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(माध्य. शिक्षा बोर्ड, मॉडल पेपर, 2021-22)
उत्तर: दोहा छंद के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं—
- दोहा में कुल चार चरण होते हैं।
- पहले और तीसरे चरण में प्रत्येक में तेरह-तेरह मात्राएँ होती हैं।
- दूसरे और चौथे चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं।
- प्रत्येक चरण के अंत में यति (विश्राम) होता है।
- पहले और तीसरे चरण की शुरुआत में जगण (विराम) नहीं होता।
- दूसरे और चौथे चरण के अंत में एक लघु मात्रा अनिवार्य रूप से होती है।
इन नियमों के अनुसार दोहा छंद की रचना होती है, जो हिंदी काव्य में बहुत लोकप्रिय है।
इस पाठ के अन्य प्रश्न
- ‘बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥ पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
- ‘इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥ देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥’ का भाव स्पष्ट कीजिए।
- पाठ के आधार पर तुलसी के भाषा-सौन्दर्य पर दस पंक्तियाँ लिखिए।
- इस पूरे प्रसंग में व्यंग्य का अनूठा सौन्दर्य है। उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
- निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार पहचान कर लिखिए- (क) बालकु बोलि बधाँ नहि तोही। (ख) कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा।
- “सामाजिक जीवन में क्रोध की ज़रूरत बराबर पड़ती है…” इस कथन के आधार पर क्रोध के पक्ष या विपक्ष में अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- अपने किसी परिचित या मित्र के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
- दूसरों की क्षमताओं को कम नहीं समझना चाहिए इस विषय पर कहानी लिखिए।
- उन घटनाओं को याद करके लिखिए जब आपने अन्याय का प्रतिकार किया हो।
- लक्ष्मण के वचनों से बढ़े हुए परशुराम जी के क्रोध को किसने और कैसे शान्त किया?
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