कौन जानता था कि एक सेब का गिरना और एक शीशे से छन कर आती सफेद रोशनी विज्ञान के मूल सिद्धांतों को फिर से नई परिभाषा देंगें।विज्ञान किसी रहस्य से कम नहीं है। आप जितना इसको जानने की कोशिश करेंगे उतना ही आपको नए सवालों के जवाब मिलते जाएंगे। इतिहास में किए गए विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग ही थे जिनके चलते साइंस एक डिसिप्लिन के तौर पर विकसित हुआ। बल्कि इनमें से कुछ प्रयोग तो समय से बहुत पहले कर लिए गए थे। जैसे इलेक्ट्रिक कार का निर्माण 1891 में कर लिया गया था। क्या आप ऐसे और भी प्रयोगों के बारे में जानना चाहते हैं? सबकुछ जानिए इस ब्लॉग में-
Table of contents
- वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ
- वैज्ञानिक पद्धति क्या है
- पृथ्वी की सर्कम्फ्रन्स को नापना (Measuring the Circumference of the Earth )
- ब्लड सर्कुलेशन की खोज (Discovery of Blood Circulation)
- कांटेक्ट लेंस (Contact Lenses)
- इलेक्ट्रिक कार (Electric Cars )
- लाइट बल्ब (Light Bulbs )
- ट्रांसफर ऑफ जीन(Transfer of Genes)
- इलेक्ट्रोन के चार्ज का निर्धारण (Determining the Charge of an Electron)
- छाते (Umbrellas )
- रेडिओएक्टिविटी की खोज (Discovery of Radioactivity )
- जानवरों और मनुष्यों में सलाइवा का इक्स्ट्रैक्शन (Extraction of Saliva in Animals and Human Beings)
वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ
विज्ञान घटनाओं का अध्ययन है, विज्ञान का सम्बन्ध पद्धति से होता है न कि अध्ययन विषय से। वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण करके ही यथार्थ ज्ञान प्राप्त हो सकता है। एक विद्वान के अनुसार ‘सत्य तक पहुँचाने के लिए कोई संक्षिप्त मार्ग नही हैं इसके लिए हमें वैज्ञानिक पद्धति के महाद्धार से ही गुजरना पड़ेगा। साधारण बोलचाल की भाषा मे कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक पद्धति किसी विषय वस्तु के अध्ययन मे प्रयुक्त होने वाली वह पद्धति है जिसे एक वैज्ञानिक (शोधकर्ता) प्रयुक्त करता है। दूसरे शब्दों मे यह वह अध्ययन पद्धति है जिसके द्वारा किसी विषय अथवा वस्तु का निष्पक्ष और व्यवस्थित ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
वैज्ञानिक पद्धति क्या है
वि + ज्ञान = विज्ञान। जिसकी हमेशा जांच हो सके इस प्रकार विज्ञान का तात्पर्य उस ज्ञान से है जो व्यवस्थित विधियों द्वारा प्राप्त किया गया हो जिसकी सत्यता की जांच हो सके और जिसमें भविष्यवाणी करने की क्षमता हो, वैज्ञानिक पद्धति कहलाता है।
पृथ्वी की सर्कम्फ्रन्स को नापना (Measuring the Circumference of the Earth )
जाने-माने ग्रीक स्कॉलर एरेटोस्थेनेज ने पहली बार 276BC में पृथ्वी की सरकम्फ्रेंस को माप लिया था। ये एक बड़ा वैज्ञानिक प्रयोग था। एरेटोस्थेनेज को भूगोल का पितामह या फादर ऑफ जियोग्राफी भी कहा जाता है। उस दौर में उन्होंने कुछ अलग सोचा और विश्वास किया कि पृथ्वी गोलाकार है। जिसकी वजह से वो पृथ्वी को नाप पाए। उन्होंने दो शहरों की दूरी नापी थी और फिर उसे 50 से गुणा कर दिया था। इस तरह उन्हें पृथ्वी की वक्रता पता चली। आख़िरकार उन्होंने पाया कि पृथ्वी की सर्कम्फ्रेन्स 250000 स्टेट्स हैं।
