नैतिक शिक्षा से तात्पर्य ऐसे मार्ग से पर चलकर कार्य करना जो मनुष्य को शांति और सफलता की ओर लेकर जाता हो वह नैतिक शिक्षा कहलाती है अर्थात जो हमें मनुष्यता की ओर ले जाए वही नीति है। श्री अरविंद घोष के अनुसार नैतिकता, मानव चरित्र के सर्वमान्य मानवीय गुणों को अपनाना ही नैतिकता है। संसार के अन्य प्राणियों की तरह मनुष्य रूप में जन्मे बालक का सामाजिक विकास करके उसके दृष्टिकोण को उदार बनाकर उसे उत्तम मानवीय व्यवहार का ज्ञान कराकर वास्तविक मनुष्य बनाने वाली शिक्षा ही नैतिक शिक्षा है। विभिन्न कक्षाओं और कई प्रतियोगी परीक्षाओं में नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध पूछा जाता है। आपकी सहायता के लिए इस ब्लॉग में नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध दिए गए हैं साथ इससे सम्बंधित अन्य जानकारियां भी दी गई हैं।
This Blog Includes:
नैतिक शिक्षा का महत्व क्या है?
नैतिक शिक्षा ही हमारे जीवन का आधार होता है। इसका महत्व बताते हुए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है, हमें उस शिक्षा की आवश्यकता है जिसके द्वारा चरित्र का निर्माण होता है, माइंड की शक्ति बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है। जिसके कारण मनुष्य पैरों पर खड़ा हो सकता है। आज आधुनिक शिक्षा में नैतिक शिक्षा का बहुत महत्व है जिसके कारण जब एक स्टूडेंट अपनी शिक्षा का आरंभ करता है तो उसे नैतिक शिक्षा को समझना सबसे आवश्यक होता है। स्कूल और विश्वविद्यालय की परीक्षा में भी नैतिक शिक्षा पर निबंध लिखवाया जाता है।
नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध लिखते समय किन-किन पांइट्स का ध्यान रखें?
नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध लिखते समय हमें इन निम्नलिखित बातो का ध्यान रखना चाहिए:-
- नैतिक शिक्षा पर निबंध लिखने से पहले संबंधित विषय का पर्याप्त ज्ञान प्राप्त कर लेना चाहिए।
- नैतिक शिक्षा पर अपने विचारों को क्रमबद्ध रूप से ही लिखना चाहिए।
- निबंध की भाषा सरल और रोचक होनी चाहिए जो पढ़ने से किसी भी व्यक्ति को आसानी से समझ आ जाएं।
- निबंध में वाक्य छोटे, प्रभावशाली एवं सुव्यवस्थित होने चाहिए।
- निबंध में व्याकरण के नियमों का एवं विरामचिन्हों का उचित प्रयोग किया जाना चाहिए।
- नैतिक शिक्षा की भाषा शैली उचित हो एवं विषय से न हटे।
- नैतिक शिक्षा के सभी पहलुओं पर अपने विचार प्रकट होने चाहिए।
- निबंध के जुड़ी सभी बाते एक दूसरे से जुड़ी होनी चाहिए।
नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध 100 शब्दों में
यहां नैतिक शिक्षा से संबंधित एक निबंध का उदाहरण दिया जा रहा है, जिसे ध्यान में रखकर आप नैतिक शिक्षा पर 100 शब्दों का एक निबंध लिख सकते है:
शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। शिक्षा के बिना हमारी जिंदगी पशु के समान है क्योंकि एक शिक्षित मनुष्य मानसिक और सामाजिक दोनों ही रूपों में जागरूक होता है।
नैतिक शिक्षा के माध्यम से मनुष्य समाज में होने वाली आसपास की घटनाओं से अवगत रहता है। नैतिक शिक्षा मनुष्य के समग्र विकास में मदद करती है क्योंकि हम शिक्षा के माध्यम से ज्ञान, और जीवन में काम आने वाले नैतिक मूल्य जैसे प्रेम, भाईचारा, शांति, अहिंसा और सामजिक परम्पराओं के बारे में सीखते है।
नैतिक शिक्षा किसी व्यक्ति के दृष्टिकोण और उसके व्यक्तित्व को बनाने के उपयोगी होता है इसलिए नैतिक शिक्षा का ज्ञान होना हमारे जीवन के लिए अनिवार्य होना चाहिए।
नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध 200 शब्दों में
नैतिक शिक्षा के महत्व पर 200 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है :
प्रस्तावना
वर्तमान में विश्व के सभी देशों की सामजिक एवं सांस्कृतिक उन्नति वहां की शिक्षा पद्दति पर निर्भर करती है। हमारे देश में आजादी के बाद शिक्षा क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई है। परन्तु फिर भी शिक्षा के क्षेत्र में नैतिक शिक्षा पर अभी भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। जिसके कारण भारतीय युवा पीढ़ी अपनी नैतिक शिक्षा के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं है जो हमारी देश की प्रगति के लिए बहुत बड़ी हानि साबित हो सकती है।
नैतिक शिक्षा की आवश्यकता
नैतिक शिक्षा मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसकी शुरुआत मनुष्य की प्रारंभिक शिक्षा से ही शुरू हो जाती है। सभी का आदर करना, हिंसा न करना, कभी झूठ न बोलना, सभी से प्रेम करना, लोगों की सहायता करना आदि कार्य नैतिक शिक्षा कहलाती है।
