों, बंद, बंधन , पतंग, संबंध, ज़िंदा, नंगा, अंदाज़ा, संभ्रांत, संस्था, अत्यंत, क्रांति, संश्लेषण, चिंतन, ढंग मंडल, मंत्री, सौंप, संक्षिप्त, अंग्रेजी, फ़ेंक, संभावना, अंकित, , गेंद, सेंटर, संक्रमण, गुंजायमान, अंतिम,कैंप, अधिकांश, संपूर्ण, सुन्दर, रंगीन, तंबू, नींद, ठंडी, पुंज, हिमपिंड, अत्यंत, कुकिंग, सिलिंडर, चिंतित, कौंधा, शंकु, लंबी, आनंद, दिसंबर, प्रारंभ, भयंकर, सायंकाल, आशंका, डंडा, त्योंही, उपरांत, संकल्प, डेंग, इंद्रियों, कंप, खिंच, गुंजल्क | गाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच , बाँधकर, पहुँच, ऊँचाई, टाँग, पाँच, दाँते, साँस, रँगी, अँगूठा, बाँधकर, बाँट, अँधेर, माँ, फूँकना, आँखें, झाँका, मुँहजोर, उँड़ेल, बाँस, सँभाले, मियाँ, अजाँ, ऊँगली, ठूँस, गूँथ, काँव-काँव, उँगली, काँच, बूँदें, रोएँ, पूँछ, काँच, झाँकते |
विभिन्न लिपियों में अनुस्वार और उनके यूनिकोड
विभिन्न लिपियों में Anuswar in Hindi और उनके यूनिकोड नीचे दिए गए हैं-
लिपि | चिन्ह | उदाहरण | यूनिकोड |
---|---|---|---|
देवनागरी | ं | कं | U+0902 (2306) |
बंगाली | ং | কং | U+0982 (2434) |
गुजराती | ં | કં | U+0A82 (2690) |
Gurmukhi | ਂ | ਕਂ | U+0A02 (2562) |
Kannada | ಂ | ಕಂ | U+0C82 (3202) |
Malayalam | ം | കം | U+0D02 (3330) |
Oriya | ଂ | କଂ | U+0B02 (2818) |
Sinhala | ං | කං | U+0D82 (3458) |
Telugu | ం | కం | U+0C15 (3093) |
अनुस्वार के अभ्यास प्रश्न
(i) मगल
(ii) बंधन
(iii) काचं
(iv) बँधन
उत्तर: (ii) बंधन
(i) सगंति
(ii) अत्यंत
(iii) पडित
(iv) पजांब
उत्तर: (ii) अत्यंत
(i) निमन्त्रं
(ii) निमँत्रण
(iii) निमंत्रण
(iv) निंमन्त्रं
उत्तर: (iii) निमंत्रण
(i) आतंक
(ii) आंतंक
(iii) आतक
(iv) आँतक
उत्तर: (i) आतंक
(i) अंसभव
(ii) असँभव
(iii) असम्भंव
(iv) असंभव
उत्तर: (iv) असंभव
(i) पडित
(ii) मत्र
(iii) पतंग
(iv) शख
उत्तर: (iii) पतंग
(i) सुगँधित
(ii) गध
(iii) सुंगध
(iv) सुगंधित
उत्तर: (iv) सुगंधित
(i) पंडित
(ii) पडित
(iii) पंडिंत
(iv) पंडिण्त
उत्तर: (i) पंडित
(i) पतग
(ii) हलंत
(iii) हरिनद
(iv) नाँद
उत्तर: (iii) हरिनद
(i) कुँडली
(ii) कुंडली
(iii) कुडंली
(iv) कुंडंली
उत्तर: (ii) कुंडली
(i) कितु
(ii) परतु
(iii) तंबू
(iv) चदु
उत्तर: (iii) तंबू
(i) नालँदा
(ii) मनोरंजन
(iii) अतर
(iv) सक्षिप्त
उत्तर: (ii) मनोरंजन
(i) दगल
(ii) कपन
(iii) पकज
(iv) मनोरंजक
उत्तर: (iv) मनोरंजक
(i) पजाब
(ii) हिमांचल
(iii) अरुणांचलं
(iv) उत्तरांचल
उत्तर: (iv) उत्तरांचल
(i) सगंम
(ii) सँगम
(iii) संगम
(iv) सगम
उत्तर: (iii) संगम
(i) सांस
(ii) ठंडा
(iii) कहां
(iv) ऊंट
उत्तर: (ii) ठंडा
(i) गांव
(ii) चांदनी
(iii) दिनांक
(iv) आंसू
उत्तर: (iii) दिनांक
(i) मंच
(ii) मँच
(iii) मन्च
(iv) मचं
उत्तर: (i) मंच
(i) निताँत
(ii) हिंसा
(iii) भाँति
(iv) सँस्कार
उत्तर:(ii) हिंसा
(i) पंकज
(ii) पँकज
(iii) पकज
(iv) पकंज
