Chattan ke Prakar: चट्टानें पृथ्वी की सतह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनका हमारे ग्रह के निर्माण में बड़ा योगदान है। चाहे वह पहाड़ों की ऊंचाई हो, समुद्र की गहराई हो या पृथ्वी के अंदर की संरचना—चट्टानें हर जगह पाई जाती हैं। ये सिर्फ सुंदरता का हिस्सा नहीं, बल्कि पृथ्वी के विकास में भी इनका अहम योगदान है। इस ब्लॉग में, हम इन चट्टानों के विषय में बात करेंगे। यह ब्लॉग चट्टान के प्रकार (Chattan ke Prakar) पर आधारित है। आइए शुरू करते हैं और जानते हैं चट्टान के प्रकार और चट्टानों के बारे में।
This Blog Includes:
चट्टान किसे कहते हैं?
Chattan Kise Kehte hain, विस्तार से जानते हैं इस लेख के माध्यम से। पृथ्वी की ऊपरी परत या अर्थ-क्रस्ट में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा रेत के पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति न घुसने योग्य हो। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों तत्वों से मिलकर हुई हैं। नीचे पॉइंट्स की सहायता से समझते हैं इसके बारे में-
- चट्टान कई बार एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है लेकिन सामान्यतः चट्टान दो या अधिक खनिजों का मिश्रण होती हैं।
- पृथ्वी की पपड़ी या भू-पृष्ठ या परत का निर्माण लगभग 2,000 खनिजों से हुआ है, परन्तु इनमें से कुछ ही तत्व महत्वपूर्ण हैं।
- मुख्य रूप से केवल 20 खनिज ही अर्थ-क्रस्ट निर्माण की दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
- चट्टान इस शब्द से तो आप भली-भांति परिचित हैं चट्टान को सामान्यतः बोलचाल की भाषा में इसे पत्थर कहा जाता है।
- अर्थ-क्रस्ट के सभी कठोर एवं मुलायम पदार्थ चट्टान कहलाते हैं, जैसे पत्थर, बालू, रेत, मिट्टी आदि अर्थात अर्थ-क्रस्ट के वे सभी पदार्थ जो खनिज नहीं है, उन्हें चट्टान कहते हैं।
- यह ग्रेनाइट के समान कठोर हो सकती और मिट्टी के समान मुलायम भी हो सकती है।
चट्टान की उत्पत्ति कहां से हुई?
जैसा कि आप सब जानते हैं कि पृथ्वी शुरू में आग का गोला थी जो समय के साथ ठंडी हुई जिसे प्रकृति का निर्माण हुआ। इसी निर्माण में पृथ्वी में कई जगहों पर टूट-फूट और उथल-पुथल के परिणाम स्वरूप चट्टानों का निर्माण हुआ। ऐसे तो पृथ्वी के भूगर्भ में कई तरह के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं लेकिन कुछ मुख्य तत्व ऐसे हैं जो चट्टान बनाने में उपयोगी होते हैं।
ऐसे तो विभिन्न प्रकार के तत्व मिलकर चट्टानों का निर्माण (Formation of Rocks) करते हैं, परंतु 8 मुख्य तत्व ऐसे हैं जिनसे लगभग 98% चट्टानों का भाग बना होता है। तो आइए जानते हैं इन तत्वों के बारे में-
- ऑक्सीजन (47%)
- सिलिकॉन (28%)
- एल्युमिनियम (8%)
- लोहा (5%)
- कैल्शियम
- सोडियम
- पोटेशियम
- मैग्नीशियम
यद्यपि क्रस्ट (भूपटल) में खनिजो की संख्या हजारों/लाखों में होती है परंतु मात्र 6 खनिज ही प्रधान रूप से पाए जाते हैं।
ये खनिज हैं-
- फेल्सपार
- क्वार्ट्ज
- पायरोसिस
- एम्फीबोल्स
- अभ्रक तथा
- ओलीविन
चट्टान का निर्माण करने वाले खनिजों में सिलीकेट सबसे प्रमुख है एवं ऑक्साइड तथा कार्बोनेट क्रमशः इसके बाद आता है।
चट्टान के प्रकार | Chattan ke Prakar
सामान्य दृष्टि से देखा जाए तो चट्टाने तीन प्रकार की होती है। आइए इन चट्टानों (Chattan ke Prakar) के बारे में विस्तार से जानते हैं-
