उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।

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उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
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उत्तर: मैंने अपने जीवन में कई अवसरों पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है। उनमें से दो घटनाएँ विशेष रूप से यादगार हैं –

  1. विद्यालय में निर्धन छात्र के साथ अन्याय का प्रतिकार
    हमारे विद्यालय में एक निर्धन छात्र पढ़ता था, जो आर्थिक कठिनाइयों के कारण विद्यालय की पूरी पोशाक सही ढंग से नहीं पहन पाता था। एक दिन शारीरिक शिक्षक ने उस छात्र को जूते की जगह चप्पल पहनने पर पचास रुपये का जुर्माना लगाया। यह सुनकर मैं और अन्य छात्र बहुत दुखी हुए, क्योंकि वह छात्र जुर्माना देने में असमर्थ था। मैंने प्रधानाचार्य के पास जाकर इस अन्याय की शिकायत की और उसे माफ करने की अपील की। परिणामस्वरूप उस छात्र का जुर्माना माफ कर दिया गया।
  2. बस यात्रा में अन्याय का सामना और प्रतिकार
    एक बार मैं बस में यात्रा कर रहा था। एक यात्री मेरे पास वाली खाली सीट पर बैठ गया। जब मैंने उससे किराया माँगा, तो उसने कंडक्टर को पैसे दे दिए, लेकिन कंडक्टर ने उसे टिकट नहीं दी। जब उसने बाद में टिकट माँगी, तो कंडक्टर ने कहा कि टिकट की कोई आवश्यकता नहीं, क्योंकि वह भी इसी बस में चल रहा है और दुबारा किराया नहीं माँगेगा। यह देख मैं उस अन्याय का विरोध करने लगा। मैंने कंडक्टर से आग्रह किया कि वह यात्री को टिकट दे। अंततः कंडक्टर को मानना पड़ा और यात्री को टिकट दी गई।

इन घटनाओं से मैंने यह सीखा कि अन्याय के सामने चुप रहना उचित नहीं है। अन्याय का प्रतिकार करना हमारा कर्तव्य है ताकि समाज में न्याय और समानता बनी रहे।

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