राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से ना होकर अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति द्वारा होता है, जिसमे निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत व गुप्त मतदान द्वारा उसका निर्वाचन द्वारा किया जाता है। जिसमें निम्न लोग शामिल होते है-संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य, राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य,केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली व पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य ।राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का समान प्रतिनिधित्व हो इसके लिए राज्य विधानसभाओं और संसद के मतों की संख्या निम्न प्रकार से निर्धारित होती है। चलिए जानते हैं राष्ट्रपति का निर्वाचन के बारे में।
The Blog Includes:
- राष्ट्रपति पद की जानकारी
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति का निर्वाचन
- राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रक्रिया
- भारत के राष्ट्रपति की योग्यताएं
- अनुच्छेद 58- राष्ट्रपति चुने जाने की योग्यता
- महाभियोग प्रक्रिया
- राष्ट्रपति की शक्तियां
- भारत के राष्ट्रपति का त्यागपत्र
- राष्ट्रपति का वेतन
- भारत के राष्ट्रपतियों की सूची
- Rashtrapati ki Niyukti Kaun Karta Hai
- FAQs
राष्ट्रपति पद की जानकारी
हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से आज़ाद हुआ था और 26 जनवरी, 1950 को भारत को संविधान प्राप्त हुआ था। 26 जनवरी, 1950 को भारत में औपचारिक रूप से संविधान लागु कर दिया गया था। भारत गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद बने थे। भारत के राष्ट्रपति गणराज्य देश के कार्यपालक होते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति पद में निहित होती हैं।
हमारे देश के राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती हैं। जिससे वह देश में विपरीत परिस्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं और आपातकाल को हटा सकते हैं । भारत के राष्ट्रपति देश में युध्द की परिस्थिति की भी घोषणा कर सकते हैं। राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता हैं। इसके लिए भारत का नागरिक होना अनिवार्य हैं।
भारत का राष्ट्रपति
भारत के राष्ट्रपति के बारे में सम्पूर्ण जानकारी निम्नलिखित है-
- राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक कहा जाता है एवं उसकी पत्नी को देश की प्रथम महिला कहते हैं।
- अनुच्छेद 52 – भारत का एक राष्ट्रपति होता है।
- अनुच्छेद 53 राष्ट्रपति संघीय कार्यपालिका के शीर्ष पर होता है।
- अनुच्छेद 54 इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की गई है जो निम्न प्रकार की है निर्वाचक मंडल = निर्वाचित संसद सदस्य + निर्वाचित विधानसभा सदस्य।
- यहां उल्लेखनीय है कि निर्वाचित सदस्यों को ही निर्वाचक मंडल में शामिल किया जाता है मनोनीत सदस्य इसमें शामिल नहीं हो सकते हैं।
- 17 वें संशोधन के बाद से दिल्ली एवं पांडिचेरी की विधानसभाओं के सदस्यों को भी राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया।
- अनुच्छेद 55 अनुच्छेद में राष्ट्रपति के निर्वाचन पद्धति से संबंधित प्रावधान दिए गए हैं।
- अनुच्छेद 55(1) राष्ट्रपति के चुनाव में मतों की गणना के लिए प्रत्येक MLA (विधानसभा सदस्य) एवं MP (संसद सदस्य) के मत के मूल्य निर्धारित करने का प्रावधान करता है जिससे राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधित्व में एकरूपता बनी रहे।
भारत के प्रथम राष्ट्रपति का निर्वाचन
भारत के प्रथम राष्ट्रपिता के निर्वाचन की जानकारी निम्नलिखित है-
- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को निर्विरोध रूप से देश का प्रथम राष्ट्रपति चुन लिया।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणतंत्र के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला।
- राष्ट्रपति पद के लिए विधिवत चुनाव मई 1952 में हुए जिसमें डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद विजयी हुए।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति के लिए मई 1957 में हुआ द्वितीय चुनाव भी जीता।
