भारत और दुनिया में मुंशी प्रेमचंद प्रख्यात कथाकारों में से एक हैं। इनकी लिखी गई कथाओं ने दुनिआ में अपना वर्चस्व जमाया है। ऐसा ही मुंशीजी की कहानी है दो बैलों की कथा, जिसकी कहानी बहुत शानदार है। दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक प्रसिद्ध रचना है, जिसमें प्रेमचंद्र एक किसान और उसके दो बैलों के भाव को प्रकट करते हैं। इस कथा के माध्यम से जीवों के प्रति प्रेम भाव और स्वतंत्रता के भाव को दर्शाया गया है, जहाँ मुंशी प्रेमचंद स्वतंत्रता को पशु और मनुष्य सभी के लिए आवश्यक और स्वतंत्रता को पहली पसंद के रूप में दर्शाते हैं। इस कथा के माध्यम से आप जानेंगे कि स्वतंत्रता के लिए अनेकों संघर्ष करने पड़ते हैं, जैसा की कथा में बैलों को अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए दिखाया गया है। इस कहानी को कक्षा 9 की क्षितिज की पुस्तक में पढ़ा जा सकता हैं। इस पोस्ट में आपको मुंशी प्रेमचंद्र द्वारा रचित “दो बैलों की कथा” (do bailon ki katha) के बारे में कुछ रोचक जानकारी प्राप्त होगी।
बोर्ड | CBSE |
टेक्स्टबुक | NCERT |
कक्षा | कक्षा 9 |
विषय | हिंदी क्षितिज |
चैप्टर | चैप्टर 1 |
चैप्टर का नाम | दो बैलों की कथा |
कुल सवालों की संख्या | 43 |
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लेखक परिचय
कथाकार मुंशी प्रेमचंद देश ही नहीं, दुनियाभर में विख्यात हुए और ‘कथा सम्राट’ कहलाए। प्रेमचंद का जन्म 1880 में बनारस के लमही गांव में हुआ था। प्रेमचंद्र ने बीए तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद शिक्षा विभाग में नौकरी प्राप्त की परंतु असहयोग आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने अपने लेखक जीवन की शुरुआत की और कई सारी कहानियां लिखीं, जिन्हें आज भी उतनी रुचि लेकर पढ़ा जाता है जैसा कि पहले पढ़ा जाता था। मुंशी प्रेमचंद जैसे महान कहानीकार, एक महान लेखक का देहांत 1936 में हुआ था।
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दो बैलों की कथा का सारांश
Do bailon ki katha का सारांश नीचे दिया गया है-
यह कहानी दो बैल हीरा और मोती की है जिनको झुरी ने बड़े ही प्यार से पाला था। एक बार किसी कारणवश झुरी को उन बैलों को अपने ससुराल में झुरी के साले गया के पास छोड़ना पड़ता है। लेकिन हीरा और मोती को लगता है कि उनके मालिक ने उन्हें गया को बेच दिया है, इसलिए वे जल्दी से उसके चंगुल से छूट के अपने घर जाना चाहते थे। रात को जब गया उन्हें चारा देके सो जाता है तब वें दोनों रस्सी तोड़ के झुरी के पास आ जाते है। उन्हें देख के झुरी बहुत खुश होता है लेकिन उसकी पत्नी को बहुत गुस्सा आता है और वह उन्हें कामचोर समझती है। वह उन दोनों बैलों को पुनः गया के हवाले कर देती है। दूसरी बार जब गया उन्हें फिर ले के जाता है तो उनपर अति क्रोधित होने के कारण उन्हें बहुत सताने लगता है।
उन्हें खाना पीना देना बंद कर देता है और जो कुछ देता भी था उसे वह न तो ढंग से खाते और न ही हल चलाते थे। गया अपने बैलों को अच्छे चारे डालता और हीरा मोती को सिर्फ भूसी खाने को दे देता था। उस घर में एक छोटी बच्ची जो उन्हें कुछ रोटियां खिलाती थी, एक रात उनको खोल देती है ताकि वो दोनो उस कैद से भाग जाएं। वे दोनों काफ़ी देर दौड़ने के बाद एक अनजान जगह पहुंच जाते है और वहां मटर के खेत में हरे भरे मटर खाने लगते है। उतने में कुछ लोग उन्हें घेर लेते है और काँजीहौस में कैद कर देते है। काफी दिन वहां भी अनेकों यातनाओं को सहने के बाद उनको एक कसाई के हाथों बेच दिया जाता है। उसके साथ चलते-चलते जब वे अपने घर के रास्ते को पहचान लेते है तो वो दौड़ते हुए झुरी के पास पहुंचते है और झुरी की पत्नी भी उन्हें प्यार से चूम लेती हैं।
कठिन शब्द
दो बैलों की कथा (Do bailon ki katha) से जुड़े कुछ कठिन शब्द नीचे दिए गए हैं-
- निरापद – सुरक्षित
- पछाई – पालतू पशुओं की एक नस्ल
- गोईं – जोड़ी
- कुलेले – क्रीडा
- विषाद – उदासी