उत्तर:(i) पंकज
(i) शब्द
(ii) मुंबई
(iii) अकं
(iv) प्रारभ
उत्तर:(ii) मुंबई
(i) मत्रं
(ii) दिनाक
(iii) श्रृंगार
(iv) प्रसन
उत्तर:(iii) श्रृंगार
(i) वाद्य यत्रं
(ii) श्रृगार
(iii) वाद्य यंत्र
(iv) सपन्न
उत्तर: (iii) वाद्य यंत्र
(i) घटी
(ii) घंटी
(iii) घन्टी
(iv) घँटी
उत्तर: (ii) घंटी
वर्कशीट
FAQs
हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार (ं) का प्रयोग विभिन्न जगहों पर होता है। … यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे- वाड्. मय, अन्य, चिन्मय, उन्मुख आदि शब्द वांमय, अंय, चिंमय, उंमुख के रूप में नहीं लिखे जाते हैं।
अनुस्वार का प्रयोग
गङ्गा = गंगा
चञ्चल = चंचल
डण्डा = डंडा
गन्दा = गंदा
कम्पन = कंपन
सामान्यतया ‘म्’ व्यञ्जन वर्ण से पहले अनुस्वार (‘) में परिवर्तित होता है। 1. विसर्ग (:)– इसका उच्चारण किञ्चित् ‘ह’ के सदृश किया जाता है; इसका भी प्रयोग स्वर के बाद ही होता है।
अनुस्वार वे व्यंजन होते हैं, जो स्वर के बाद आते हैं। अनुस्वार की ध्वनि नाक से निकलती है। अनुस्सवार पंचम वर्ण अर्थात ङ्, ञ़्, ण्, न्, म् के जगह पर प्रयुक्त किये जाते हैं। अनुनासिक वे स्वर होते हैं, जो जिनमें मुँह से अधिक और नाक से कम ध्वनि निकलती है।
उत्तर: अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इससे अक्सर ं जैसी ध्वनि नाक के द्वारा निकाली जाती है, अतः इसे नसिक या अनुनासिक कहते हैं। इसको कभी-कभी म (और अन्य) अक्षरों द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि।
अनुस्वार एक उच्चारण की मात्रा है जो अधिकांश भारतीय लिपियों में प्रयुक्त होती है। इससे अक्सर ं जैसी ध्वनि नाक के द्वारा निकाली जाती है, अतः इसे नसिक या अनुनासिक कहते हैं। इसको कभी-कभी म (और अन्य) अक्षरों द्वारा भी लिखते हैं। जैसे: कंबल ~ कम्बल; इंफाल ~ इम्फाल इत्यादि।
अनुनासिक स्वर है और अनुस्वार मूल रूप से व्यंजन है। इनके प्रयोग में कारण कुछ शब्दों के अर्थ में अंतर आ जाता है। जैसे – हंस (एक जल पक्षी), हँस (हँसने की क्रिया)। धूल- गाँव, मुँह, धुँधले, कुआँ, चाँद, भाँति, काँच।
हिंदी भाषा में बिंदु अनुस्वार (ं) का प्रयोग विभिन्न जगहों पर होता है। … यदि पंचमाक्षर के बाद किसी अन्य वर्ग का कोई वर्ण आए तो पंचमाक्षर अनुस्वार के रूप में परिवर्तित नहीं होगा। जैसे- वाड्. मय, अन्य, चिन्मय, उन्मुख आदि शब्द वांमय, अंय, चिन्मय, उन्मुख के रूप में नहीं लिखे जाते हैं।
अनुस्वार का प्रयोग संयुक्त व्यंजन के प्रथम सदस्य के रूप में आने वाले नासिक्य व्यंजनों (ङ्, ञ्, ण्, न्, म्) के स्थान पर किया जाता है।
बिंदु या चंद्रबिंदु को हिंदी में क्रमश: अनुस्वार और अनुनासिका कहा जाता है।
1- अनुनासिका स्वर है जबकि अनुस्वार मूलत: व्यंजन।
2- अनुनासिका (चंद्रबिंदु) को परिवर्तित नहीं किया जा सकता जबकि अनुस्वार को वर्ण में बदला जा सकता है।
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