- उपरोक्त चुनावों में के.टी. शाह (1952) एवं एन. एन. दास (1957) डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के निकटतम प्रतिद्वंदी थे। भारत के राष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :-
- 11वें राष्ट्रपति के निर्वाचन से पहले एक अध्यादेश सिर्फ गंभीर व्यक्तियों को इस चुनाव में खड़े होने के उद्देश्य से जारी किया गया इसके तहत राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी करने वाले व्यक्ति को 50 प्रस्तावक एवं 50 समर्थकों द्वारा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य कर दिया गया एवं जमानत की राशि ₹15000 निर्धारित की गई।
- अनुच्छेद 56 – राष्ट्रपति 5 वर्ष के कार्यकाल के लिए चुना जाता है 5 वर्ष राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण की तिथि से गिने जाते हैं।
- अनुच्छेद 57 एक बार निर्वाचित राष्ट्रपति द्वारा इस पद की दावेदारी कर सकता है।
राष्ट्रपति का निर्वाचन प्रक्रिया
राष्ट्रपति का चयन अनुच्छेद 55 के तहत आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पध्दति से होता हैं। राष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचन मंडल भाग लेता हैं। निर्वाचन मंडल में राज्य और लोक संभा के निर्वाचित सदस्य और राज्य के विधानसभा के सदस्य भाग लेते हैं। वोट आवंटित करने के लिए एक फार्मूला बनाया जाता हैं जिसमे प्रत्येक राज्य की जनसँख्या के अनुसार विधायको की संख्या का अनुपात निकाला जाता हैं और विधायको की संख्या के समानुपात राष्ट्रिय सांसदों को वोट देने का अधिकार प्राप्त होता हैं।
भारत के राष्ट्रपति की योग्यताएं
भारत के राष्ट्रपति की योग्यताएं नीचे दी गई हैं-
- अनुच्छेद 58 इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति के पद पर बैठने वाले व्यक्ति के लिए निम्न योग्यताएं निर्धारित हैं।
- वह भारत का नागरिक हो तथा 35 वर्ष पूरे कर चुका हो।
- वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो तथा दिवालिया ना हो।
- किसी न्यायालय द्वारा सज़ा प्राप्त ना हो तथा किसी लाभ के पद पर आसीन न हो।
- अनुच्छेद 60 राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पद एवं गोपनीयता की शपथ लेता है।
- राष्ट्रपति उम्मीवार की न्यूनतम उम्र 35 साल होना अनिवार्य हैं।
- राष्ट्रपति पद उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना अनिवार्य हैं।
- इस पद के उम्मीदवार के पास लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता होना अनिवार्य हैं।
- राष्ट्रपति पद उम्मीदवार किसी लाभप्रद सरकारी पद पर नहीं होना चाहिए। परन्तु निम्न पदों के लिए राष्ट्रपति पद में खड़ा होने की छूट दी गई हैं।
- वर्तमान राष्ट्रपति
- वर्तमान उपराष्ट्रपति
- किसी भी राज्य के राज्यपाल
- संघ या किसी राज्य के मंत्री.
अनुच्छेद 58- राष्ट्रपति चुने जाने की योग्यता
अनुच्छेद 58- राष्ट्रपति चुने जाने की योग्यताएं निम्नलिखित है-
- कोई व्यक्ति राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह
(क) भारत का नागरिक है,
(ख) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है, और
(ग) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है। - कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।
स्पष्टीकरण–इस अनुच्छेद के प्रयोजनों के लिए, कोई व्यक्ति केवल इस कारण कोई लाभ का पद धारण करने वाला नहीं समझा जाएगा कि वह संघ का राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य का राज्यपाल* है अथवा संघ का या किसी राज्य का मंत्री है।
महाभियोग प्रक्रिया
महाभियोग प्रक्रिया के कुछ बिंदु नीचे समझाए गए हैं-
- अनुच्छेद 61 इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति द्वारा संविधान का उल्लंघन किए जाने की स्थिति में उसे हटाने हेतु महाभियोग प्रक्रिया से संबंधित उपबंध दिए गए हैं इस स्थिति में संसद के दोनों सदनों में से किसी में प्रस्ताव लाया जा सकता है।
- प्रथम सदन के 1/4 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित व लिखित प्रस्ताव पीठासीन अधिकारी को दिया जाता है।
- पीठासीन पदाधिकारी 14 दिन पूर्व इसकी सूचना राष्ट्रपति को देता है।