- पराकाष्ठा – अंतिम सीमा
- पगहिया – पशु बांधने की रेसिपी
- रगेदना – खदेड़ना
- गराँव – रस्सी
- टिटकार – मुंह से निकलने वाला टिक-टिक शब्द
- मसहलत – हितकर
- साबिका – वास्ता/सरोकार
- काँजीहौस – मवेशी खाना
- रेवड़ – पशुओं का झुंढ
- थान – पशुओं की बांधे जाने वाली ज़गह
- उछाह – उत्सव/आनंद
दो बैलों की कथा से सीखने योग्य बातें
मुंशी प्रेमचंद एक दूरगामी सोच वाले व्यक्ति थे, जिनकी कथाओं को न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व भर में सराहा गया। मुंशी प्रेमचंद अपनी कथाओं में गढ़े शब्दों से समाज में ऐसी जागृति पैदा करते थे, जिसका असर काफी प्रभावशाली रहता था। इसी प्रकार उनकी लिखी “दो बैलों की कथा” (Do bailon ki katha) से भी सीखने योग्य अनेकों बातें हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- पशुओं को भी प्रेम की आवश्यकता होती है, यदि आप में प्रेम को महसूस करने की क्षमता नहीं तो आप पशुओं से भी गए गुज़रे हैं।
- स्वतंत्रता पर केवल किसी एक का एकाधिकार नहीं होता, स्वतंत्रता वह भावना है जिस पर सभी का समान अधिकार है। फिर चाहे इसको पाने की लालसा रखने वाला कोई पशु हो या मानव।
- स्वामी भक्ति में अनेकों यातनाएं सहने वाले एक न एक दिन सफलताओं को अवश्य प्राप्त करते हैं।
- मानव को कभी भी किसी दूसरे जीव का अपमान नहीं करना चाहिए, ऐसा करना स्वयं देवता का अपमान करने के समान होता है।
- आपका जीवन चाहे कितनी भी कठिनाईओं से क्यों न जूझ रहा हो, यदि आपका लक्ष्य अटल है तो आपको विजय होने से कोई नहीं रोक सकता है।
लघु प्रश्न-उत्तर
पाठ से जुड़े कुछ प्रश्नों के छोटे उत्तर यहां दिए गए हैं-
उत्तर – जानवरों में सबसे ज्यादा बुद्धिहीन जानवर गधे को माना जाता है।
उत्तर – जब हम किसी व्यक्ति को गधा बोल कर संबोधित करते हैं तो हमारे मन में उसके प्रति भाव होता है कि वह बुद्धिहीन है, सहनशील है और बहुत ही ज्यादा सीधा है।
उत्तर – झूरी के दोनों बैलों का नाम हीरा और मोती था।
उत्तर – दो बैलों की कथा के लेखक का नाम प्रेमचंद्र है।
उत्तर – गया झूरी का साला था। जिसने बाद में झूरी के दोनों बैलों को लिया था।
दीर्घ प्रश्नोत्तर
Do bailon ki katha पाठ से जुड़े प्रश्न उत्तर निम्नलिखित हैं, जिसके उत्तर कम से कम 2 से 3 वाक्यों में दें-
उत्तर – प्रेमचंद ने किसान जीवन में मनुष्य तथा पशु के भावनात्मक सम्बन्धों को हीरा और मोती, दो बैलों के माध्यम से व्यक्त किया है। हीरा और मोती दोनों झूरी नामक एक किसान के बैल हैं जो अपने बैलों से अत्यंत प्रेम करता है और इसी प्रेम से वशीभूत होकर हीरा और मोती अपने मालिक झूरी को छोड़कर कहीं और नहीं रहना चाहते हैं। इससे यह स्पष्ट है कि पशु भी स्नेह का भूखा होता है। प्रेम पाने से वे भी प्रेम व्यक्त करते हैं और क्रोध तथा अपमान पाकर वे भी असंतोष व्यक्त करते हैं।
उत्तर – दो बैलों की कथा” के माध्यम से लेखक ने पशुओं तथा मनुष्यों के बीच भावनात्मक सम्बन्धों का वर्णन किया है। इस कहानी में स्वतंत्रता के मूल्य की बात कही गई है। स्वतंत्र रहना किसी भी प्राणी का जन्मसिद्ध अधिकार है फिर चाहे वो मनुष्य हो या पशु। स्वतंत्रता कभी सहजता से नहीं मिलती। हमें इसके लिए संघर्ष करना पड़ता है। इस कहानी में बार-बार बैलों के माध्यम से प्रेमचंद ने यह नीति-विषयक मूल्य हमारे सामने रखा है कि फिर चाहे अमुक प्राणी जानवर हो या मनुष्य सभी को प्रेम की आवश्यकता होती है और हमें सभी के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार ही करना चाहिए। हमें किसी को प्रताड़ित करने का अधिकार नहीं है।
