Adam Gondvi ki Kavita : पढ़िए अदम गोंडवी की वो रचनाएं, जो आपको साहित्य के अलौकिक दर्शन करवाएंगी

1 minute read
Adam Gondvi ki Kavita

समाज में समय-समय पर ऐसे कवियों ने भारत की पुण्यभूमि पर जन्म लिया, जिन्होंने मानवता का उद्धार करने के लिए समाज को अपनी कविताओं से संगठित किया। ऐसे ही कवियों में से एक कवि “अदम गोंडवी” भी हैं, जिनके शब्द आज भी सिस्टम के गलत निर्णयों पर उनसे सवाल करते हैं, समाज को जागरूक करने का काम करते हैं, साथ ही समाज की पीड़ाओं को बांटने का काम करते हैं। कविताएं संसार को साहस से परिचित कराती हैं, सही अर्थों में देखा जाए तो कविताएं ही मानव को समाज की कुरीतियों और अन्याय के विरुद्ध लड़ना सिखाती हैं। इसी कड़ी में Adam Gondvi ki Kavita (अदम गोंडवी की कविताएं) भी आती हैं, जिन्हें पढ़कर विद्यार्थियों प्रेरित हो सकते हैं, जिसके बाद उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।

कौन हैं अदम गोंडवी?

Adam Gondvi ki Kavita (अदम गोंडवी की कविताएं) पढ़ने सेे पहले आपको अदम गोंडवी जी का जीवन परिचय पढ़ लेना चाहिए। भारतीय साहित्य की अप्रतीम अनमोल मणियों में से एक बहुमूल्य मणि अदम गोंडवी भी हैं, जिनकी लेखनी लाखों युवाओं को प्रेरित करती है। अदम गोंडवी एक ऐसे भारतीय कवि रहे हैं, जिन्होंने सदैव सत्ता के समक्ष गरीबों की पीड़ाओं को प्रखरता से कहा। सही मायनों में उनकी कविताओं ने सिस्टम में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से उखाड़ फेकने का काम किया था।

22 अक्टूबर, 1947 को अदम गोंडवी का जन्म मध्य प्रदेश के खरगौन जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। अपने कॉलेज के समय से ही अदम गोंडवी का रुझान समाज में रह रहे गरीबों की पीड़ाओं की ओर था। अदम गोंडवी ने भोपाल विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने जीवन भर अपनी कविताओं में गरीबों और सिस्टम से प्रताड़ित पीढ़ितों को स्थान दिया।

अदम गोंडवी की कविताओं ने सदा ही सिंहासन को कटघरे में ला खड़ा किया, उनकी कविताओं ने समाज के हित के लिए सत्ता के गलियारों से सदैव प्रश्न किया। उनकी प्रमुख रचनाओं में “मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको”, “जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे”, “तुम आओगे तो एक पल के लिए”, “कभी-कभी लगता है कि मैं ही हूँ” आदि हैं।

अदम गोंडवी जी के साहित्य और समाजहित में दिए गए अविस्मरणीय योगदान को देखते हुए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2009 में उन्हें पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। अपने समय के एक महान कवि अदम गोंडवी जी ने 18 दिसंबर 2011 को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अपनी देह को त्यागा और पंचतत्व में विलीन हो गए।

काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में

Adam Gondvi ki Kavita (अदम गोंडवी की कविताएं) आपको उनके समय की समस्याओं से परिचित करवाती है। अदम गोंडवी जी की प्रसिद्ध रचनाओं में से एक “काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में” भी है, जो कुछ इस प्रकार है:

काजू भुने प्लेट में व्हिस्की गिलास में 
उतरा है रामराज विधायक निवास में 

पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत 
इतना असर है खादी के उजले लिबास में 

आज़ादी का ये जश्न मनाएँ वो किस तरह 
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में 

पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें 
संसद बादल गई है यहाँ के नख़ाश में 

जनता के पास एक ही चारा है बग़ावत 
ये बात कह रहा हूँ मैं होश-ओ-हवास में

-अदम गोंडवी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से अदम गोंडवी जी उस मानव को दर्पण दिखाने का काम कर रहे हैं, जो मानव अहंकार अथवा केवल नाम की आधुनिकता के पीछे दौड़ने के चक्कर में खुद को भुलाए बैठा है। इस कविता के माध्यम से कवि ऐसे समाज पर प्रहार कर रहे हैं, जो पुरुषार्थ को अकड़, भावना को दुर्बलता तथा चरित्र को फिज़ूल बताता है।

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे

Adam Gondvi ki Kavita (अदम गोंडवी की कविताएं) आपको उस समय से परिचित करवाती हैं, जहाँ घोटाले आए दिन अख़बारों की हेडलाइंस हुआ करते थे। अदम गोंडवी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

आँख पर पट्टी रहे और अक़्ल पर ताला रहे 
अपने शाह-ए-वक़्त का यूँ मर्तबा आला रहे 

देखने को दे उन्हें अल्लाह कंप्यूटर की आँख 
सोचने को कोई बाबा बाल्टीवाला रहे 

तालिब-ए-शोहरत हैं कैसे भी मिले मिलती रहे 
आए दिन अख़बार में प्रतिभूति घोटाला रहे 

एक जनसेवक को दुनिया में अदम क्या चाहिए 
चार छै चमचे रहें माइक रहे माला रहे

-अदम गोंडवी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि अदम गोंडवी भारत के युवाओं को भारतीय समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, अन्याय और शोषण के खिलाफ प्रतिकार करते हुए प्रेरित करने का काम करते हैं। कवि अदम इस कविता में कहते हैं कि जब तक लोगों की आँखों पर पट्टी होती है और उनके दिमाग पर ताला होता है, तब तक वे सत्य को नहीं देख पाते हैं। इसी कारण वो अन्याय और शोषण के शिकार हो जाते हैं, इन्हीं भावों के साथ कवि इस कविता में समाज की चेतना जगाने का प्रयास करते हैं।

तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है

Adam Gondvi ki Kavita आपको उस स्थिति से परिचित करवाएगी, जब योजनाएं केवल फ़ाइलों तक सिमित रहकर धरातल पर नहीं उतरती हैं। अदम गोंडवी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं की श्रेणी में से एक रचना “तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है 
मगर ये आँकड़ें झूठे हैं ये दावा किताबी है 

उधर जम्हूरियत ढोल पीटे जा रहे हैं वो 
इधर पर्दे के पीछे बर्बरीयत है नवाबी है 

लगी है होड़-सी देखो अमीरी और ग़रीबी में 
ये पूँजीवाद के ढाँचे की बुनियादी ख़राबी है 

तुम्हारी मेज़ चाँदी की तुम्हारे जाम सोने के 
यहाँ ज़ुम्मन के घर में आज भी फूटी रक़ाबी है

-अदम गोंडवी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से अदम गोंडवी जी भारतीय गाँवों की वास्तविक स्थिति पर एक कड़ी टिप्पणी है, जिसके तहत वह कविता में सरकारी आंकड़ों को गाँवों की खुशहाली और समृद्धि के रूप में चित्रित करते हैं, जबकि वास्तविकता में परिस्थितियां इसके विपरीत होती हैं। इस कविता के माध्यम से कवि सरकारी आंकड़ों की वास्तविक स्थिति को छिपाने को लेकर प्रतिकार करते हैं।

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं

Adam Gondvi ki Kavita आपको एक ऐसी कविता है जो आपसे एक प्रश्न पूछती है, जिसको पढ़कर आप कवि के मन की पीड़ा को महसूस कर पाएंगे। अदम गोंडवी जी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक रचना “सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं” भी है, यह कुछ इस प्रकार है:

सौ में सत्तर आदमी फ़िलहाल जब नाशाद हैं 
दिल रखकर हाथ कहिए देश क्या आज़ाद है 

कोठियों से मुल्क के मेआर को मत आँकिए 
असली हिंदुस्तान तो फुटपाथ पर आबाद है 

जिस शहर में मुंतज़िम अंधे हों जल्वागाह के 
उस शहर में रोशनी की बात बेबुनियाद है 

ये नई पीढ़ी पे निर्भर है वही जजमेंट दे 
फ़लसफ़ा गाँधी का मौजूँ है कि नक्सलवाद है 

यह ग़ज़ल मरहूम मंटो की नज़र है दोस्तो 
जिसके अफ़साने में ठंडे गोश्त की रूदाद है

-अदम गोंडवी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से अदम गोंडवी भारतीय समाज में व्याप्त असंतोष और निराशा की एक मार्मिक अभिव्यक्ति है। कवि का उद्देश्य उस समय भारत में अधिकांश लोगों की नाखुशी और निराशा को उजागर करना था, जो कि उन्होंने इस कविता के माध्यम से किया था। कवि इस कविता में भारत के 70% लोगों की बात को उठाते हुए, यह सन्देश देना चाहता है कि भारत में असंतोष और निराशा एक गंभीर समस्या है। कवि कविता के माध्यम से कहना चाहते हैं कि हमें इस समस्या को हल करने के लिए काम करना चाहिए।

जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में

Adam Gondvi ki Kavita के माध्यम से आप उस समय से परिचित हो पाएंगे, जब आँखें बूढ़ी हो जाती थी और योजनाओं का क्रियान्वन समय से नहीं होता था। अदम गोंडवी जी की महान रचनाओं में से एक रचना “जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में” भी है। यह कविता कुछ इस प्रकार है:

जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में
गाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल में

बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई
रमसुधी की झोंपड़ी सरपंच की चौपाल में

खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए
हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में

जिसकी क़ीमत कुछ न हो इस भीड़ के माहौल में
ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसाल में

-अदम गोंडवी

भावार्थ : इस कविता के माध्यम से कवि अदम गोंडवी भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था की जटिलता और भ्रष्टाचार पर एक कड़ी टिप्पणी करते हैं। इस कविता में सरकारी फाइलों की तुलना एक जटिल जाल से की है, एक ऐसा जटिल जाल जिसमें लोगों की समस्याएं उलझ जाती हैं और कभी हल नहीं हो पाती हैं। कवि इस कविता के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि सरकारी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है, जिसको हल करने के लिए काम करना बेहद जरूरी है।

आशा है कि Adam Gondvi ki Kavita (अदम गोंडवी की कविताएं) के माध्यम से आप अदम गोंडवी की सुप्रसिद्ध रचनाओं को पढ़ पाएं होंगे, जो कि आपको सदा प्रेरित करती रहेंगी। साथ ही यह ब्लॉग आपको इंट्रस्टिंग और इंफॉर्मेटिव भी लगा होगा, इसी प्रकार की अन्य कविताएं पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ बने रहें।

Leave a Reply

Required fields are marked *

*

*