- इसके बाद राष्ट्रपति सदन में उपस्थित होकर अथवा अपने द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि को भेजकर अपना पक्ष रखता है।
- इसके बावजूद यदि सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों को सही समझता है तो उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से राष्ट्रपति को हटाने से संबंधित प्रस्ताव पारित कर देता है और प्रस्ताव को दूसरे सदन में भेज देता है।
- दूसरे सदन द्वारा राष्ट्रपति पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाता है यदि समिति राष्ट्रपति पर लगे आरोपों को सही पाती है तो दूसरा सदन भी अपनी उपस्थिति तथा मतदान करने वाले सदस्यों के 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देता है।
- दोनों सदनों में प्रस्ताव पारित होने के पश्चात राष्ट्रपति को पद त्याग करना होता है।
राष्ट्रपति की शक्तियां
राष्टपति की शक्तियों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा गया है-
A. सामान्य कालीन शक्तियां
B. आपातकालीन शक्तियां
सामान्य कालीन शक्तियां
कार्यपालिका शक्तियां
- अनुच्छेद 53 संघ की कार्यपालिका शक्तियां राष्ट्रपति में निहित होगी।
- अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सहायता व सलाह प्रदान करने हेतु एक मंत्री परिषद होगी जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा।
- अनुच्छेद 75 राष्ट्रपति बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा तथा प्रधानमंत्री की सलाह से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करेगा।
- अनुच्छेद 76 राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश बनने के योग्य व्यक्ति को महान्यायवादी नियुक्त करेगा।
- अनुच्छेद 77 समस्त कार्यवाही राष्ट्रपति के नाम से हुई कही जाएगी।
- अनुच्छेद 78 ख राष्ट्रपति प्रधानमंत्री से संघ से संबंधित किसी सूचना को प्राप्त करने का अधिकार।
- अनुच्छेद 80 (1) क राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों का मनोनयन कर सकेगा।
- अनुच्छेद 124 (2) सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति कर सकेगा।
- अनुच्छेद 148 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति करेगा।
- अनुच्छेद 155 राष्ट्रपति राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति करेगा।
- अनुच्छेद 217 राष्ट्रपति उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति करेगा।
- अनुच्छेद 239 संघ राज्य क्षेत्रों में राष्ट्रपति प्रशासकों की नियुक्ति करेगा।
- अनुच्छेद 263 केंद्र व राज्यों तथा विभिन्न राज्यों के आपसी संबंधों को सुदृढ़ बनाने हेतु राष्ट्रपति अंतर राज्य परिषद का गठन करेगा।
- अनुच्छेद 280 राष्ट्रपति प्रत्येक 5 वर्ष के लिए राष्ट्रीय वित्त आयोग का गठन करेगा।
- अनुच्छेद 316 संघ लोक सेवा आयोग य दो या दो से अधिक राज्यों के लिए गठित संयुक्त लोक सेवा आयोग में सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।
- अनुच्छेद 338 राष्ट्रपति अनुसूचित जाति आयोग का गठन करेगा।
- अनुच्छेद 338 ए राष्ट्रपति अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन करेगा (SC ST)।
- 89 वां संविधान संशोधन 2003 के द्वारा अनुसूचित जनजाति आयोग को अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग (338) से पृथक कर दिया गया।
- अनुच्छेद 340 राष्ट्रपति राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग का गठन करेगा।
- राष्ट्रपति संविधानेत्तर निकायों का गठन भी करता है।
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग।
- राष्ट्रीय महिला आयोग।
- राष्ट्रीय सूचना आयोग।
- नीति आयोग।
विधायी शक्तियां
- अनुच्छेद 85 राष्ट्रपति संसद का सत्र आहूत बुलाता है तथा संसद का सत्रावसान करता है एवं लोकसभा को भंग करता है।
- नोट- संसद के किसी सदन के सत्र को स्थगित करने का कार्य संबंधित सदन के अध्यक्ष द्वारा किया जाता है।
- अनुच्छेद 86 राष्ट्रपति संसद के किसी एक या एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण कर सकेगा तथा संदेश भेज सकेगा (राष्ट्रपति का अधिकार है) ।
- नोट- राष्ट्रपति का अभिभाषण मंत्री परिषद द्वारा तैयार किया जाता है।
