यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के अनुसार, अब तक देश भर से तीन करोड़ से अधिक छात्रों ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (ABC) के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। ABC पोर्टल एक उचित क्रेडिट ट्रांसफर पद्धति के माध्यम से भारतीय हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स (HEIs) के बीच छात्रों के करिकुलम स्ट्रक्चर की मोबिलिटी और बहु-विषयक शैक्षणिक गतिशीलता को बढ़ावा देता है।
ABC से यह होगा छात्रों को फायदा
यह प्रत्येक छात्र के क्रेडिट रिकॉर्ड का एक डिजिटल डिपॉज़िटरी है जो उन्हें अपने स्कोर तक बगैर रुकावट के रूप से पहुंचने और विश्वविद्यालय या कॉलेज से अन्य संस्थानों में ट्रांज़िशन की सुविधा प्रदान करता है।
इस हालात पर बैंक में जमा होंगे क्रेडिट
UGC के एक बड़े ऑफिशियल कहते हैं कि “अब तक तीन करोड़ छात्र एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क (NRCF) के सफल एग्जीक्यूशन के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है, जो छात्रों को अधिक विकल्प प्रदान करता है”। “अगर कोई छात्र अपनी पढ़ाई के दौरान कोई और कोर्स करता है तो उसका क्रेडिट बैंक में जमा होता रहेगा।”
UGC समय-समय पर सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को लिख रहा है कि हर छात्र का एक खाता होना चाहिए और इसकी रेगुलर आधार पर निगरानी भी की जा रही है।
छात्र अपने क्रेडिट, ट्रांसक्रिप्ट्स एंड सर्टिफिकेट्स अकादमिक एकाउंट्स में अपलोड कर सकते हैं। ग्रेजुएशन में अब चार साल का कोर्स लागू किया गया है और छात्रों के पास ग्रेजुएशन के दौरान मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का विकल्प है।
अधिकारी ने आगे कहा कि ”अभी तक छात्रों को एक संस्थान से दूसरे संस्थान में एडमिशन लेने में रुकावटों का सामना करना पड़ता था, लेकिन नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के प्रोविज़न के लागू होने के बाद अब वे आसानी से दूसरे संस्थान में शिफ्ट हो सकेंगे।”
UGC के बारे में
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) 28 दिसंबर, 1953 को अस्तित्व में आया और विश्वविद्यालय में शिक्षा, परीक्षा और अनुसंधान के रेगुलेशंस के समन्वय और रखरखाव के लिए 1956 में संसद के एक अधिनियम द्वारा भारत सरकार की काॅंस्टिट्यूशनल बाॅडी बन गया। यह यूनिवर्सिटी और काॅलेजों को ग्रांट देता है।
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