ब्लड सर्कुलेशन की खोज (Discovery of Blood Circulation)
वैज्ञानिक प्रयोग की बात करें तो एक बड़ी खोज थी ब्लड सर्कुलेशन की। 1628 में हुई ये खोज विलियम हार्वे ने की थी। ये वैज्ञानिक खोज कई प्रयोगों का नतीजा थी जो दर्शाते थे कि लीवर, हम जो खाना खाते हैं उससे नया खून लगातार बनाता रहता है। फिर खून शरीर में दो अलग-अलग धाराओं में बहता है। एक ऑक्सीजन वाले फेफड़ों से और दूसरा उन टिशू से जो इन्हें सोख लेते हैं, ये वापस नहीं आता है। इस सिद्धांत को कई जानवरों पर प्रयोग के बाद बनाया गया।
कांटेक्ट लेंस (Contact Lenses)
अपने वक्त से बहुत एडवांस रहे वैज्ञानिक प्रयोग की लिस्ट अधूरी रह जाएगी अगर हम इसमें रेने डेसकार्टेस के योगदान को ना जोड़ें तो। भारी चश्मों को हटाने में मदद करने वाले कांटेक्ट लेंस का अविष्कार उन्होंने ही 1632 में किया गया था। उन्होंने इसको अलग नाम दिया था, जो था ग्लास ट्यूब्स विद लिक्विड (glass tubes filled with liquid) जिन्हें सीधे कोर्निया पर रखा जा सकता है।
इलेक्ट्रिक कार (Electric Cars )
हमें विश्वास है कि आप जरूर लक्जरी कारों को देखकर रोमांचित हो जाते होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी खोज एक वैज्ञानिक प्रयोग के तहत 1891 में हुई थी। कॉटन कैंडी की खोज करने के लिए पहचाने जाने वाले डेंटिस्ट डॉ विलियम मोरीसन ने इस कार की खोज की थी। उनको केमेस्ट्री की अच्छी जानकारी थी और वो इसके लिए अक्सर ही प्रयोग किया करते थे। एक समय में स्टोरेज बैटरी (storage battery) उनकी रिसर्च का केंद्र थी। उन्होंने इस बात पर दिया कि एक इंडिविजुअल सेल की एफिशिएंसी को कैसे बढ़ाया जाए कि एक सिंगल यूनिट ज्यादा से ज्यादा एनर्जी बना पाए। ये ही आगे चलकर इलेक्ट्रिल सेल की खोज की वजह बना। उन्होंने एक ऐसी कार बनाई थी जिसमें एक समय पर 6 यात्री बैठ सकते थे और वो 14 मील प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ भी सकती थी।
लाइट बल्ब (Light Bulbs )
चमकते हुए जिन बल्ब का इस्तेमाल हम अक्सर अपना घर रोशन करने के लिए करते हैं, उसे वैज्ञानिक प्रयोग के इतिहास में सबसे अहम माना जाता है। साल 1878- 1880 के बीच 3000 से भी ज्यादा बल्ब बने और प्रयोग भी किए गए। इनको बनाया थॉमस अल्वा एडिसन और उनके साथी खोजकर्ताओं ने। आज तक बल्ब के उसी आधारभूत मॉडल में बदलाव किए जाते रहे हैं।
ट्रांसफर ऑफ जीन(Transfer of Genes)
परिवार में जींस का ट्रांसफर कैसे होता है? इसी सवाल का जवाब साल 1855- 1863 के बीच ग्रेगर मेंडल ने ढूंढा था और वैज्ञानिक प्रयोग में एक नया नाम शामिल कर दिया था। इस प्रयोग को करने के लिए ग्रेगर मेंडेल ने अलग-अलग रंग और कलर के फलों और सब्जियों की क्रॉस ब्रीडिंग की थी। इस तरह से उन्होंने ये समझा कि कैसे जींस पीढ़ियों के बीच ट्रांसफर होते रहते हैं।