- अनुच्छेद 87 राष्ट्रपति प्रत्येक आम चुनाव के बाद संसद के सत्र को संबोधित कर सकेगा।
- अनुच्छेद 108 राष्ट्रपति संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जा सकेगा।
- अनुच्छेद 111 संसद द्वारा पारित विधायकों को राष्ट्रपति अनुमति प्रदान करेगा।
- अनुच्छेद 123 संसद के सत्रावसान काल में राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकेगा।
- अनुच्छेद 103 संसद के किसी सदस्य की अयोग्यता विवादों का निर्धारण या समाधान राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की राय से करेगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा।
- अनुच्छेद 3 किसी राज्य का निर्माण नाम परिवर्तन या सीमा में परिवर्तन संबंधी कोई भी विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से संसद में प्रस्तुत किया जा सकेगा।
- विभिन्न आयोगों के प्रतिवेदन सदन में रखना।
- अनुच्छेद 151 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगा जिसे वह है सदन में प्रस्तुत करवाएगा।
- अनुच्छेद 281 राष्ट्रीय वित्त आयोग अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत करेगा जीसे व सदन के समक्ष प्रस्तुत करवाएगा।
- अनुच्छेद 323 संयुक्त लोक सेवा आयोग।
- अनुच्छेद 338 अनुसूचित जाति आयोग।
- अनुच्छेद 338 अनुसूचित जनजाति आयोग।
- अनुच्छेद 340 राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अपना प्रतिवेदन।
- अनुच्छेद 394 राष्ट्रपति संविधान के अंग्रेजी भाषा में किए गए प्रत्येक संशोधन का हिंदी भाषा में अनुवाद अपने प्रकार से प्रस्तुत करवाएगा।
वित्तीय शक्तियां
- अनुच्छेद 112 राष्ट्रपति वार्षिक वित्तीय विवरण सदन में प्रस्तुत करवाएगा
- अनुच्छेद 113 किसी भी प्रकार के अनुदान सब्सिडी की मांग राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही की जा सकेगी
- अनुच्छेद 117 (1) राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से लोकसभा में प्रस्तुत किया जा सकेगा
- अनुच्छेद 117 (3) ऐसे विधेयक जिसके अधिनियमित किए जाने पर भारत की संचित निधि में से खर्च करना पड़े राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से संसद में रखा जा सकेगा
- अनुच्छेद 267 राष्ट्रपति भारत की आकस्मिक निधि से किसी अदृश्य या आकस्मिक व्यय हेतु अग्रिम भुगतान की व्यवस्था करेगा
- अनुच्छेद 304 किसी राज्य के ऐसे vishy जो व्यापार व वाणिज्य की स्वतंत्रता को प्रभावित करते हैं राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही विधानमंडल में प्रस्तुत किए जा सकेंगे
न्यायिक शक्तियां
- अनुच्छेद 72 समाधान आदि की तथा कुछ दशाओं में दंडादेश के निलंबन परिहार और लघुकरण की शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी
- अनुच्छेद 124 (2), 217 क्रमशः उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा
- अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति की संवैधानिक या सार्वजनिक मामले पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकेगा लेकिन ऐसा परामर्श देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय बाध्य नहीं होगा
नोट – किसी देश के साथ संधि या समझौते के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय से मांगी गई राय देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय बाध्य होगा सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा अनुच्छेद 143 के तहत दी गई ऐसी सिफारिशों को मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य नहीं होगा
कुटनीतिक शक्तियां
अंतर्राष्ट्रीय संधि व समझौते राष्ट्रपति के नाम से किए जाएंगे अनुच्छेद 77 अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वह मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति करता है तथा उच्चायुक्त और राजदूत की नियुक्ति करता है
सैन्य शक्तियां
अनुच्छेद 53(2) राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होगा युद्ध की घोषणा व समाप्ति की घोषणा राष्ट्रपति करेगा सैन्य प्रमुखों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा
अन्य शक्तियां
1. वीटो शक्ति