नैतिक शिक्षा के कारण ही समाज में नैतिक भावनाएं जागृत होंगे। इसलिए छात्र जीवन में शिक्षा को अपनाना चाहिए। स्कूल और यूनिवर्सिटी में भी नैतिक शिक्षा की प्रधानता देनी चाहिए। नैतिक शिक्षा से संबंधित सिलेबस सिस्टम बनाना चाहिए।
उपसंहार
नैतिक शिक्षा प्राप्त करने वाला छात्र अपना भविष्य उज्जवल बनाने के साथ साथ राष्ट्र के निर्माण में भी अपना अहम योगदान देता है। नैतिक शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास और देश की प्रगति के लिए एक प्रमुख साधन है।
नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध 300 शब्दों में
नैतिक शिक्षा के महत्व पर 300 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है :
प्रस्तावना
नैतिक शिक्षा से अभिप्राय उन मूल्यों, गुणों और परम्पराओं की शिक्षा है। जिन पर मनुष्य की व्यक्तिगत और समाज की समृद्धि निर्भर करती है। नैतिक शिक्षा मनुष्य के आंतरिक गुणों को विकसित करती है जिससे समाज भी प्रगति की राह पर चलता है।
नैतिक शिक्षा ही मनुष्य के सद्गुणों को उजागर करने में अपना अहम भूमिका अदा करती है। नैतिक शिक्षा के लिए अगर यह कहा जाये कि ये मानवता का मूल है तो असंगत न होगा। इसके आभाव में मानवता पनप नहीं सकती क्योंकि नैतिक शिक्षा के आभाव में मनुष्य जीवन की गलत राह पर चल पड़ेगा। जिसे नैतिक शिक्षा के माध्यम से ही नियंत्रित किया जा सकेगा।
नैतिक शिक्षा की आवश्यकता
नैतिक शिक्षा से मनुष्य के अंदर नव-चेतना का संचार हो सकता है। इस शिक्षा के जरिये ही मनुष्य को उसके जीवन के उच्च आदर्शों की प्रेरणा मिलती है और वह एक उत्तम नागरिक बनने के राह में अपना कदम रखता है। नैतिक शिक्षा छात्रों के चरित्र-निर्माण का एक माध्यम है क्योंकि चरित्र ही मनुष्य के जीवन का मूल आधार है।
इसलिए चरित्र की रक्षा करना नैतिक शिक्षा का मूल उद्देश्य है।
नैतिक शिक्षा को स्वीकार किए बिना मनुष्य जीवन में वास्तविक सफलता तक नहीं पहुँच सकता। विद्यार्थियों के चरित्र को विकसित करने के लिए नैतिक शिक्षा का होना अनिवार्य है। सभी विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा देने का प्रमुख उद्देश्य यह होया है कि भविष्य में आगे चलकर देश के आदर्श नागरिक बन सकें।
उपसंहार
विद्यार्थियों में धार्मिक शिक्षा का भाव विकसित करना भी नैतिक शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य होता है। जिससे विद्यार्थियों में घार्मिक शिक्षा के महत्व के साथ साथ धार्मिक सहिष्णुता विकसित होगी। नैतिक शिक्षा से ही भावी विद्यार्थियों में देश भक्ति का भाव जागृत होता है। नैतिक शिक्षा मिलने से ही हर व्यक्ति अपने आपस के मनमुटाव से ऊपर उठकर देश हित को पहली प्राथमिकता देता है। नैतिक शिक्षा व्यक्ति के भीतर जागरूकता का भाव भी पैदा करता है।
FAQs
नैतिक शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थी अपने व्यक्तित्व एवं सुंदर चरित्र का निर्माण कर सकते है। नैतिक शिक्षा से मंडित विद्यार्थी का अपना भविष्य उज्जवल एवं गरिमामय बनता है तथा देश के भावी नागरिक होने से उनसे समस्त राष्ट्र को नैतिक आचरण का लाभ मिलता है।
नैतिकता वह है जो हमें सच बोलने, अपने वादों को पूरा करने, या किसी ज़रूरतमंद की मदद करने के लिए मार्गदर्शन करती है।
नैतिक शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोग दूसरों में नैतिक मूल्यों का संचार करते हैं। यह कार्य घर, विद्यालय, मन्दिर, जेल या किसी सामाजिक स्थान में किया जा सकता है।
नैतिकता का तात्पर्य नियमों की उस व्यवस्था से है जिसके द्वारा व्यक्ति का अंतःकरण अच्छे और बुरे का बोध प्राप्त करता है। नैतिकता का संदर्भ समाज में रहने वाले किसी सामान्य व्यक्ति के आचरण, समाज की परंपराओं या किसी राष्ट्र की नीतियों के विशेष अर्थ में मूल्यांकन से है।
नैतिक मूल्य उन कर्तव्य की आंतरिक भावना है और उन आचरण के प्रतिमानों का समन्वित रूप है जिसके आधार पर सत्य असत्य, अच्छा-बुरा, उचित-अनुचित का निर्णय किया जा सकता है और यह विवेक के बल से संचालित होती है।
आशा है आपको नैतिक शिक्षा का महत्व पर निबंध का यह ब्लॉग पसंद आया होगा। यह ब्लॉग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जरूर शेयर करें। ऐसे ही अन्य रोचक, ज्ञानवर्धक और आकर्षक ब्लॉग पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
-
10Th
-
मोहित जी, ऐसे ही आप हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
-
2 comments
10Th
मोहित जी, ऐसे ही आप हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।