उत्तर – प्रेमचंद स्वतंत्रता पूर्व लेखक हैं। इनकी रचनाओं में भी इसका प्रभाव देखा गया है। “दो बैलों की कथा” नामक कहानी भी इससे अछूती नहीं है। मनुष्य हो या पशु पराधीनता किसी को भी स्वीकार नहीं है। सभी स्वतंत्र होना चाहते हैं। प्रस्तुत कहानी की कथावस्तु भी इन्हीं मनोविचार पर आधारित है। प्रेमचंद ने अंग्रेज़ों द्वारा भारतीयों पर किए गए अत्याचारों को मनुष्य तथा पशु के माध्यम से व्यक्त किया है। इस कहानी में उन्होंने यह भी कहा है कि स्वतंत्रता सहज ही नहीं मिलती, इसके लिए निरंतर संघर्ष करना पड़ता है। जिस प्रकार अंग्रेज़ों के अत्याचार से पीड़ित जनता ने अपना क्षोभ विद्रोह के रुप में व्यक्त किया, उसी प्रकार बैलों का गया के प्रति आक्रोश भी संघर्ष के रुप में भड़क उठा। इस प्रकार परोक्ष रुप से यह कहानी आज़ादी की भावना से जुड़ी है।
उत्तर – मोती के इस कथन से उसकी निम्नलिखित विशेषताएँ उभर कर सामने आती हैं –
वह आशावादी है क्योंकि उसे अभी भी यह विश्वास है कि वह इस कैद से मुक्त हो सकते हैं।
वह स्वार्थी नहीं है, स्वयं भागने के बजाए उन्होंन अन्य सभी जानवरों को सबसे पहले भागने का मौका दिया।
वह साहसी है।
उत्तर – हीरा और मोती दोनों बैलों में गहरी दोस्ती थी। कहानी के कुछ प्रसंगों के माध्यम से यह बात स्पष्ट होती है– दोनों एक दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। जब ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते तो दोनों ज़्यादा से ज़्यादा बोझ स्वयं झेलकर दूसरे को कम बोझ देने की चेष्टा करते। नाद में खली-भूसा पड़ जाने के बाद दोनों साथ ही नाँद में मुँह डालते और साथ ही बैठते थे। एक के मुँह हटा लेने पर दूसरा भी हटा लेता था। जब कुछ लोगों ने खेत से पकड़कर ले जाने के लिए दोनों को घेर लिया तब हीरा निकल गया परन्तु मोती के पकड़े जाने पर वह भी बंधक बनने के लिए स्वयं ही लौट आया। कांजीहौस की दीवार के टूटने पर जब हीरा ने भागने से मना कर दिया तो अवसर होने के बावजूद भी मोती उसे छोड़कर नहीं भागा।
Do bailon ki katha से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
उत्तर – कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी ली जाती है। इससे पशुओं की संख्या की जानकारी होती है ताकि कोई जानवर अगर कैद से भाग जाए तो तुरन्त पता लगाया जा सके।
उत्तर – लड़की की माँ मर चुकी थी, सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। इसीलिए बैलों से उस छोटी बच्ची की आत्मीयता हो गई थी। लड़की तथा दोनों बैल भी प्यार के भूखे थे और एक दूसरे का कष्ट समझ सकते थे।
उत्तर – आमतौर पर हम गधे के लिए मूर्ख शब्द का प्रयोग करते हैं। परन्तु प्रेमचंद के अनुसार गधे में सदाचार तथा साधु संतों के गुण हैं। क्योंकि जानवर हो या मनुष्य क्रोध सभी को आता है, अन्याय के प्रति आक्रोश प्राय: सभी में होता है। परन्तु एक मात्र गधा ही ऐसा प्राणी है जो सब अत्याचार चुपचाप सहन कर लेता है। हमने कभी उसे खुश होते नहीं देखा, उसके चेहरे पर एक स्थायी विषाद हमेशा छाया रहता है, कभी अन्याय के प्रति असंतोष नहीं देखा। इन सभी गुणों के बावजूद उसे बेवकूफ कहा जाता है। यह सदगुणों का अनादर ही तो है अर्थात् सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है।
उत्तर – प्रेमचंद के मन में नारी जाति के प्रति सम्मान की भावना थी। नारी का स्थान समाज में सर्वोपरि है, वह पूजनीय है। इसलिए नारी पर प्रहार करने को अमानवीय कहा गया है। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में स्त्री पात्र का आदर्श रुप प्रस्तुत किया है तथा इन्होंने स्त्री प्रधान रचनाएं भी की हैं। इससे यह स्पष्ट है कि नारी के प्रति प्रेमचंद का दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक है।
उत्तर – यहाँ लेखक का आशय पशुओं के आपसी स्नेह से है। पशु एक दूसरे के विचार, भाव तथा शब्द इतनी आसानी से समझ जाते हैं जो मनुष्यों में देखने को नहीं मिलता। मनुष्य एक बुद्धिजीवी प्राणी है तथा सभी जीवों में श्रेष्ठ है परन्तु फिर भी प्रेम तथा भावनात्मक सम्बन्धों के प्रति जागरुकता पशुओं में अधिक देखने को मिलती है।
MCQs
Do bailon ki katha पाठ से जुड़े कुछ एमसीक्यू नीचे दिए गए हैं-
- गधे में किसके गुण प्रकाष्ठा को पहुंच गए हैं।
- आम आदमी
- चोर डकैत
- ऋषि मुनि
- कुलीन वर्ग के लोग
उत्तर : ऋषि मुनि
- निरापद सहिष्णुता का क्या अर्थ है?