- जब राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अनुमति देने से मना कर दे तो उसे उपर्युक्त नाम दिया जाता है अब तक के राष्ट्रपति ने दो विधेयकों पर इस वीटो का प्रयोग किया है
- 1954 पेप्सू विनियोग विधेयक (डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद)
- 1991 सांसदों के वेतन भत्ते और पेंशन संशोधन विधेयक (आर वेंकटरमन)
2. जेबी वीटो /पॉकेट वीटो
जब राष्ट्रपति किसी विधेयक को ना तो अनुमति प्रदान करें और ना वापस लौटाए और ना ही मना करें तो ऐसी शक्ति को पॉकेट जेबी वीटो कहा जाता है इस वीटो का उपयोग राष्ट्रपति ने एक बार डाकघर संशोधन विधेयक 1986 के संदर्भ में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने किया था
3. निलंबन कारी वीटो
जब राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित विधेयक को एक बार पुनर्विचार के लिए लौटा दे तो ऐसे वीटो को उपर्युक्त नाम से जाना जाता है
भारत के राष्ट्रपति का त्यागपत्र
भारत के राष्ट्रपति के त्यागपत्र के बारे में जानकारी नीचे दी गयी है :-
- राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देता है |
- उप राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना दी जाती है |
- अनुच्छेद 62 राष्ट्रपति का पद खाली रहने पर उपराष्ट्रपति 6 महीने के लिए देश के राष्ट्रपति का दायित्व संभाल सकता है परंतु यदि वह ऐसा करने में किसी कारणवश असमर्थ है सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के पद पर आसीन होगा |
- यदि सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश भी किसी कारणवश उपलब्ध नहीं है तो सुप्रीम कोर्ट का कोई अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश राष्ट्रपति पद का दायित्व संभालता है |
- अभी तक सर्वोच्च न्यायालय की एकमात्र मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्ला खां राष्ट्रपति का दायित्व संभाला है |
- यदि राष्ट्रपति पद की रिक्ति राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के साथ होती है तो नए राष्ट्रपति का चुनाव कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व कर लिया जाता है |
- यदि नए राष्ट्रपति के चुनाव में किसी प्रकार की देरी होती है तो नए राष्ट्रपति का चुनाव होने पर पुराना राष्ट्रपति ही कार्यभार संभाल सकता है |
राष्ट्रपति का वेतन
राष्ट्रपति के वेतन से जुड़ी जानकारी नीचे दी गयी है :-
- अनुच्छेद 59 इस बात को उपबंधित करता है कि कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति के वेतन भत्ते आदि में कोई कटौती नहीं हो सकती |
- राष्ट्रपति के वेतन एवं भत्तों का भार भारत की संचित निधि पर है |
भारत के राष्ट्रपतियों की सूची
डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे जबकि श्री राम नाथ कोविंद भारत के वर्तमान राष्ट्रपति हैं । भारत के राष्ट्रपतियों का कालानुक्रमिक क्रम नीचे तालिका में दिया गया है। भारत के सभी राष्ट्रपतियों की जाँच करें।
नाम | कार्यकाल शुरू करने की तिथि | अंतिम तिथि | प्रोफाइल |
1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद | 26 जनवरी 1950 | 13 मई, 1962 | वे गणतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति थे। |
2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 13 मई, 1962 | 13 मई, 1967 | वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे। |
3. डॉ जाकिर हुसैन | 13 मई, 1967 | 3 मई 1969 | वे भारत के तीसरे राष्ट्रपति थे। |
4. वराहगिरी वेंकटा गिरी | 3 मई 1969 | 20 जुलाई 1969 | हुसैन की मृत्यु के कारण वे कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। |
5. मोहम्मद हिदायतुल्लाह | 20 जुलाई 1969 | 24 अगस्त 1969 | वह गिरि के राष्ट्रपति पद तक कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। |
6. वराहगिरी वेंकटा गिरी | 24 अगस्त 1969 | 24 अगस्त, 1974 | वे भारत के चौथे राष्ट्रपति थे। |
7. फखरुद्दीन अली अहमद | 24 अगस्त, 1974 | 11 फरवरी, 1977 | वे भारत के 5वें राष्ट्रपति थे। |
8. बासप्पा दनप्पा जट्टी | 11 फरवरी, 1977 | 25 जुलाई, 1977 | वह मैसूर के मुख्यमंत्री थे लेकिन अहमद की मृत्यु के बाद राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। |