आग्नेय चट्टानें (Igneous Rock)
इनको प्राथमिक चट्टाने भी कहते हैं क्योंकि अन्य चट्टानों का निर्माण सीधे या परोक्ष रूप से आग्नेय चट्टान से ही होता है।
- इस चट्टान का निर्माण ज्वालामुखी फटने से निकले मैग्मा और लावा के ठंडे होने और जमने से होता है इसलिए इनको आग्नेय भी कहते हैं। आग्नेय का तात्पर्य यहां ज्वालामुखी स्टेटमेंट से है।
- इन चट्टानों में परते नहीं पाई जाती है और न ही जीवाश्म (कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस) पाए जाते हैं।
- यह चट्टाने धात्विक खनिजों से पूर्ण होती हैं, उदाहरण- लोहा, सोना, चांदी, निकिल, तांबा आदि। भौतिक व यांत्रिक अपक्षय इन चट्टानों का सर्वाधिक होता है, जबकि रासायनिक अपक्षय इन चट्टानों का कम होता है किंतु क्रस्ट का लगभग 90% भाग आग्नेय चट्टानों से बना है। इन चट्टानों में क्रिस्टल पाए जाते हैं।
- आग से बनी चट्टानें यानी ज्वालामुखी से निकला लावा, मैग्मा एवं धूल के कणों के ठंडा होने पर जो चट्टानें बनती है उन्हें आग्नेय चट्टानें कहते है ।
- इन्हें प्राथमिक या माता शैल भी कहा जाता है।
- इन चट्टानों मे परते एवं फॉसिल नहीं पाए जाते है।
- लोहा, सोना, निकिल् एवं जस्ता जैसे प्रमुख खनिज इन चट्टानों में पाए जाते हैं।
- यह चट्टाने आर्थिक रूप से संपन्न होती है।
- आग्नेय चट्टानों के उदाहरण-
- ग्रेनाइट
- बेसाल्ट
- पेग्मटाइड
- बिटुमिनस इसके प्रमुख उदाहरण है।
अवसादी चट्टान (Sedimentary Rocks)
इन चट्टानों का विस्तार सतह पर सबसे ज्यादा होता है और इसका निर्माण अवसादों के सतह पर जमा होने से होता है।
- इसमें परते पाई जाती हैं, अतः क्रिस्टल का अभाव होता है।
- इसमें जीवाश्म पाया जाता है। कोल, पेट्रोलियम, गैस इसी से संबंधित होते हैं।
- अवसादी चट्टानों में अत्यधिक खनिज पाए जाते हैं और अवसादी चट्टानें मिट्टी के निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- अवसादी चट्टानों का निर्माण आग्नेय चट्टानों से ही होता है।
- जब आग्नेय चट्टाने हवा व पानी की वजह से दूर जाकर जमने लगती है तो इससे अवसादी चट्टानों का निर्माण होता है।
- आग्नेय चट्टानों से बनने के कारण ही इन चट्टानों को अवसादी चट्टानें कहा जाता है।
- आग्नेय चट्टानों के परत दर परत जमने से अवसादी चट्टानें बनती है। अतः अवसादी चट्टानों को परतदार चट्टानें भी कहा जाता है।
- इन चट्टानों में जीवाश्म पाए जाते हैं।
- खनिज तेल और शेल गैस आदि भी पाया जाता है।
- अवसादी चट्टान के उदाहरण –
- बलुआ पत्थर
- डोलोमाइट
- लिग्नाइट
- चूना पत्थर
- कोयला आदि
- अवसादों का सतह पर जमा होना निम्न तीन प्रक्रियाओं से सम्बंधित है।
- यांत्रिक प्रक्रिया
- जैविक प्रक्रिया
- रासायनिक प्रक्रिया
A. यांत्रिक प्रक्रिया : इस प्रक्रिया में अवसादों का जमाव या निक्षेपण नदियों, नहरों, पवनो और समुद्री धाराओं और तरंगों से होता है। उदाहरण- बालुका पत्थर, चिकनी मिट्टी, शैल, लोएस।
B. जैविक प्रक्रिया : मृत पौधों और जंतुओं की जैविक पदार्थों के आर्गेनिक डीकंपोजिशन से डेपोज़िशन होता है। उदाहरण -पिट, कोयला, मूंगे की चट्टाने।
C. रासायनिक प्रक्रिया : इन अवसादों का निक्षेपण जलाशयों के तली पर होता है। ये अवसाद जल में घुलनशील होते हैं और समय के साथ जल के तल पर डेपोसिटेड होते रहते है। उदाहरण- जिप्सम, रॉक साल्ट।
