सूरदास के पदों में सरसता एवं भावुकता के साथ वाग्विदग्धता भी है स्पष्ट कीजिए
Read More
उत्तर: सूरदास के पदों की सबसे बड़ी विशेषता है उनकी वाग्विदग्धता, अर्थात् बोलने की सहज, प्रभावशाली और चतुराई…
संकलित पदों में व्यक्त गोपियों की विरह-विवशता पर प्रकाश डालिए
Read More
उत्तर: ‘भ्रमरगीत’ में उद्धव द्वारा ज्ञान योग का संदेश देने पर गोपियाँ अपनी गहन विरह-विवशता व्यक्त करती हैं।…
सूर की भ्रमरगीत परम्परा पर संक्षेप में प्रकाश डालिए
Read More
उत्तर: भ्रमरगीत परम्परा संस्कृत के भागवत महापुराण में वर्णित उस प्रसंग से जुड़ी है जिसमें श्रीकृष्ण द्वारा उद्धव…
अष्टछाप के कवियों का नामोल्लेख कीजिए। इसकी स्थापना का श्रेय किसे दिया जाता है
Read More
उत्तर: अष्टछाप की स्थापना 1565 ई. में गोस्वामी विट्ठलनाथ (वल्लभाचार्य के पुत्र) ने की थी। यह आठ कवियों…
Read More
उत्तर: “ऊधो, तुम हौ अति बड़भागी” — इस कथन के माध्यम से सूरदास ने उन लोगों पर व्यंग्य…
राजधरम तौ यहै इस कथन के माध्यम से सूरदास ने किस जीवन-सत्य का बोध कराया है
Read More
उत्तर: सूरदास ने इस जीवन-सत्य का बोध कराया है कि राजधर्म का मूल उद्देश्य प्रजा का कल्याण और…
ते क्यों अनीति करें आपुन जे और अनीति छुड़ाए गोपियों ने इससे किस पर व्यंग्य किया है
Read More
उत्तर: इस पद में गोपियों ने कृष्ण के व्यवहार पर व्यंग्य किया है। वे कहती हैं कि कृष्ण…