9. नीलम संजीव रेड्डी | 25 जुलाई, 1977 | 25 जुलाई, 1982 | रेड्डी निर्विरोध भारत के छठे राष्ट्रपति थे। |
10. ज्ञानी जैल सिंह | 25 जुलाई, 1982 | 25 जुलाई 1987 | वे भारत के 7वें राष्ट्रपति थे और कांग्रेस पार्टी के सदस्य भी थे। |
11. रामास्वामी वेंकटरमण | 25 जुलाई 1987 | 25 जुलाई 1992 | वे भारत के 8वें राष्ट्रपति थे। वह एक वकील और एक पेशेवर राजनीतिज्ञ भी थे। |
12. शंकर दयाल शर्मा | 25 जुलाई 1992 | 25 जुलाई, 1997 | वह भारत के 9वें राष्ट्रपति थे, और वे भारत की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सदस्य भी थे। |
13. कोचेरिल रमन नारायणन | 25 जुलाई, 1997 | 25 जुलाई 2002 | वह भारत के 10वें राष्ट्रपति और भारत के सर्वश्रेष्ठ राजनयिक थे। |
14. डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम | 25 जुलाई 2002 | 25 जुलाई 2007 | वे भारत के 11वें राष्ट्रपति थे, और वे एक महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने इसरो और डीआरडीओ संगठनों में काम किया। |
15. प्रतिभा पाटिल | 25 जुलाई 2007 | 25 जुलाई, 2012 | वह भारत की 12वीं राष्ट्रपति थीं, और वह राष्ट्रपति बनने वाली पहली महिला थीं। |
16. प्रणब मुखर्जी | 25 जुलाई, 2012 | 25 जुलाई, 2017 | वे भारत के 13वें राष्ट्रपति थे, और वे राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भी थे। |
17. श्री राम नाथ कोविंद | 25 जुलाई, 2017 | 25 जुलाई, 2022 | वे भारत के 14वें राष्ट्रपति हैं, और वे बिहार के पूर्व राज्यपाल भी हैं। |
18. द्रौपदी मुर्मू | 25 जुलाई, 2022 | वर्तमान तक | भारत की 15वीं राष्ट्रपति, राज्यपाल बनने वाली पहली आदिवासी महिला |
Rashtrapati ki Niyukti Kaun Karta Hai
भारत में राष्ट्रपति को संसद के दोनो सदनों लोक और राज्य सभा के साथ ही विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है। वोट आवंटित करने के लिए एक फार्मूला बनाया जाता हैं जिसमे प्रत्येक राज्य की जनसँख्या के अनुसार विधायको की संख्या का अनुपात निकाला जाता हैं और विधायको की संख्या के समानुपात राष्ट्रिय सांसदों को वोट देने का अधिकार प्राप्त होता हैं। राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि पांच वर्ष होती है।
FAQs
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 55 के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है। राष्ट्रपति को भारत के संसद के दोनो सदनों (लोक सभा और राज्य सभा) तथा साथ ही राज्य विधायिकाओं (विधान सभाओं) के निर्वाचित सदस्यों द्वारा पाँच वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है।
भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए अधिकतम आयु कितनी होनी चाहिए? भारतीय संविधान के अनुच्छेइ 58 के अनुसार किसी भी व्यक्ति के राष्ट्रपति बनने की योग्यताएँहोनी चाहिए। – सबसे पहले वह व्यक्ति भारतका नागरिक होना चाहिए। – राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की उम्र 35 साल से अधिक होनी चाहिए।
वह देश के प्रथम नागरिक हैं। भारतीय राष्ट्रपति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। सिद्धान्ततः राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती है। पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद के द्वारा उपयोग किए जाते हैं।
भारत का मुख्य न्यायाधीश, भारत के राष्ट्रपति को शपथ या पुष्टि करता है। मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 60 में राष्ट्रपति द्वारा शपथ या पुष्टि की जाती है। राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
भारत के संविधान में दी गई राष्ट्रपति की शक्तियां कुछ भागों में बांटी जा सकती हैं। जैसे कि राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्ति, सैनिक शक्ति, कूटनीतिक शक्ति ,विधायिका शक्ति, न्यायिक शक्ति और आपातकालीन शक्तियां। संविधान में राष्ट्रपति को अनेकों कार्यपालिका शक्ति प्राप्त है। संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है।
राष्ट्रपति का पद ब्रिटेन से लिया गया है।
आशा करते हैं कि राष्ट्रपति का निर्वाचन का ब्लॉग अच्छा लगा होगा। ऐसे ही अन्य हिंदी ब्लॉग के लिए बने रहें हमारी वेबसाइट Leverage Edu पर।