कायांतरित (Metamorphic Rock)
इसका निर्माण आग्नेय और अवसादी चट्टानों में ताप और दाब के प्रभाव के कारण होने वाले परिवर्तनों से होता है। इसके प्रभाव में आग्नेय चट्टानों एवं अवसादी चट्टानों के भौतिक और रासायनिक गुण दोनों परिवर्तित हो जाते हैं।
- आग, दाब एवं रासायनिक क्रिया के कारण अवसादी चट्टानों का रूप बदल जाता है जिससे रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों का निर्माण होता है।
- अर्थात जब पर्यावरण में परिवर्तन होता है तो चट्टानों में टूट-फूट व रासायनिक क्रिया होती है जिस कारण से उनका आकार व रूप बदल जाता है और इससे कायांतरित चट्टानों का निर्माण होता है।
- ये चट्टाने दो प्रकार की होती हैं।
आग्नेय चट्टान के बारे में विस्तार से जानिए
आग्नेय चट्टानों के बारे में आपने ऊपर पढ़ लिया होगा की आग्नेय चट्टाने क्या होती है। अब हम इन चट्टानों के बारे में विस्तार से जानेंगे और समझेंगे कि इन चट्टानों का महत्व क्या है?
आग्नेय शब्द अग्नि से उत्पन्न हुआ है इन्हें प्राथमिक चट्टान भी कहते हैं, क्योंकि यह अन्य चट्टानों से सबसे पहले निर्मित हुई है। इन चट्टानों का निर्माण पृथ्वी के अंदर भूगर्भीय भाप के कारण निकले मैग्मा से हुआ है। जब मैग्मा ठंडा होकर कठोर रूप में जम गया तो उससे इन आग्नेय चट्टानों का निर्माण हुआ।
गरम लावा के तेजी से ठंडा होने के कारण बहुत ही छोटे-छोटे रवे बने जिसके कारण से इन चट्टानों को रविदास चट्टान भी कहा जाता है।
आग्नेय चट्टानों के प्रकार
आग्नेय चट्टाने दो प्रकार की होती हैं, जैसे कि-
- अंतर्निर्मित आग्नेय चट्टानें (Intrusive igneous rock)
वह आग्नेय चट्टाने जो सतह के नीचे लावा के ठंडे और ठोस होने से निर्मित होती है,अंतर्निर्मित (आंतरिक) आग्नेय चट्टानें कहलाती है।
इसके दो उपवर्ग हैं-
(A) पातालिय चट्टान (Plutonic Rock)
इसका निर्माण पृथ्वी के अंदर काफी अधिक गहराई पर होता है। इसका नामकरण प्लूटो (यूनानी देवता) के नाम पर किया गया है। जो पाताल के देवता माने जाते हैं।अत्यधिक धीमी गति से ठंडा होने के कारण इसके क्रिस्टल बड़े बड़े होते हैं। ग्रेनाइट चट्टान इसका उदाहरण है।
(B) मध्यवर्ती चट्टाने (Hypobyssal Rock)
ज्वालामुखी के उदगार के समय धरातलीय अवरोध के कारण लावा दरारों, छिद्रों एवं नली में ही जमकर ठोस रूप धारण कर लेता है, बाद में अपरदन की क्रिया के बाद यह चट्टाने धरातल पर नजर आने लगती है। डोलेराइट, मैग्नेटाइट इन चट्टानों के महत्वपूर्ण उदाहरण है।
2. बाह्य आग्नेय चट्टानें (Extrusive igneous rock)
वह आग्नेय चट्टानें जिनका निर्माण सतह के ऊपर लावा के ठंडा होने और जमने से होता है, बाह्य (बाहरी) आग्नेय चट्टानें कहलाती हैं।इनमें क्रिस्टल बहुत छोटे होते हैं क्योंकि लावा तेजी से जम जाता है। बेसाल्ट इसका अच्छा उदाहरण है। इस चट्टान की क्षरण से ही काली मिट्टी का निर्माण होता है जिसे रेगड़ (Regur) कहते हैं।
आग्नेय चट्टानों की विशेषता
- आग्नेय चट्टाने रवेदार, कठोर एवं दानेदार होती है।
- इन चट्टानों में परत नहीं पाई जाती है तथा पानी का प्रवेश कम होने के कारण इन चट्टानों में रासायनिक क्रिया भी कम होती है। जिससे इन चट्टानों का रासायनिक अपक्षय भी कम हो जाता है।