इलेक्ट्रोन के चार्ज का निर्धारण (Determining the Charge of an Electron)
इलेक्ट्रॉन से आईं नेगेटिवली चार्जड एनर्जी की वजह से कई सारी खोजें और वैज्ञानिक प्रयोग संभव हो पाए। रॉबर्ट मिलिकेन ने 1908 में इलेक्ट्रॉन का चार्ज खोजा था। इसके लिए उन्होंने प्रयोग किया था, जिसमें पानी का वाष्प से भरा जार इस्तेमाल हुआ था। इसके साथ तेल की बूंदों के प्रयोग ने निष्कर्ष पर आने में उनकी मदद की। इसमें पता चला कि इलेक्ट्रॉन के पास अपना खुद का चार्ज होता है।
छाते (Umbrellas )
18 शताब्दी के पहले छाते के बारे में कोई नहीं जानता था, ऐसी कोई चीज होती ही नहीं थी। फिर 1750 के आसपास जॉन हानवे ने पहली बार छाते का इस्तेमाल किया। ये भी माना जाता रहा है कि उस वक्त छाते को महिलाओं से जोड़ कर देखा जाता था। इसलिए हानवे का मजाक भी बनाया गया। लेकिन 17 वीं शताब्दी के अंत में इस तकनीक को बारिश रोकने के वैज्ञानिक प्रयोग से लिया गया।
रेडिओएक्टिविटी की खोज (Discovery of Radioactivity )
1903 में नोबेल पुरस्कार पाने वाली पहली महिला बनीं मैरी क्यूरी। मैरी ने विज्ञान के क्षेत्र में तब अपना परचम लहराया जब उन्होंने रेडियोएक्टिविटी की खोज की। अपने वैज्ञानिक प्रयोग में उन्होंने मरियम और यूरेनियम के रहस्यमय तरीकों को मापने के लिए इलेक्ट्रोमीटर का इस्तेमाल किया था। प्रयोग को समझाते हुए उन्होंने कहा था कि किसी भी रेडिएशन के प्रवेश का सब्सटेंस के मॉलिक्युलर अरेंजमेंट से कोई लेना- देना नहीं होता है। उन्होंने ये भी बताया था कि किसी भी एटम की खासियत रेडियोएक्टिविटी होती है।
जानवरों और मनुष्यों में सलाइवा का इक्स्ट्रैक्शन (Extraction of Saliva in Animals and Human Beings)
पाचन और खाने के अब्सॉर्प्शन को समझते समय जरूर आपका ध्यान एक तथ्य पर गया होगा। वो ये है कि सलाइवा और लार के दूसरे रस पाचन में मदद करते हैं। पावलोव का काम उस वक्त के एक मिथ को तोड़ता है जिसमें कहा जाता है कि सलाइवा एक प्रतिबिंब है जो तब ही बनता है जब शरीर खाने के संपर्क में आता है। अपने वैज्ञानिक प्रयोग में वो पावलोवियन थ्योरी लाए। जिसमें कहा गया कि ये स्थिति हमारे साथ हमेशा रहती है।
क्या आपको ये वैज्ञानिक प्रयोग अच्छे लगे जो समय से बहुत आगे थे? हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। साइंस और टेक्नोलोजी आपको नई खोज की ओर प्रोत्साहित करती है जिसके साथ दुनिया की असल परेशानियां हल की जा सकें। अगर आपको भी इसमें रूचि है तो आपके लिए ग्लोबल यूनिवर्सिटी का कोर्स आपके लिए सही रहेगा। Leverage Edu के एक्सपर्ट से जुड़िए और अपने लिए सही रास्ते का चुनाव कीजिए।
-
Very useful for me
-
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
-
2 comments
Very useful for me
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।