- संत भोलापन
- अत्यंत मूर्खता
- अत्यंत सहनशीलता
- सादगी
उत्तर : अत्यंत सहनशीलता
- भारत वासियों पर क्या आरोप लगाया जाता है?
- वे झगड़ालू होते हैं
- वह गुस्सैल होते हैं
- वे कामचोर होते हैं
- वे जीवन का स्तर घटाते हैं
उत्तर : वे जीवन का स्तर घटाते हैं।
- गुणों के पराकाष्ठा का क्या अर्थ है?
- गुणों का विशालकाय रूप
- गुणों का सागर
- गुणों का ना होना
- गुणों की चरम सीमा
उत्तर : गुणों की चरम सीमा
- झूरी ने दोनों बैलों को कहां भेज दिया?
- दादी घर
- नानी घर
- ससुराल
- बुआ के घर
उत्तर : ससुराल
- ईश्वर ने बालों को क्या नहीं दिया?
- घर
- वाणी
- पैसा
- इनमें से कुछ नहीं
उत्तर : इनमें से कुछ नहीं
Worksheet
Do bailon ki katha पाठ से जुड़े कुछ रिक्त स्थान यहां दिए गए हैं-
- दिन भर की थकान के बाद शाम को जब वे खुलते तो एक दूसरे को ___________ अपनी थकान मिटा लेते।
- गया को बैलों की गोईं ले जाने में _________ आ गया।
- दो चार बार मोती ने गाड़ी को ________ गिराना चाहा पर हीरा ने संभाल लिया।
- छोटी सी लड़की _______ रोटी लिए निकली।
- जिस _________ मार्ग से आए थे उसका यहां पता ना था।
उत्तर
- चाट कर
- नाको तले पसीना
- खाई
- दो
- परिचित
FAQs
उत्तर – हीरा और मोती ने अपने कार्य से हमेशा यह सिद्ध किया है कि उन्हें किसी का बंदी बनकर नहीं रहना, वे स्वतंत्रता पूर्वक अपने जीवन को जीना चाहते थे। मेरी राय से कोई भी जीव स्वतंत्रता पूर्वक अपने जीवन को जीने का अधिकारी है और जीने का सही अर्थ भी स्वतंत्र होकर ही है। किसी के अधीन होकर जीना मरने के बराबर है।
उत्तर – यहाँ संयुक्त वाक्य है तथा भेद: संज्ञा उपवाक्य, उपवाक्य: अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
उत्तर – यहाँ मिश्र वाक्य है, भेद: विशेषण उपवाक्य, उपवाक्य: जिसकी आंखे लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर।
उत्तर – यहाँ मिश्र वाक्य है, भेद: संज्ञा उपवाक्य, उपवाक्य: गया के घर से नहाक भागे।
उत्तर – यहाँ संयुक्त वाक्य है, भेद: क्रिया विशेषण उपवाक्य, उपवाक्य: तो बिकेंगे।
उत्तर – यहाँ संयुक्त वाक्य है, भेद: क्रिया विशेषण उपवाक्य, उपवाक्य: तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
उत्तर- टकटकी लगाना: अर्थ: निरंतर देखना- वह दरवाजे पर टकटकी लगाए देखता रहा।
दांतों पसीना आना: अर्थ: कठिन परिश्रम करना- इतना भारी सामान उठाते उसे दांतों पसीना आ गया।
जी तोड़ काम करना: अर्थ: बहुत मेहनत करना- मोहन ने फर्स्ट आने के लिए जी तोड़ काम किया।
ग़म खाना: अर्थ: धैर्य रखना- कम खाना मिलने पर भी हीरा और मोती गम खा जाते।
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