- इन चट्टानों में जीवाश्म भी नहीं पाए जाते हैं अर्थात इन चट्टानों में जीवित रहने हेतु कोई भी तत्व नहीं पाए जाते हैं।
- इन चट्टानों में जीवन जीने के लिए आवश्यक तत्व नहीं पाए जाते हैं।
अवसादी चट्टान के बारे में विस्तार से जानिए
अवसादी चट्टानों का निर्माण पृथ्वी के धरातल यह चट्टानों के अपरदन एवं अपक्षय के कारण होता है । स्थलमंडल में सबसे अधिक भाग पर यही चट्टानें पाई जाती है। इन चट्टानों का निर्माण सागरतल की तलहटी में होता है जिसके कारण से इन्हें तलहटी चट्टाने भी कहा जाता है । अवसादी चट्टानों के निर्माण में आग्नेय चट्टानों के अपक्षयी अवशेषों के साथ साथ ,समुद्री जीवो के मृत शरीर एवं विभिन्न प्रकार की वनस्पति पदार्थों के अवशेषों और जल में उपलब्ध खनिज पदार्थों के अवशोषण से होता है जिसके कारण इन चट्टानों में जैव पदार्थ व खनिज पदार्थ पाए जाते हैं । यह समतल परत में निर्मित होती है एवं लाखों वर्षों में कठोर चट्टान बनकर तैयार होती है।
हवा ,हिमानी आदि यांत्रिक कारको से बनी अवसादी चट्टानों के उदाहरण है। लोएस , गोल मृतिका, सेल बालू का पत्थर आदि चूना पत्थर कोयला जैविक तत्व तथा सेंधा नमक जिप्सम से बनी अवसादी चट्टानों के उदाहरण है। अवसादी चट्टानों में आर्थिक महत्व वाले खनिज कम मात्रा में पाए जाते हैं लेकिन लौह अयस्क जैसे फास्फोरस, इमारती पत्थर कोयला एवं सीमेंट बनाने वाले पदार्थों की प्रमुखता इसमें बहुत अधिक होती है।
अवसादी चट्टानों की विशेषताएं
- अवसादी चट्टानों में जीवाश्म पाए जाते हैं ।
- यह मुलायम व कोमल होती है।
- इन चट्टानों में परते , संधि या जोड़ पाए जाते हैं परंतु इसके इसे शैल रवेदार नहीं होते हैं ।
- यह पृथ्वी की हलचल से विरूपित होकर अलग हो जाती है एवं कभी-कभी असंभव स्थानों पर स्थित होती है जैसे हिमालय पर्वत।
कायांतरित चट्टान के बारे में विस्तार से जानिए
कायांतरित या रूपांतरित चट्टान यह ग्रीक शब्द मेटामार्फिस से बना है जिसका अर्थ परिवर्तन करना होता है। उपयुक्त दबाव व ताप एवं रासायनिक क्रियाकलापों के परिणामस्वरूप एक ही स्थान पर उपस्थित चट्टानों के मूल लक्षणों जैसे रंग, कठोरता , संगठन आदि ने आंशिक या पूर्ण परिवर्तन होता है तो उन चट्टानों को रूपांतरित या कायांतरित चट्टानें कहा जाता है । अत्यधिक दाब के कारण होने वाले रूपांतरण को मासिक रूपांतरण कहते हैं।
इससे ग्रेनाइट नाइस तथा मिट्टी एवं शैल शिष्ट में रूपांतरित हो जाते हैं । भूपर्पटी में मौजूद अत्यधिक ऊष्मा (गर्मी) के कारण होने वाले परिवर्तनों को तापीय रूपांतरण कहते हैं।इसमें बलुआ पत्थर क्वार्ट्जाइड में , कोयला एन्थासाइड तथा ग्रेफाइट में, चूने का पत्थर संगमरमर में बदल जाता है।
रूपांतरित चट्टानों की विशेषताएं
- ताप एवं दाब के संयुक्त प्रभाव से जब किसी दूसरे क्षेत्र की चट्टानों का रूप परिवर्तित होता है तो इसे क्षेत्रीय रूपांतरण कहा जाता है।
- रूपांतरित चट्टानों में बहुमूल्य रत्नों उत्पन्न होते हैं।
- इन चट्टानों में रवे जाते हैं जो आकार में बड़े तथा व्यवस्थित होते हैं।
- मैग्मा द्वारा जोड़े गए तत्व चट्टान के संगठन को बदल देते हैं ।
- रूपांतरण से बनने वाले क्वार्ट्जाइड का प्रयोग कांच बनाने में, संगमरमर का उपयोग इमारती पत्थर के रूप में तथा ग्रेफाइट का उपयोग पेंसिल बनाने आदि में किया जाता है।
सबसे पुरानी चट्टान कौन सी है?
पृथ्वी की परत चट्टान से बनी है और चट्टान प्राकृतिक पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसे खनिज कहा जाता है। रॉक-तलछट, अग्निमय और रूपांतर चट्टान के तीन मुख्य प्रकार हैं। प्रत्येक प्रकार विभिन्न तरीकों से उत्पादित होता है। पृथ्वी पर सबसे पुराने चट्टानों का गठन 3.8 अरब साल पहले हुआ था। जब पृथ्वी की सतह में टुट पुट होना शुरू हुआ तब चट्टान का निर्माण होना प्रारंभ हुआ। इसी में इसी के साथ आज के हमारे इस ब्लॉग चट्टान के प्रकार (Type of Rocks in Hindi) में हम जानेंगे कि सबसे पहले किस चट्टान का निर्माण हुआ और सबसे पुरानी चट्टान कौन सी है।
आग्नेय चट्टानें –
- पृथ्वी की उत्पत्ति के बाद सबसे पहले इन्हीं चट्टानों का निर्माण हुआ है इसलिए इन्हें प्राथमिक चट्टान भी कहा जाता है ।
- आग्नेय चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी से निकलने वाले मेग्मा या लावा के ठंडे होकर जमा होने से होता है।
- आग्नेय चट्टानों मे परत (Layers) नही पाई जाती है। चूंकि इन चट्टानों का निर्माण ज्वालामुखी से निकलने वाले मेघमा से होता है इसलिए ये चट्टानें ज्वालामुखी क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है।
- आग्नेय चट्टानों में धात्विक खनिज (Metallic Minerals) अधिक मात्रा मे पाए जाते है ।
- आग्नेय चट्टानों में जीवाष्म (Fossils) नही पाए जाते है।
उदाहरण- Granite, Basalt, Grabo, Diorite, Pegmatites, Syenite
FAQs
मुख्य रूप से चट्टाने तीन प्रकार की होती है-
(1) आग्नेय (Igneous)
(2) अवसादी (Sedimentary)
(3) कायान्तरित (Metamorphic)
आग्नेय
1. प्लूटोनिक चट्टान
2. ह्यूपैबिसल चट्टान
3. वाल्कैनिक चट्टान
(i) आर्कियन क्रम की चट्टानें
(ii)दक्कन ट्रैप
(iii) कुडप्पा क्रम की चट्टानें
(iv) विंध्यन क्रम की चट्टानें
(v) धारवाड़ क्रम की चट्टानें
(vi) गोंडवाना क्रम की चट्टानें
सेडिमेंटरी रॉक्स
आग्नेय चट्टानें
भारत की नवीनतम चट्टान गोंडवाना है।
कोयला, बाक्साइट, लैटेराइट, नमक, जिप्सम, फास्फेट, मैगनेसाइट, सीमेंट का अयस्क, चूने का पत्थर आदि ।
कायांतरित शैल
महानदी, दामोदर, और गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
उम्मीद है कि आपको इस ब्लॉग में चट्टान के प्रकार (Chattan ke Prakar) , के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल गयी होगी। इसी तरह के अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए बने रहिये हमारी वेबसाइट Leverage Edu के साथ।
-
This topic gives me a lot of usefull information…
-
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी https://leverageedu.com/ पर बने रहिये।
-
2 comments
This topic gives me a lot of usefull information…
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी https://leverageedu.com/ पर बने रहिये।